-लंबित मांगों को पूरा न किये जाने के विरोध में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने किया आंदोलन का ऐलान
-20-21 अप्रैल को बांधेंगे काला फीता, 23 व 24 अप्रैल को करेंगे कार्य बहिष्कार
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, भत्तो की समानता सहित मुख्य सचिव के साथ हुए समझौतों पर कार्यवाही न होने से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आंदोलन का ऐलान किया है। इसके तहत मोटरसाइकिल रैली, काला फीता से विरोध प्रदर्शन के बाद 23 व 24 अप्रैल को कार्य बहिष्कार किये जाने की घोषणा की गयी है।
यह फैसला सोमवार को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया। बैठक गांधी भवन सभागार में सुरेश रावत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में आंदोलन की घोषणा करते हुए निर्णय लिया गया कि प्रदेश के राज्य कर्मचारी 23 और 24 अप्रैल को कार्य बहिष्कार करेंगे। इसके पूर्व 20 और 21 अप्रैल को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन होगा। 22 अप्रैल को सभी जिला मुख्यालयों में मोटरसाइकिल रैली निकालकर जनजागरण किया जाएगा। इस आंदोलन से प्रदेश की समस्त आवश्यक सेवाएं बाधित होंगी क्योंकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा, परिवहन, रोडवेज में कार्य बहिष्कार होगा इसका दुष्परिणाम प्रदेश की गरीब जनता को भुगतना पड़ेगा इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
बैठक की जानकारी देते हुए महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि 9 व 12 अक्टूबर के पूर्व अनेक आन्दोलनों के माध्यम से शासन व सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया था, जिसके फलस्वरूप इस बैठक में परिषद की प्रमुख मांगों पर अनेक समझौते/निर्णय लिये गये थे। समझौतों का पालन न होने के कारण 21 नवम्बर 19 को सभी जिलों में मशाल जुलूस, 12 दिसम्बर को जनपदीय धरना और 21 जनवरी को मंडलीय धरने के माध्यम से शासन का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही की जा रही। सरकार की उदासीनता को देखते हुए परिषद की प्रांतीय कार्यपरिषद की बैठक सम्पन्न हुई ।
अतुल मिश्रा ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में 3 लाख आउटसोर्सिंग/संविदा/ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने, सी0एस0डी0 कैन्टीन की भॉति राज्य कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के माध्यम से स्टेट जी0एस0टी0 मुक्त सामग्री क्रय की सुविधा का लाभ तथा कर्मचारी कल्याण निगम कर्मियों की बदहाली दूर करने की मांग पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि कल्याण निगम के सामानों में लगने वाली जी॰एस॰टी॰ का 50 प्रतिशत भार सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इस निर्णय के विपरीत वित्त विथाग द्वारा कल्याण निगम को बन्द करने का सुझाव दिया गया है, जिससे समझौते का क्रियान्वयन तो दुर वहां के कर्मचारियों की सेवा पर ही तलवार लटक गई है।
परिषद की मांग पर वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियॉ एवं शेष बचे भत्तों पर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन लिये जाने, पूर्व विनियमित कर्मचारियों की अर्हकारी सेवाएं को जोड़ते हुए पेंशन निर्धारित करने, डिप्लोमा इंजीनियर्स की भॉति ग्रेड वेतन 4600/- को इग्नोर करके 4800/- के ग्रेड वेतन के समान मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य करने, उपार्जित अवकाश में 300 दिन के संचय की सीमा को समाप्त करने, राजस्व संवर्ग सींच पर्यवेक्षक, जिलेदार सेवा नियमावली, एवं तकनीकी पर्यवेक्षक नलकूप सेवानियमावली, अधीनस्थ वन सेवा नियमावली प्रख्यापित करने, सभी संवर्गो का पुनर्गठन, जिनकी सेवा नियमावली प्रख्यापित नही हैं, उसे प्रख्यापित कराने का निर्णय लिया गया था ।
निर्णय के बाद परिषद लगातार शासन का ध्यान आकृष्ट करता रहा है। शासन द्वारा संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति का निर्माण फरवरी 2019 में पूर्ण कर लिया गया लेकिन अभी तक मंत्रिपरिषद से पारित नहीं कराया गया। संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियो की स्थाई नीति जारी न होने से कर्मचारियों का लगातार शोषण हो रहा है। कुछ विभागों में पूर्व से चली आ रही योजनाओं के कार्मिकों को सेवा से बाहर किए जाने की नोटिस पकडा़ दी गयी। इसी प्रकार समझौतों पर कार्यवाही तो नही हो सकी बल्कि उसके स्थान पर राज्य कर्मचारियों पर अभी तक प्राप्त हो रहे छः भत्ते समाप्त कर जले पर नमक छिड़कने जैसा कार्य किया गया।
