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डॉक्‍टर की कलम से : वायरल बुखार के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी

होम्‍योपैथी की मीठी गोलियों से दीजिये वायरल को मात

बदलते मौसम में वायरल फीवर का खतरा बहुत बढ़ जाता है, ऐसे में अनेक बार यह देखा यह गया है कि अगर घर में किसी एक व्‍यक्ति को वायरल फीवर हो जाये तो एक के बाद एक व्‍यक्ति इसकी चपेट में आता जाता है। इसी विषय पर प्रस्‍तुत है महत्‍वपूर्ण जानकारी होम्‍योपैथी विशेषज्ञ डॉ अनुरुद्ध वर्मा की लेखनी से-  

 

आपने अनेक लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि आजकल मैं वायरल फीवर से परेशान हूँ कूछ समझ में नहीं आता कि क्या करूं? वायरल बुखार से कभी-कभी पूरा परिवार पीड़ित हो जाता है और कभी-कभी तो यह पूरे मुहल्ले, कस्बे यहां तक कि पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आखिर क्या है वायरल बुखार? यह जानना बहुत ही आवश्यक है।

डॉ अनुरुद्ध वर्मा

वायरस आंखों से नहीं दिखने वाला अदृश्य विषाणु है जो वातावरण में विद्यमान रहते है और अवसर पाते ही हमारे शरीर पर आक्रमण कर देते हैं। वैसे तो वायरल फीवर किसी भी उम्र में हो सकता है परन्तु यह बच्चों में ज्यादा संभावित होता है। यह किसी भी मौसम में हो सकता है परन्तु बरसात के दिनों एवं बदलते मौसम में यह बुखार बहुत तेजी से फैलता है और दूसरे लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। वायरल बुखार 3 से 7 दिन का समय लेता है परंतु यह अवधि दो सप्ताह तक की भी हो सकती है।

1    वायरल बुखार में 101 से 104 डिग्री तक बुखार हो सकता है। यह बुखार अचानक बढ़ सकता है, समान्यतः लगातार बुखार रहता है और कभी-कभी दिन में एक दो बार बुखार तेज हो जाता है।

2    बुखार से पहले छींक आना, बलगम, नाक बहना आदि लक्षण होते हैं।

 

वायरल बुखार से ऐसे बचें

1    बच्चों को सही समय पर मम्स, खसरा, पोलियो आदि के टीके लगवाने चाहिए।

2    बच्चों को प्रारम्भ से ही स्तनपान कराना चाहिए।

3    कुपोषण से बचाने के लिये संतुलित आहार सुनिश्चित करना चाहिए।

4    भीड़-भाड़, मेले बाजार आदि में जाने से बचना चाहिए।

5    व्यक्तिगत सफाई तथा आस-पास की सफाई पर ध्यान देना चाहिए।

6    घर के अंदर के प्रदूषण जैसे धुआं, सिगरेट, बीड़ी के धुएं से बचना चाहिए।

7    रोगी को व्यक्तिगत संपर्क से बचना चाहिए।

 

क्या होते हैं वायरल बुखार के लक्षण?

1    शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकावट, ठंड लगना, कमजोरी, भूख न लगना, गले में खराश एवं मिचली के लक्षण हो सकते हैं।

2    रोगी की कुछ करने की इच्छा नहीं रहती है।

3    रोगी को सूखी खांसी भी हो सकती है।

4    रोगी का चेहरा मुरझाया सा भी रहता है।

5    रोगी में बेचैनी भी रहती है तथा वह सुस्त भी रहता है।

6    रोगी की आवाज में कुछ परिवर्तन भी हो सकता है।

 

वायरल फीवर से हो सकती हैं अनेक जटिलताएं

 

1    वायरल फीवर से शरीर में अनेक जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है।

2    ज्यादा दिन बुखार रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

3    कान के मध्य में संक्रमण हो सकता है। साइनोसाइटिस एवं श्वसन तंत्र में समस्या पैदा हो सकती है।

4    दमा के आक्रमण की संभावना हो सकती है।

5    शरीर में अत्यधिक कमजोरी हो सकती है।

 

क्या है वायरल फीवर का होम्योपैथिक उपचार

वायरल बुखार में होम्योपैथिक दवाइयां काफी लाभकारी सिद्ध होती हैं। आवश्यकता है रोगी के सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर औषधि देने की तथा कुशल चिकित्सक की। होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग अपने आप बिना चिकित्सक के परामर्श के नहीं करना चाहिए। वायरल फीवर के उपचार में प्रयोग होने वाली होम्योपैथिक औषधियों में एकोनाइट, एलियम सीपा, बेलाडोना, युफ्रेशिया, जेल्सिमियम, आर्सेनिक, रसटॅाक्स, चायना, यूपेटोरियम पर्फ, इन्फ्ल्यूजिनम, डल्कामारा आदि प्रमुख है।