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आईएमए ने केंद्र सरकार के तीन बिलों के विरोध में मनाया देशव्यापी विरोध दिवस

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सभी इकाइयों ने अपने-अपने क्षेत्र के सांसद को सौंपा ज्ञापन

काला बिल्‍ला और काली पट्टी लगाकर किया चिकित्‍सकीय कार्य  

लखनऊ। एनएमसी बिल 2017, आईएमसी (अमेन्डमेन्ट्स) बिल 2018 तथा कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2018 के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देशव्‍यापी विरोध जताते हुए विरोध दिवस मनाया।

आईएमए सदस्‍यों ने इस दिन काला बिल्‍ला और काली पट्टी बांधकर अपना कार्य किया। लखनऊ सहित उत्‍तर प्रदेश के सभी जिलों में स्‍थानीय इकाई के प्रति‍निधियों ने अपने-अपने क्षेत्रीय सांसद को ज्ञापन सौंपा।

इसी क्रम में लखनऊ में आईएमए उत्‍तर प्रदेश के अध्‍यक्ष डॉ एएम खान, आईएमए लखनऊ प्रेसी‍डेंट डॉ जीपी सिंह, सचिव डॉ जेडी रावत और एडिटर डॉ अलीम सिद्दीकी ने लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के लखनऊ स्थित आवास पहुंचकर राजनाथ की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा।

इसी प्रकार मुख्‍यमंत्री की कर्मस्‍थली गोरखपुर, इटावा, आगरा, कानपुर, अलीगढ़ में भी काली पट्टी बांधकर विरोध जताने के साथ ही स्‍थानीय सांसद को ज्ञापन सौंपा गया।   इससे पूर्व आईएमए भवन पर सांसद प्रतिनिधि से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल के डॉ एएम खान, डॉ जीपी सिंह, डॉ जेडी रावत तथा डॉ अलीम सिद्दीकी के अलावा डॉ संयुक्‍त सचिव डॉ सरिता सिंह, डॉ एससी श्रीवास्‍तव, डॉ नईम अहमद आदि ने इकट्ठा होकर तीनों बिल के प्रति अपना विरोध जताया।

सदस्‍यों का कहना है कि एनएमसी बिल 2017 जो कि लोकसभा में लम्बित है, आईएमए पहले से ही पूरे देश में इसका विरोध कर रही है क्योंकि यह बिल पूरी तरह से अलोकतांत्रित व गरीब विरोधी है।

इसी सन्दर्भ में आईएमसी अमेन्डमेन्ट बिल 2018 और सीपीए बिल 2018 भी दिसम्बर में लोकसभा में पास किये गये हैं, ये भी अलोकतांत्रिक व गरीब विरोधी हैं क्येांकि सीपीए 1986 जिसमें कि जिला कमीशन में मुआवजा 10 लाख से बढ़कर 1 करोड़ कर दिया गया है और स्टेट कमीशन में 1 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ कर दिया गया गया है और नेशनल कमीशन में 10 करोड़ से ज्यादा कर दिया गया है इससे छोटे अस्पताल एवं क्लीनिक चलाने मुश्किल हो जायेंगे।

डाक्टरों की फीस एवं अस्पतालों का खर्चा बहुत बढ़ जायेगा, जो कि गरीबों जनता की पहुँच से बाहर हो जायेगा। यह बिल पूरी तरीके से गरीब विरोधी व कॉरपोरेट कल्चर को समर्थन देने वाला बिल है।