-केजीएमयू से आ रही चिंता बढ़ाने वाली खबर, क्या होगा इलाज करने वाले अगर आ गये संक्रमण की चपेट में
-रेजीडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने लिखा केजीएमयू कुलपति को पत्र लिखकर पीपीई गियर्स की मांग की
-केजीएमयू को ‘लॉकडाउन’ करने पर विचार करने की सलाह
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में जबरदस्त लापरवाही सामने आ रही है, यहां की फीवर क्लीनिक, कोरोना ओपीडी में काम करने वाले डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों के पास एन-95 तो दूर थ्री लेयर मास्क और ग्लब्स तक नहीं है, नतीजा यह है कि यहां आने वाले कोरोना के लक्षणों वाले मरीजों में अगर किसी को कोरोना का वायरस हुआ तो संक्रमण किस तरह फैलेगा यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो रहे हैं। एक तरफ हम इन डॉक्टरों और चिकित्सा से जुड़े अन्य कर्मियों का ताली और थाली बजाकर सम्मान बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इनके पास इस संक्रमण से सुरक्षित होने का इंतजाम न होना चिंता बढ़ाने वाला है। इस सम्बन्ध में रेजीडेंट्स डॉक्टरों ने एक पत्र केजीएमयू प्रशासन को लिखकर पीपीई गियर्स तुरंत उपलब्ध कराने की मांग की है। ऐसोसिएशन का कहना है कि फैकल्टी, रेजीडेंट डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ के लिए समुचित सुरक्षा होनी चाहिये।
ज्ञात हो केजीएमयू एक ऐसी जगह है जो मरीजों का हब है, विशेषकर यह देखते हुए कि यहां कोरोना से ग्रस्त मरीज भर्ती भी हैं और यहां जांच भी हो रही है। ऐसे में पूरे केजीएमयू परिसर को भी लॉकडाउन करके यह सुनिश्चित करना होगा कि जहां डॉक्टर और अन्य कर्मी आवश्यक सुरक्षा से लैस हों वहीं परिसर में एक भी अनावश्यक व्यक्ति का प्रवेश न हो।
रेडीडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ राहुल भारत और महासचिव डॉ मो.तारिक अब्बास ने इस सम्बन्ध में कुलपति को पत्र लिखा है। यह पत्र लेकर रेजीडेंट्स डॉक्टर कुलपति से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी।
बताया जा रहा है कि यहां के कार्डियोलॉजी, पल्मोनरी, पीएमआर, नेत्र रोग विभाग सहित सभी जगह से रेजीडेंट्स डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ द्वारा मास्क और ग्लब्स की मांग की जा रही है। दरअसल बात यह है कि यहां ओपीडी बंद तो कर रखी है सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं के लिए ही ओपीडी चलाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कुछ मरीज इन ओपीडी को खुली देखकर चले आते हैं, ऐसे में उन्हें रोकना जरूरी है।
सबसे खास बात यह है कि फीवर क्लीनिक और कोरोना ओपीडी में तो कोरोना के लक्षणों वाले मरीज आ ही रहे हैं, ऐसे में इन मरीजों को देखने वाले डॉक्टरों के पास मास्क और ग्लब्स जैसी मूलभूत बचाव वाली चीजें न होना भयावह स्थिति पैदा करने को दावत दे सकता है। बताया जाता है कि रेजीडेंट्स डॉक्टर्स के अंदर इस चीज को लेकर बहुत रोष है लेकिन फिलहाल कुछ कह नहीं पा रहे हैं। लेकिन बात यह है कि वे कह पायें या नहीं, असलियत यही है कि अगर ये खुद बीमार हो गये तो आखिर मरीजों को देखेगा कौन, इसके अलावा इन डॉक्टरों का भी तो अपना परिवार है, इनसे मिलने वाले लोगों को क्या इसका खतरा नहीं होगा। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल ऐसी जगह होती है जहां से कोई भी संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, ऐसे में यहां लापरवाही ठीक नहीं है।
सेहत टाइम्स का सुझाव
केजीएमयू प्रशासन के लिए सुझाव यह है कि तत्काल प्रभाव से केजीएमयू के सभी गेट बंद करवा दे जिससे कि अंदर मरीज के तीमारदार ही आ सकें, छोटे-मोटे रोग वाले लोग न आयें। जहां तक फीवर क्लीनिक और कोरोना ओपीडी की बात है तो ऐसे लोगों के प्रवेश के लिए सिर्फ एक गेट रखें जहां से उसे यह सुनिश्चित करने के बाद ही प्रवेश करने दें कि उसे फीवर क्लीनिक ही जाना है या नहीं। इस बात को बताने के लिए भी गेट पर तैनात किसे जाने वाले गार्ड या कोई भी अन्य कर्मी उसे भी कम से कम मास्क तो देना ही चाहिये।