Wednesday , April 24 2024

प्रथम अवसर

जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 47 

डॉ भूपेन्द्र सिंह

प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्‍छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्‍य बुजुर्ग बच्‍चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्‍था मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्‍द्र सिंह के माध्‍यम से ‘सेहत टाइम्‍स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…

प्रस्‍तुत है 47वीं कहानी –  प्रथम अवसर

एक किसान की बहुत ही सुन्दर बेटी थी। एक नौजवान लड़का उस किसान की बेटी से शादी की इच्छा लेकर किसान के पास आया।

उसने किसान की बेटी से शादी करने की इच्छा जताई। किसान ने उसकी ओर देखा और कहा, युवक तुम खेत में जाओ, मैं एक-एक करके तीन बैल छोड़ने वाला हूं।

यदि तुम तीनों बैलों में से किसी एक की भी पूंछ पकड़ लो तो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूंगा।

नौजवान इस आसान शर्त को सुनकर खुश हो गया और खेत में बैल की पूंछ पकड़ने की मुद्रा लेकर खड़ा हो गया। किसान ने खेत में स्थित घर का दरवाजा खोला।

तभी एक बहुत ही बड़ा और खतरनाक बैल उसमे से निकला। नौजवान ने ऐसा बैल पहले कभी नहीं देखा था। अतः उससे डर कर नौजवान ने निर्णय लिया कि वह अगले बैल का इंतज़ार करेगा और वह एक तरफ हो गया जिससे बैल उसके पास से होकर निकल गया।

दरवाजा फिर खुला।

आश्चर्यजनक रूप से इस बार पहले से भी बड़ा और भयंकर बैल निकला। नौजवान ने सोचा कि इससे तो पहला वाला बैल ठीक था।

फिर उसने एक ओर होकर बैल को निकल जाने दिया।

दरवाजा तीसरी बार खुला। नौजवान के चहरे पर मुस्कान आ गई।

इस बार एक छोटा और मरियल बैल निकला। जैसे ही बैल नौजवान के पास आने लगा, नौजवान ने उसकी पूंछ पकड़ने के लिए मुद्रा बना ली ताकि उसकी पूंछ सही समय पर पकड़ ले। पर यह क्या उस बैल की तो पूँछ ही नहीं थी।

तो दोस्तों, हर एक इंसान कि जिन्दगी अवसरों से भरी हुई है।

कुछ सरल हैं और कुछ कठिन। पर अगर एक बार अवसर गंवा दिया तो फिर वह अवसर दोबारा नहीं मिलेगा।

अतः हमेशा प्रथम अवसर को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।

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