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रेस्‍पाइरेटरी सिस्‍टम से प्रदूषण की एंट्री को पहली बार डॉ कृष्‍णमूर्ति ने ही पहचाना

-डिप्‍टी सीएम ब्रजेश पाठक ने डॉ कृष्‍णमूर्ति की आवक्ष प्रतिमा का किया अनावरण, आईआईटीआर के कार्यों को सराहा

-आईआईटीआर ने धूमधाम से मनाया अपने दूसरे निदेशक डॉ कृष्‍णमूर्ति का जन्‍म शताब्‍दी समारोह

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। श्‍वसन प्रणाली मार्ग के जरिये धूल-प्रदूषण से किस तरह नुकसान होता है, पहली बार इसकी पहचान करने वाले व्यावसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी प्रख्‍यात पर्यावरणीय वैज्ञानिक डॉ सीआर कृष्‍णमूर्ति का जन्‍म शताब्‍दी यहां सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर) में धूमधाम से मनाया गया। डॉ कृष्‍णमूर्ति ने ही विषविज्ञान के नए क्षेत्रों : औद्योगिक स्वास्थ्य, औद्योगिक विषविज्ञान और व्यावसायिक चिकित्सा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ज्ञात हो डॉ. कृष्णमूर्ति का जन्म 3 मार्च, 1923 को हुआ था तथा उन्‍होंने 1950 में अपनी वैज्ञानिक यात्रा प्रारंभ की थी। वे इस संस्‍थान के दूसरे निदेशक रहे थे।

अपने आप में एक संस्‍थान की हैसियत रखने वाले डॉ. कृष्णमूर्ति ने संस्थान के गेहरू परिसर को इकोटॉक्सीकोलॉजी परीक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस मौके पर डॉ. सी. आर. कृष्णमूर्ति के सम्मान में संस्थान के गेहरू परिसर का नाम बदलकर “सीआरके परिसर” कर दिया गया।

इस मौके पर आयोजित समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित उत्‍तर प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक ने डॉ कृष्णमूर्ति की एक आवक्ष प्रतिमा और संस्थान की पांच दशकों से अधिक की यात्रा के महत्वपूर्ण कार्यों को दर्शाने वाली एक स्मृति दीवार का अनावरण किया। ब्रजेश पाठक ने अपने संबोधन में विशिष्ट क्षेत्र- पर्यावरण मॉनीटरिंग एवं वायु, जल तथा मृदा के प्रदूषण का सामना करने के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए संस्थान की सेवाओं की सराहना की।

प्रसिद्ध कलाकार एवं पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, जो कि डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, ने भी विशिष्‍ट अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर उपस्थित डॉ. सी.आर. कृष्णमूर्ति के कई पूर्व सहयोगी एवं  छात्रों ने भी उनके साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय विषविज्ञान, जैवोपचारण एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य में प्रयोगशाला से प्राप्त निष्कर्षों को वास्तविक फील्ड सेटिंग में परिवर्तित करने में उनकी दूरदर्शिता संस्थान के गेहरू परिसर की प्रयोगशालाओं द्वारा सपष्ट रूप से प्रदर्शित है।

दूसरी ओर एक अन्‍य कार्यक्रम में बीती 24 फरवरी से आज 3 मार्च तक का संस्थान का कार्यक्रम “एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला” (वन वीक वन लैब), ओडबल्यूएएल अभियान का समापन समारोह आयोजित किया गया। इसमें इंद्रजीत सिंह, आईएएस, नगर आयुक्त, लखनऊ नगर निगम इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-  आईआईटीआर ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स और  डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ इस समारोह में विशिष्ट अतिथि थे। वन वीक वन लैब समारोह के एक भाग के रूप में बीती 27 फरवरी को आयोजित रिसर्च स्कॉलर्स पोस्टर प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार भी दिए गए। इसके साथ ही सीएसआईआर-आईआईटीआर और एनएबीएल का तीन दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम “फलों और सब्जियों में कीटनाशक अवशेषों का विश्लेषण” के प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया।

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