-केजीएमयू में ब्रेनडेड मरीजों के 29वें अंगदान में सिर्फ लिवर ही मिला प्रत्यारोपण के लिए फिट
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सड़क दुर्घटना में घायल होने पर भर्ती 28 वर्षीय युवक का ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों की सहमति के बाद लिवर का अंगदान किया गया। दुर्भाग्य से, चिकित्सा कारणों से किडनी और कॉर्निया दान के लिए अनुपयुक्त पाए गए। निकाले गये लिवर को केजीएमयू में भर्ती लिवर सिरोसिस के मरीज को प्रत्यारोपित किया गया है।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के बहरौरा गांव के 28 वर्षीय पुरुष संदीप कुमार के परिवार ने सोमवार, 21 अप्रैल, 2025 को ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उदारतापूर्वक उनके अंग दान करने की सहमति दी। ज्ञात हो श्री कुमार को सड़क दुर्घटना में सिर में गंभीर चोट लगने के बाद 14 अप्रैल, 2025 को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। अनिवार्य एपनिया परीक्षण किए जाने तक वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे, जिसके बाद केजीएमयू की ब्रेन डेथ कमेटी ने आधिकारिक तौर पर उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।


मीडिया सेल से मिली जानकारी के अनुसार अंगदान के साथ आगे बढ़ने के परिवार के नेक फैसले के बाद, लिवर को सफलतापूर्वक निकाला गया और अंतिम चरण के लीवर सिरोसिस से पीड़ित 33 वर्षीय पुरुष रोगी में प्रत्यारोपित किया गया। लिवर को प्रो. अभिजीत चंद्रा (अध्यक्ष, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग) द्वारा उसी विभाग के डॉ. उत्कर्ष श्रीवास्तव के साथ निकाला गया। प्रत्यारोपण एक समर्पित सर्जिकल टीम द्वारा किया गया जिसमें प्रो. अभिजीत चंद्रा, डॉ. उत्कर्ष श्रीवास्तव, डॉ. महेश, डॉ. संजय, डॉ. रोहित और डॉ. दीबन शामिल थे।
एनेस्थीसिया विभाग की प्रोफेसर मोनिका कोहली (एचओडी, एनेस्थीसिया), डॉ. जिया अरशद, डॉ. राजेश रमन और डॉ. तन्वी भार्गव द्वारा महत्वपूर्ण पेरिऑपरेटिव देखभाल और एनेस्थेटिक सहायता प्रदान की गई। रक्त आधान सेवाओं की देखरेख डॉ. तूलिका चंद्रा ने की। समन्वय प्रयासों का नेतृत्व प्रत्यारोपण समन्वयक पीयूष श्रीवास्तव, क्षितिज वर्मा ने किया, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टरों और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के 50 से अधिक ओटी, आईसीयू और वार्ड नर्सों और कर्मचारियों का अमूल्य समर्थन मिला। अंगदान प्रक्रिया को सुचारु और समय पर पूरा करने में प्रोफेसर बी.के. ओझा (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक), प्रोफेसर बी.बी. कुशवाहा, प्रोफेसर मोहम्मद परवेज (एनेस्थीसिया) ने अहम भूमिका निभाई।
विज्ञप्ति के अनुसार यह ऐतिहासिक उपलब्धि कुलपति के अटूट सहयोग और केजीएमयू के चिकित्सा और सहायक कर्मचारियों की सामूहिक प्रतिबद्धता से संभव हो पाई। केजीएमयू उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा केंद्र है, जहां व्यापक अंग पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण कार्यक्रम है। यह केजीएमयू में आयोजित 29वां सफल अंगदान है।
