-गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च में की गयी स्टडी प्रकाशित हो चुकी है जर्नल में
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मुख्य रूप से ब्लड में संक्रमण के चलते लिवर को प्रभावित करने वाले हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसे गंभीर रोगों के इलाज में होम्योपैथिक दवाएं कारगर हैं। इन रोगों के होम्योपैथिक इलाज को लेकर गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च में की गयी स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हो चुकी है।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर ‘सेहत टाइम्स’ से गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने विशेष वार्ता में बताया कि वायरस से होने वाला रोग हेपेटाइटिस मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है, ये हैं हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस ई। इनमें हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई ज्यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी गंभीर संक्रमण होता है, और अगर ध्यान न दिया जाये तो यह जानलेवा हो सकता है।
डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई का संक्रमण खानपान के जरिये शरीर में पहुंचता है जबकि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण इससे ग्रस्त व्यक्ति के खून या शरीर से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से होता है। इसी लिए लोगों को यह सलाह दी जाती है कि एक ही सीरिंज से दूसरे व्यक्ति को इंजेक्शन न लगायें, एक ही ब्लेड से दो लोग दाढ़ी न बनायें, सैलून में भी अगर आप बाल कटा रहे हैं या दाढ़ी बनवा रहे हैं तो वहां भी ध्यान रखें कि उस्तरे में नया ब्लेड लगा है अथवा नहीं। इसी प्रकार संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाने से भी यह होता है।
इसी प्रकार इंजेक्शन लगाते समय नयी सीरिजं का प्रयोग, खून चढ़ाते समय खून की गुणवत्ता यानी संक्रमण की जांच किये जा चुके रक्त को ही चढ़ाया जाना चाहिये, हालांकि प्रतिष्ठित और प्रमाणित केंद्रों पर इसका ध्यान रखा ही जाता है, लेकिन अगर आम व्यक्ति के नजरिये से बात करें तो वे किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति से रक्त या इंजेक्शन आदि न लगवायें।
हेपेटाइटिस के होम्योपैथिक इलाज के बारे में डॉ गुप्ता ने बताया कि हमारे रिसर्च सेंटर पर हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी पर केस स्टडी हो चुकी हैं तथा इसके पेपर्स दिल्ली से प्रकाशित ‘एडवांसमेंट्स इन होम्योपैथिक रिसर्च’ जर्नल्स में छपे हैं। हेपेटाइटिस बी के बारे में बताते हुए डॉ गुप्ता ने कहा कि हेपेटाइटिस बी अत्यधिक संक्रामक होता है। इसका संक्रमण रक्त या शरीर से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थों से होता है। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी के 18 पुष्ट केसेज की स्टडी की गयी थी, इनमें नौ लोगों में वायरस निगेटिव हो गया जबकि पांच केसों में वायरल लोड कम हुआ, जबकि चार रोगियों को दवाओं से लाभ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि यह स्टडी ‘एडवांसमेंट्स इन होम्योपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्यूम 7 संख्या 02 मई 2022 से जुलाई 2022 के अंक में ‘एन एवीडेंस बेस्ड क्लीनिकल स्टडी ऑन होम्योपैथिक ट्रीटमेंट ऑफ हेपेटाइटिस बी पेशेंट्स’ शीर्षक से छपी है।
डॉ गुप्ता ने बताया कि इसी प्रकार से हेपेटाइटिस सी के 13 केसेज की स्टडी की गयी थी इनमें 9 केसेज में वायरस निगेटिव हो गया या वायरल लोड कम हो गया जबकि चार केसेज में होम्योपैथिक दवाओं से कोई लाभ नहीं हुआ। इस स्टडी का प्रकाशन ‘एडवांसमेंट्स इन होम्योपैथिक रिसर्च’ जर्नल के वॉल्यूम 2 संख्या 2(39) मई 2017 से जुलाई 2017 के अंक में ‘रोल ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन्स इन द पेशेन्ट्स ऑफ क्रॉनिक हेपेटाइटिस सी’ शीर्षक से किया गया है।