अलीगढ़ के डीएम ने अपनी पत्नी और अन्य लोगों के माध्यम से की थी उन्हें समझाने की कोशिश
मशहूर कवि गोपाल दास ‘नीरज’ अपने अंतिम समय में अपने स्वास्थ्य और जर्जर होते शरीर में हो रहे कष्टों से इतना परेशान थे कि वे स्वयं चाहते थे कि उनकी मौत हो जाए. इसीलिये बीती 11 जुलाई को यानी मृत्यु से एक सप्ताह पूर्व उन्होंने अलीगढ़ के जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी. हालांकि उनकी इच्छा मृत्यु की इच्छा सांसारिक लिखापढ़ी और औपचारिकताओं में भले पूरी नहीं हो पायीं लेकिन ईश्वर ने उनकी इच्छा जरूर एक हफ्ते बाद 19 जुलाई को पूरी कर दी और स्वाभाविक रूप से उनकी मौत हो गयी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गोपाल दास ‘नीरज’ एम्स में हुई मौत से पहले खुद ही इच्छा मृत्यु चाहते थे। आखिरी वक्त में वह अपनी बीमारी से इतना परेशान हो गए थे कि उन्होंने खुद अलीगढ़ के जिलाधिकारी सीबी सिंह को पत्र लिख दिया था कि मुझे हेलीडेथ इंजेक्शन देकर मौत चुनने दी जाए। हालांकि, डीएम ने यह पत्र लिखने के बाद उनसे बात की और इलाज का पूरा इंतजाम करवाया।
बताया जाता है कि नीरज ने बीती 11 जुलाई को यह पत्र डीएम (अलीगढ़) को भेजा था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि जिन लोगों को शारीरिक पीड़ा के कारण असमर्थता हो जाती है, वे लोग स्वेच्छा से मृत्युवरण कर सकते हैं। उनका कहना था कि अब मेरा स्वास्थ्य और शरीर इस योग्य नहीं है कि कुछ भी कर सके, इसलिए जो शरीर मेरे लिए बोझ बन गया है, मैं उससे मुक्त होना चाहता हूं। अत: आपसे निवेदन कर रहा हूं कि मुझे स्वेच्छा मृत्युवरण करने के लिए हेलीडेथ इंजेक्शन दिलवाने की कृपा करें।
इस बारे में उनके करीबी लोगों का कहना है कि उनके उम्र और बीमारी की वजह से शरीर काफी कमजोर हो गया था। वह बार-बार अस्पताल जाने में भी आना-कानी करते थे। वह खुद किसी को कष्ट नहीं देना चाहते थे, इस वजह से उन्होंने ऐसा लिख दिया होगा।
जिलाधिकारी बताते हैं …
जिलाधिकारी सीबी सिंह ने बताया कि जब मुझे उनका यह पत्र प्राप्त हुआ तो मैंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) की अगुवाई में एक मेडिकल टीम गठित कर दी। एक एडिशनल सीएमओ, नर्स, फार्मेसिस्ट उनके इलाज के लिए तैनात कर दिए ताकि उन्हें कोई कष्ट न हो। कुछ लोगों से बात कर उन्हें समझाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी भी कविताएं लिखती हैं तो वह खुद भी उनसे मिलने गईं। उनके सचिव से बात करके कहा कि यह करना ठीक नहीं है। बाद में वह आगरा चले गए, जहां से उनके एम्स भेजे जाने और फिर निधन की खबर आई।
कैसे होती है इच्छा मृत्यु
आपको बता दें कि मार्च में ही सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी है। इसे पैसिव यूथेनेशिया भी कहा जाता है। ऐसे मरीज जो कभी ना ठीक हो पाने वाली बीमारी से पीड़ित हैं और घोर पीड़ा में जीवन काट रहे हैं। कोर्ट ने उन्हें सम्मान के साथ अपना जीवन खत्म करने की अनुमति दी है। इसमें घातक या जहरीला इंजेक्शन लगाकर मौत दी जाती है।