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प्रोत्‍साहन देने की जगह भत्‍ता रोककर दंड दिया गया है कर्मचारियों को

-कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने की मांग, डीए की किस्‍त पर पुनर्विचार करे सरकार

लखनऊ प्रदेश के लाखों कर्मचारी, शिक्षक, पेंशनरों ने भारत सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की 3 किस्तों को न दिए जाने की घोषणा के बाद कड़ी नाराजगी जताई है , मोर्चा ने सरकार से फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा द्वारा शुक्रवार को सभी पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक की गई, जिसमें महासचिव शशि मिश्र,  उपाध्यक्ष के के सचान, गिरीश चन्द्र मिश्रा, सुरेश रावत, अतुल मिश्रा,  सुनील यादव, मनोज कुमार मिश्रा, अशोक कुमार, अवधेश सिंह, अवधेश मिश्रा, घनश्याम यादव आदि शामिल हुए।

श्री मिश्रा ने भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को 1 जनवरी 2020, जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से दिए जाने वाली तीन महंगाई भत्ते की किस्तों को रोके जाने को निराशाजनक बताते हुए इसे कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वाला और एकतरफा लिया गया फैसला बताया। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि देश और प्रदेश का हर कर्मचारी आपदा के समय सरकार के साथ खड़ा है।

सभी विभागों के कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता से सरकार को मदद कर रहे हैं, देश की जनता की सेवा कर रहे हैं, चिकित्सा स्वास्थ्य, पुलिस, सफाई आदि विभागों के कर्मचारी जान की परवाह किये बिना फ्रंटलाइन पर कोरोना से लड़ रहे हैं। ऐसे समय में प्रोत्साहन की जगह भत्ते रोककर उन्हें दंड दिया गया है।

ज्यादातर केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों ने अपना 1 दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष या मुख्यमंत्री राहत कोष में स्वेच्छा से दान भी किया है। लेकिन भारत सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की 3 किस्तें रोके जाने से कर्मचारियों का बहुत बड़ा नुकसान होने जा रहा है सरकार ने उक्त धन का एरियर भी देने से मना किया है इसलिए कर्मचारियों का लाखों रुपए से ज्यादा नुकसान होगा, यदि सरकार चाहे तो उसके पास धन अर्जन के अनेक साधन उपलब्ध हैं, आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारी स्वेच्छा से और भी दान कर सकता है लेकिन महंगाई भत्ता फ्रीज किया जाना नितांत अलोकतांत्रिक कदम प्रतीत होता है।

मोर्चा ने कहा है कि जब कर्मचारी स्वेच्छा से प्रधानमंत्री राहत कोष अथवा मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देता है तो उक्त धनराशि उसके कुल आय से घटते हुए उसे इनकम टैक्स में छूट मिल जाती है । महंगाई भत्ते को फ्रीज किए जाने पर कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली एक बड़ी धनराशि हर माह कम हो जाएगी जिससे कर्मचारियों को और पेंशनर्स को अपना परिवार चलाने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। महंगाई भत्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित होता है महंगाई बढ़ने के साथी महंगाई भत्ते की दरों का निर्धारण किया जाता है इसलिए महंगाई भत्ते को फ्रीज किया जाना कतई उचित नहीं है।

मोर्चा ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी जो नई पेंशन योजना से आच्छादित हैं, उनकी जमा राशि अभी तक अधर में है, इसलिए ऐसे संक्रमण काल में सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में बदलते हुए सरकार चाहे तो बड़ी धनराशि सरकार के उपयोग आ सकती है।

मोर्चा ने कहा कि सरकार को आर्थिक मजबूती के लिए आर्थिक सलाहकारों की मदद लेकर छोटे उद्योगों को बढ़ाकर आर्थिक मजबूती करनी होगी, वहीं महंगाई की परवाह किये बगैर रिजर्व बैंक द्वारा आवश्यक धनराशि जुटाने के लिए नोट छापने चाहिए। कर्मचारियों को विश्वास में लेकर उनका मनोबल बढ़ाने की जगह उनके महंगाई भत्ते में कटौती तत्काल वापस होनी चाहिए।