Saturday , April 20 2024

आज भी 50 करोड़ महिलाओं को माहवारी में साफ़ नैपकिन उपलब्ध नहीं

-विश्‍व माहवारी स्‍वच्‍छता दिवस पर डॉ निरुपमा मिश्रा ने कहा कि इस दिशा में बहुत कुछ किये जाने की जरूरत

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। विश्व में आज भी 50 करोड़ महिलाओं को माहवारी में साफ़ नैपकिन उपलब्ध नहीं है। भारत में ही ग्रामीण क्षेत्रों में 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं/लड़कियां माहवारी में कपड़े इस्‍तेमाल करती हैं, इससे स्‍वच्‍छता नहीं रहती है, और वे तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो जाती हैं, इनमें सर्वाइकल कैंसर, बच्चेदानी के संक्रमण, यूरिन इंफेक्शन प्रमुख हैं।

यह बात विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर राजेश्वरी हेल्थ केयर लखनऊ की डायरेक्‍टर डॉ निरुपमा मिश्रा ने एक जागरूकता कार्यक्रम में कही। उन्‍होंने कहा कि 28 मई को ही यह दिवस मनाने के पीछे की वजह है कि मासिक धर्म का चक्र आमतौर पर 28 दिन का अमूमन होता है और 5 दिन रहता है इसलिए 28 तारीख और मई यानी साल के पांचवें महीने में मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम है “वर्ष 2030 तक इसे जीवन का सामान्य तथ्य बनाना है। इससे महिलाओं और लड़कियों को समाज की कई भ्रांतियों और कुरीतियों से मुक्ति मिलेगी और उनका विकास बेहतर होगा।

डॉ निरुपमा ने कहा कि लड़कियों को सही जानकारी नहीं होने से स्कूल तक छोड़ना पड़ता है। आत्मविश्वास में कमी आती है। इन सभी को देखते हुए इसकी जागरुकता हर स्तर पर बढ़ाई जानी चाहिए तभी महिलाएं समाज में समुचित विकास में अपना सहयोग दें पायेगी। डॉ निरुपमा मिश्रा ने कहा कि वह इस दिशा में कई वर्षों से प्रयासरत हैं जिसके सुखद परिणाम देखने को मिल रहें हैं पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है जिसके लिए सभी वर्गों को जागरूक होकर आगे आना होगा।

उन्‍होंने कहा कि सेनेटरी नैपकिन के निस्तारण की भी समस्या है, क्योंकि अभी उपलब्ध पैड में प्लास्टिक इस्तेमाल होता है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। इसके अलावा इसको खुले में फेंकने से भी बीमारियों का खतरा रहता है। इनके समुचित निस्तारण के विषय में भी शिक्षित किया जाना चाहिए। डॉ निरुपमा ने सेनिटरी पैड की कमी को पूरा करने के लिए इको फ्रेंडली नेपकिन की जरूरत बतायी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.