Tuesday , April 23 2024

एसजीपीजीआई में कर्मचारियों का बेमियादी धरना तीन माह के लिए स्‍थगित

-भत्‍तों की कैबिनेट में मंजूरी के बाद फैसला, रीस्‍ट्रक्‍चरिंग के लिए करेंगे इंतजार

धर्मेश कुमार

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में संस्थान कर्मचारियों की वर्षों से लंबित दो प्रमुख मांगों कैडर रिस्ट्रक्चरिंग और तीनों भत्ते पेशेंट केयर भत्ता, वर्दी भत्ता और द्विभाषीय भत्ता  को  एम्स के समान संस्थान में  लागू किए जाने को लेकर कर्मचारी महासंघ का पिछले एक माह से चल रहा शांतिपूर्ण धरना भत्‍ते दिये जाने की मांग कैबिनेट की बैठक में तीनों भत्‍तों (पेशेंट केयर भत्ता, वर्दी भत्ता और द्विभाषीय भत्ता)  को मंजूरी दिये जाने के बाद तीन माह के लिए स्‍थगित कर दिया गया है।   

कर्मचारी महासंघ के अध्‍यक्ष जितेन्‍द्र कुमार यादव और महामंत्री धर्मेश कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भत्‍तों की मांग पूरी होने तथा निदेशक द्वारा कैडर रीस्‍ट्रक्‍चरिंग की मांग भी जल्‍द ही पूरी किये जाने का आश्‍वासन दिये जाने के बाद महासंघ ने आंदोलन को तीन माह के लिए स्‍थगित करने का निर्णय लिया गया है।

धर्मेश कुमार ने बताया कि आज कर्मचारी महासंघ की निदेशक के साथ वार्ता संपन्न हुई। वार्ता में निदेशक द्वारा अवगत कराया गया कि कल उत्तर प्रदेश शासन में हुई कैबिनेट की बैठक में तीनों भत्ते पास कर दिए गए हैं। निदेशक द्वारा आश्वाशन दिया गया है कि कैडर रीस्ट्रक्चरिंग का कार्य भी जल्दी ही पूरा हो जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ ने यह निर्णय लिया है कि कैडर रीस्ट्रक्चरिंग के लिए संस्थान प्रशाशन/उत्तर प्रदेश शासन को थोड़ा और समय देते हुए कर्मचारी महासंघ द्वारा 1 अगस्त से चलाए जा रहे अनिश्चितकालीन धरने को तीन महीने के लिए स्थगित किया जाता है। उन्‍होंने कहा कि इस अवधि में अगर संस्थान में कैडर रीस्ट्रक्चरिंग लागू नहीं किया गया तो कर्मचारी महासंघ को फिर से धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

उन्‍होंने कहा कि एम्स के समान कैबिनेट से भत्ते पास हो जाने पर संस्थान कर्मचारियों में खुशी का माहौल है। उन्‍होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ मुख्‍यमंत्री को धन्‍यवाद और आभार प्रकट करता है कि उन्होंने कर्मचारी महासंघ की मांगों को संज्ञान में लेते हुए तीनों भत्‍ते दिये जाने का मार्ग प्रशस्‍त किया। उन्‍होंने कहा कि साथ ही महासंघ अपने संस्थान  के निदेशक का भी आभार प्रकट करता है जिनके प्रयास से यह सफल हो पाया। उन्‍होंने अपने आंदोलन के प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया का भी आभार जताया है।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.