-बच्चों के डायबिटीज, गुर्दा, दिल और मूत्र रोगों का सुपरस्पेशियलिटी उपचार होगा उपलब्ध
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में बच्चों से सम्बन्धित विभागों सहित आठ नए विभागों का संचालन शीघ्र प्रारम्भ किया जायेगा। इससे संस्थान में विशेष रूप से पीडियाट्रिक मामलों के लिए सुपर स्पेशलिटी सेवाओं के विस्तार की सुविधा मिलेगी और उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों में बच्चो की आबादी मे रोगों के निदान और उपचार में मदद मिलेगी।
यह जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमन ने सूचित किया है कि सरकार की मंजूरी के बाद एसजीपीजीआई में आठ नए सुपर स्पेशलिटी विभाग शुरू किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश की आबादी का लगभग 40% हिस्सा नवजात शिशु से लेकर 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चे और किशोर हैं। उन्हें अपनी वृद्धि और विकास के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा सेवा की आवश्यकता होती है।
नये शुरू होने वाले ये आठ विभाग हैं:
- पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी विभाग
- पीडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग
- पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग
- बच्चों के हृदय संबंधी देखभाल में उत्कृष्टता केंद्र सलोनी हार्ट सेंटर ( एसएचसीईसीएचआर) के अंतर्गत कार्डियो वैस्कुलर और थोरैसिक सर्जरी विभाग
- टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य विभाग
- सिर और गर्दन की सर्जरी विभाग
- संक्रामक रोग विभाग
- ऑर्थोपेडिक विभाग
निदेशक के अनुसार पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी विभाग बच्चों मे मधुमेह रोग का निदान और उपचार करेगा और मधुमेह से पीड़ित बच्चों के समग्र प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेगा। बच्चों के हृदय संबंधी देखभाल में उत्कृष्टता केंद्र सलोनी हार्ट सेंटर के तहत कार्डियो वैस्कुलर और थोरैसिक सर्जरी विभाग जन्मजात हृदय रोगों और अन्य बाल कार्डियो-संवहनी रोगों का प्रबंधन करेगा। पीडियाट्रिक यूरोलॉजी और पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग बच्चों में होने वाले गुर्दे की बीमारियों का मेडिकल व सर्जिकल प्रबंधन करेगा। ये विभाग अंततः एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर (ए.पी.सी.) का हिस्सा बनेंगे, जो संस्थान मे निर्माणाधीन है।
इसी प्रकार संक्रामक रोग विभाग वायरल संक्रमण के व्यापक प्रबंधन और वैक्सीन विकास में मदद करेगा। सिर और गर्दन की सर्जरी विभाग सिर और गर्दन के हिस्सों की विशिष्ट सर्जरी के लिए सर्जिकल विशेषज्ञता को बढ़ायेगा। ऑर्थोपेडिक्स विभाग जो पहले से ही एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के तहत मौजूद है, के बनने के बाद ऑर्थोपेडिक्स में एमएस पाठ्यक्रम चलाया जा सकता है, जो ऑर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में प्रशिक्षित सर्जन प्रदान करेगा। सरकार ने हब (एसजीपीजीआई) और स्पोक (यूपी के छह पुराने राज्य मेडिकल कॉलेजों) पर आधारित टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य विभाग बनाने को भी मंजूरी दे दी है। यह विभाग संस्थान के विभिन्न विभागों की आउटरीच गतिविधियां शुरू करेगा और उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों को विशेष स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में सहायता करेगा।
उन्होंने आशा जतायी कि ये नए विभाग बाल चिकित्सा मामलों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेंगे और संस्थान में शिक्षण और प्रशिक्षण, रोगी देखभाल और अनुसंधान के पहलुओं को और मजबूत करेंगे।
नव निर्मित विभागों में स्वीकृत फैकल्टी और रेजीडेंट सीट