पुरानी पेंशन ब्यस्था बहाली पर अनेक आन्दोलनों के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है। अनेक ऐसे संवर्ग है जिनमें छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व्याप्त है, वित्त विभाग द्वारा एक माह में परीक्षण कर कार्यवाही कराने का निर्देश दिया गया था परन्तु अभी तक उसपर कोई कार्यवाही सम्पन्न नही हुई है। केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति भत्तों की समानता, वाहन भत्ता एवं मकान किराए भत्तें के संशोधन के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही की गयी, जिससे केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे भत्तों में बड़ा अन्तर आ गया है।
डिप्लोमा इंजीनियर के भांति सभी राज्य कर्मचारियों को रू0 4600/- ग्रेड पे को इग्नोर करते हुए रू0 4800 के समतुल्य मैट्रिक्स लेवल वेतनमान प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा पुनः परीक्षण किये जाने का निर्णय लिया गया था। प्रदेश में सीधी भर्ती अधिकतम आयु 40 वर्ष के दृष्टिगत ए0सी0पी0 में 8, 16 एवं 24 वर्ष की सेवा पर तीन पदोन्नति वेतनमान दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक परीक्षण कर कोई प्रस्ताव नही बनाया गया । उपार्जित अवकाश के संचय की तीन सौ दिन की सीलिंग समाप्त कर सेवा निवृत्ति पर 600 दिनों का नकदीकरण दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा परीक्षण कर प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने का निर्णय लिया गया था, जिसपर एक वर्ष के पश्चात भी कोई कार्यवाही नही की गयी है। इस बींच कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है।
यह भी निर्णय लिया गया था कि एक समान शैक्षिक योग्यता वाले संवर्गों को एक समान वेतन भत्ते अनुमन्य किए जाये चाहे वे किसी भी विभाग में कार्यरत हो, परन्तु वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही हो सकी है।
बार-बार समझौतों के बावजूद कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा अभी तक प्रारम्भ नही हो सकी जबकि पूर्व से मिल रहे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भूगतान हेतु बजट के अनुदान की ग्रुपिंग में फेरबदल कर उसे और जटिल बना दिया गया, यहा तक कि सरकारी चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज पर भी रोक लगा दी गयी। चिकित्सा विभाग के आप्टोमेट्रिस्ट लैब टेक्निशियन सहित अन्य संवर्गों की वेतन विसंगति केन्द्र सरकार द्वारा दूर की जा चुकी है परन्तु समझौतो के बावजूद प्रदेश में अभी वेतन विसंगति लम्बित है। अन्य संवर्गो की वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियों एवं शेष भत्तों पर अक्टूबर 2018 में ही मंत्रिपरिषद से निर्णय कराने का निर्णय लिया गया था जो एक वर्ष बाद भी अभी तक लम्बित है। निर्णयों का क्रियान्वयन न कर शासन द्वारा 50 वर्ष पूर्ण कर रहे कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया जा रहा है, जो नितान्त गलत है।
बैठक में उपस्थित प्रान्तीय, मंण्डलीय व जनपदीय पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से आन्दोलन के प्रस्ताव का समर्थन किया और यह भी मांग रखी कि मांगो के पूरी न होने की दशा में हड़ताल जैसे कठोर निर्णय लिया जाय। परिषद ने मुख्य मंत्री से मांग की है कि आन्दोलन के पूर्व हस्तक्षेप कर समझौतोंं का क्रियान्वयन कराने का निर्देश जारी करें साथ ही कर्मचारियों के उत्पीड़न को रोके अन्यथा प्रदेश के लाखोंं कर्मचारी आन्दोलन को विवश होंगे।
कार्यकारिणी बैठक में प्रांतीय, मंडलीय पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्यों के साथ सभी जनपदों के अध्यक्ष, मंत्री उपस्थित थे। बैठक में परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र, संगठन प्रमुख डा॰ के॰के॰ सचान,अशोक कुमार महामंत्री नर्सेज संघ, फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार, डा॰ पी॰ के॰ सिंह अध्यक्ष सांख्यिकि सेवा संघ वन विभाग, सहायक वन कर्मचारी संघ के महामंत्री अमित श्रीवास्तव, सिंचाई संघ के महामंत्री अवधेश मिश्रा, राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष विजय किशोर मिश्रा, आशीष पान्डे महामंत्री वन विभाग मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ,अभय पाण्डेय महामंत्री गन्ना विकास मिनी कार्मिक संघ,मनोज राय अध्यक्ष गन्ना पर्यवेक्षक संघ, ट्यूबवेल टेक्निकल कर्मचारी संघ उ॰प्र॰ के अध्यक्ष उमेश राव, वाणिज्य कर मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसो॰ के महामंत्री जे॰ पी॰ मौर्य , सर्वेश पाटिल अध्यक्ष आप्टोमेट्रिस्ट एसो॰,वाई पी शुक्ला अध्यक्ष,आर के पी सिंह महामंत्री एक्स-रे टेक्नीशियन एसो॰, बी॰एन॰ मिश्रा महामंत्री समाज कल्याण मिनि॰ एसो॰,उपेन्द्र प्रताप सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ, आनन्द मिश्रा,राजेश कुमार चौधरी मण्डल मंत्री, आलोक मिश्र, डी॰डी॰ त्रिपाठी, सुनील यादव मीडिया प्रभारी, सुभाष श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, अजय पान्डे, कमल श्रीवास्तव, आदि उपस्थित रहे।