मॉर्फिअस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर ने आयोजित की संतानहीनता पर कार्यशाला
लखनऊ. 30 वर्ष की उम्र तक अगर महिला गर्भधारण कर ले तो बहुत अच्छा है क्योंकि इससे ज्यादा उम्र होने पर महिलाओं के अंडे कम होने प्रारम्भ हो जाते है. साथ ही अंडो की क्वालिटी भी पहले से कम होती जाती है, इसके चलते गर्भपात और बच्चे के जन्मजात खराबी आने का खतरा रहता है.
यह महत्वपूर्ण जानकारी मॉर्फिअस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर की डायरेक्टर डॉ सुनीता चंद्रा ने यहाँ संतानहीनता पर आयोजित एक दिवसीय आईयूआई कार्यशाला में दी. अपने संबोधन में डॉ सुनीता चंद्रा ने बताया कि संतानहीनता आज हमारे समाज की बहुत बड़ी परेशानी बनती जा रही है ,इसके समाधान के लिए विज्ञान ने कई अच्छे तरीके निकाल लिए है, लेकिन इसका अच्छा फायदा तभी मिलता है जब समय से इलाज किया जाये, लेकिन परेशानी की बात यह है कि आज भी बहुत सारे दंपति डॉक्टर के पास तब आते है जब उनका कीमती समय निकल चुका होता है.
डॉ. सुनीता ने कहा कि आज के समय मे शादी की उम्र भी बढ़ती जा रही है. फिर इसके बाद अगर 4 से 5 साल तक बच्चा होने का इंतजार किया जाए तो उम्र बढ़ने के साथ बच्चे होने की संभावनाएं भी कम होती जाती हैं, क्योंकि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के अंडे कम होने प्रारम्भ हो जाते है. साथ ही अंडो की क्वालिटी भी पहले से कम होती जाती है, इसके चलते गर्भपात और बच्चे के जन्मजात खराबी आने का खतरा रहता है.


उन्होंने कहा कि अगर शादी के 1 से 2 साल के अंदर बच्चा न हो तो पति और पत्नी दोनो को अपनी-अपनी जांच करानी चाहिए, इसके बाद तय हो जाएगा कि बच्चा होने के लिए किस तरह के इलाज की जरूरत है. सही उम्र में डॉक्टर की सलाह के साथ बच्चा आसानी से हो सकता है
डॉ. सुनीता ने बताया कि संतानहीनता की वजह महिलाओ में हॉर्मोन की खराबी, फैलोपियन ट्यूब की खराबी, यौन रोग और पुरुषों में शुक्राणु की खराबी या कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि आईवीएफ और इक्सी इसका एक आधुनिक इलाज है, इस विधि से बहुत लोगों को बच्चे प्राप्त हुए है, ये पूर्णतया सुरक्षित विधि है और भरोसेमन्द भी। इस कार्यशाला का आयोजन विश्वस्तरीय आधुनिक उपकरण से युक्त मॉर्फिअस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर द्वारा किया.
डॉ. सुनीता चंद्रा ने बताया कि इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के जाने माने डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। इनमें डॉ चन्द्रावती, डॉ. इंदु टंडन, डॉ. नम्रता कुमार, डॉ. मंजूषा, डॉ. निशा सिंह, डॉ. मोनिका सचान, डॉ. ज्योत्स्ना मेहता, डॉ. रमा श्रीवास्तव, डॉ. इंदु लता, डॉ. अमृत गुप्ता, डॉ. नीलम यादव, डॉ. सुनीता सिंह ने अपने विचार रखे. कार्यशाला में 125 डॉक्टरों ने भाग लिया.
