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थकान, बढ़ता वजन, याददाश्‍त में कमी, ज्‍यादा ठंड लगना भी लक्षण हैं थायरॉयड के

-विश्‍व थायरॉयड दिवस (25 मई) पर विशेष

डॉ हर्ष दुर्गिया, डॉ राजेन्‍द्र ललानी, डॉ पंक्ति कन्‍हाई ललानी

‘सेहत टाइम्‍स’ से नियमित रूप से जुड़े राजकोट (गुजरात) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व गुजरात स्‍टेट पैथोलॉजिस्‍ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ राजेन्‍द्र ललानी के साथ ही गुजरात से ही डीएम एंडोक्राइनोलॉजिस्‍ट डॉ हर्ष दुर्गिया और डीएम एंडोक्राइनोलॉ‍जिस्‍ट एसआर-1 डॉ पंक्ति कन्‍हाई ललानी का विश्‍व थायरॉयड दिवस (25 मई) पर लेख

विश्‍व थायरायड दिवस 25 मई को मनाया जाता है, इसका उद्देश्‍य थायरायड रोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है। कई बार लोगों को मालूम ही नहीं होता है कि उन्‍हें थायरॉयड रोग है, ऐसे में उसका उपचार देर से होता है जिससे बीमारी बढ़ जाती है। थायरॉयड रोग दुनिया भर में आम हैं। भारत भी इससे अलग नहीं है, भारत में हुए अध्‍ययनों के अनुसार यहां लगभग 42 मिलियन लोग थायराइड रोगों से पीड़ित हैं।

भारत में सामान्‍यत: पाये जाने वाले सबसे आम थायरॉयड विकारों में हाइपरथायरायडिज्म (असामान्य रूप से वृद्धि हुई थायरॉयड गतिविधि), हाइपोथायरायडिज्म (असामान्य रूप से थायरॉयड गतिविधि में कमी), थायरॉयडिटिस (थायरॉयड ग्रंथि की सूजन) और थायरॉयड कैंसर शामिल हैं, ये अक्सर आयोडीन की कमी के कारण होते हैं।

हाशिमोटो का थायरॉयडिटिस, हाइपोथायरायडिज्म के कई संभावित कारणों में से एक है। हाशिमोटो के अधिकांश लोगों, जिन्हें क्रोनिक ऑटोइम्यून थायरॉयडिटिस के रूप में भी जाना जाता है, में ऑटो-एंटीबॉडी होते हैं जो थायरॉयड ग्रंथि में कोशिकाओं पर हमला करते हैं और उन्हें नष्ट करते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म थायरॉयड ग्रंथि के साथ एक समस्या है; हाशिमोटो में – जैसा कि सभी ऑटोइम्यून बीमारियों में होता है – प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित हो जाती है और गलती से आपके अपने शरीर के एक हिस्से पर हमला करती है। जागरूकता की कमी के कारण देश में जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के निदान में अक्सर देरी होती है।

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

थकान

ठंड के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि

कब्ज़

शुष्क त्वचा

भार बढ़ना

सूजा हुआ चेहरा

स्वर बैठना

मांसपेशी में कमज़ोरी

रक्‍त में कोलेस्ट्रॉल स्तर की वृद्धि

मांसपेशियों में दर्द, कोमलता और जकड़न

जोड़ों में दर्द, जकड़न या सूजन

सामान्य या अनियमित मासिक धर्म होना

बालों का झड़ना

धीमी हृदय गति

डिप्रेशन

याददाश्‍त में कमी

थायरॉयड ग्रंथि में सूजन  

लक्षण दिखते ही अपने चिकित्‍सक से सम्‍पर्क करना चाहिये जिससे समय रहते इसका इलाज शुरू हो सके। थायरायड का उपचार डायबिटीज की तरह हमेशा ही चलता है। इलाज करने का लाभ यह है कि बीमारी आगे नहीं बढ़ पाती है, जिससे और ज्‍यादा होने वाला नुकसान रोका जा सकता है।

सुपर स्‍पेशियलिस्‍ट से इलाज कराना बेहतर

थायरायड का इलाज सुपर स्‍पेशियलिटी डिग्री धारक बेहतर कर सकता है, एमबीबीएस के बाद एमडी कर चुके विशेषज्ञ चिकित्‍सक, जो हार्मोन्‍स के बारे में सुपर स्‍पेशियलिटी डिग्री डीएम (डॉक्‍टरेट ऑफ मेडिसिन) का कोर्स करते हैं, इन्‍हें एंड्रोक्राइनोलॉजिस्‍ट कहा जाता है।

डायग्‍नोसिस के लिए जांच

थायरॉयड की डायग्‍नोसिस के लिए खून में टी-3, टी-4, टीएसएच, प्री टी-3, प्री टी-4, टीपीओ एंडीबॉडी, टीजी एंटीबॉडी के अलावा सूजन होने पर सोनोग्राफी भी की जाती है।

महिलाओं में ज्‍यादा

थायरायड रोग महिलाओं में ज्‍यादा पाया जाता है, उनके आयोडीन की कमी होती है, महिलाओं में ग्‍वॉइटर यानी घेंघा रोग और हाइपोथायरायडिज्म ज्‍यादा पाया जाता है।

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