-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय लखनऊ ने साढ़े तीन वर्ष की सुनवाई के बाद दिया निर्णय
सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के चिकित्सक सहित उनकी टीम पर एक युवती की मौत के मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय लखनऊ ने 25 लाख रुपये के जुर्माने का आदेश दिया है। 21 वर्षीय युवती की मौत 2020 में हुई थी। युवती को सांस लेने में तकलीफ और चेस्ट पेन की शिकायत पर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। युवती के पिता द्वारा अपनी पुत्री की मौत के लिए लापरवाही का आरोप लगाते हुए 21.06.2021 को परिवाद दाखिल किया गया था, जिसका निर्णय आज 2 जनवरी, 2025 को दिया गया है।
लखनऊ के विकास नगर के रहने वाले जितेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा परिवाद संख्या 222/2021 में संस्थान के संकाय चिकित्सक, जूनियर डॉक्टर, नर्स सहित 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था। लगभग साढ़े तीन वर्ष चले परिवाद में अंतिम निर्णय देते हुए उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अमरजीत त्रिपाठी एवं सदस्य प्रतिभा सिंह द्वारा पक्ष एवं विपक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्कों का विस्तार से वर्णन करते हुए संस्थान के चिकित्सक व उनकी टीम पर 25 लाख रुपये का जुर्माना तथा वाद के खर्च के मद में 10,000 रुपये 30 दिन के अंदर भुगतान करने के आदेश दिये गये हैं।
आदेश में लिखा गया है कि विपक्षी यह साबित करने में विफल रहे हैं कि उनके द्वारा वास्तव में मरीज की उचित देखभाल की गयी थी व उस समय लागू सभी आवश्यक देखभाल मानकों का अनुपालन किया गया था। ऐसे में विपक्षी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं। आयोग ने कहा है कि इस प्रकरण की पत्रावली के सम्यक परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रस्तुत परिवाद में विपक्षीगणों द्वारा मरीज की ठीक से जांच करके उसका इलाज नहीं किया गया व मरीज के अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद उसकी स्थिति पर न तो उचित निगरानी रखी गई और न ही उसके इलाज वह देखभाल में आवश्यक मानकों का अनुपालन किया गया, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद मरीज की स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और 26.10.2020 को उसकी मृत्यु हो गई, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षीगण उत्तरदायी हैं।
आयोग द्वारा कहा गया है कि परिवादी की मृतक बेटी/मरीज नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी जिसको करने के पश्चात उसका उज्ज्वल भविष्य होता और वह अपने कार्य क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकती थी, वह अपने प्रोफेशन के माध्यम से समाज की सेवा भी करती और समाज लाभान्वित होता जिससे उसका मनोबल भी उच्च होता और साथ ही साथ में अपने परिवार का आर्थिक सहयोग भी करती, वह अच्छी जीवन शैली के साथ अपना जीवन व्यतीत करती, परंतु विपक्षीगणों की लापरवाही के कारण परिवादी की बेटी को अपना जीवन खोना पड़ा, जिसके कारण वह अपने जीवन व उज्ज्वल भविष्य से वंचित हो गये और साथ ही साथ उसका परिवार भी मानसिक रूप से पीड़ित हुआ। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विपक्षीगणों द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई है, अतः विपक्षीगण परिवादी को 25 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं।