Thursday , April 25 2024

क्‍या आप जानते हैं कि नवजातों को क्‍यों हो जाता है पीलिया

भ्रांति है कि लिवर में खराबी की वजह से होता है ज्‍वाइंडिस

लखनऊ। प्रीतू ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जन्म के समय बच्चे का वजन लगभग 2 किलो 900 ग्राम था। जन्म के एक सप्ताह बाद जब वह बच्चे को डॉक्टर के पास फॉलो अप के लिए ले गयी तब उसे डॉक्टर ने बताया कि उसके बच्चे को पीलिया  हो गया है। यह सुनकर वह परेशान हुयी कि बच्चे को लिवर संबंधी समस्या हो गयी है। तब डॉक्टर ने कहा कि नवजात बच्चों में पीलिया हो जाता है। इसका लिवर से कोई संबंध नहीं है। डॉक्टर ने प्रीतू को सलाह दी कि वह बच्चे को नियमित रूप से सुबह में सूरज की रोशनी दिखाये। ऐसा करने से पीलिया नियंत्रित  हो जाएगा। प्रीतू ने बताया कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार उसने नियमित रूप से बच्चे को सुबह में सूरज कि रोशनी दिखाई और 4 सप्ताह बाद उसके बच्चे की  रक्त की जांच कराने पर पता चला कि बच्चे में पीलिया नहीं है। प्रीतू ने बताया कि अभी तक तो मुझे यही पता था कि पीलिया लिवर में समस्या से होता है।

 

क्यों होता है पीलिया  

जब शरीर में लाल रक्त कोशिकायेँ एक तय अंतराल यानि 120 दिन में टूटती हैं तो बिलिरूबिन नाम का एक बाईप्रॉडक्ट बनता है। यह पदार्थ पहले लिवर में और फिर धीरे-धीरे मल-मूत्र के साथ शरीर से निकल जाता है, लेकिन अगर किसी कारण से लाल रक्त कोशिकायेँ 120 दिनों से पहले टूट जाती हैं तो लिवर में बिलिरूबिन की मात्रा बढ़ जाती है। इसी से पीलिया होता है, रानी अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान बताते हैं कि नवजात में पीलिया होने के निम्न कारण होते हैं।

 

1    यदि माँ का ब्लड ग्रुप (-VE) व बच्चे का ब्लड ग्रुप (-VE) है।

2    यदि माँ का ब्लड ग्रुप “o” है और बच्चे का ‘A’, ‘AB’ या ‘B’ है।

3    माँ के गर्भ में कोई इन्फेक्शन है।

4    बच्चे में G-6 PD  की कमी है G-6 PD एक एंजाइम होता है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं के लिए आवश्यक होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 60 प्रतिशत समय पर जन्मे नवजात शिशुओं व 80 प्रतिशत समय से पूर्व जन्मे नवजात शिशुओं में ये समस्या ज़्यादातर देखी जाती है। नवजात शिशुओं में पीलिया दो प्रकार के होते हैं।

फिसिओलोजिकल पीलिया अर्थात सामान्य पीलिया

1    पैदा होने के 24 घंटे बाद होता है।

2    अधिकतम तीव्रता 4.5 वें दिन स्वस्थ बच्चे में और 7वें दिन समय पूर्व जन्मे बच्चों में देखने को मिलती है।

3    बिलिरूबिन 15 mg/dl से ज्यादा नहीं होता है।

4    14 दिन में बच्चा सही हो जाता है। इलाज की जरूरत नहीं होती है लेकिन बच्चे को निगरानी में रखा जाता है।

पेथोलोजिकल पीलिया अर्थात गंभीर पीलिया

1    यह जन्म होने के 24 घंटे के अंदर हो जाता है।

2    बिलिरूबिन 15 mg/dl से अधिक हो जाता है।

3    स्वस्थ बच्चे में 2 सप्ताह से ज्यादा व समय पूर्व जन्में बच्चे में 3 सप्ताह से ज्यादा होता है। हाथ व पैर पीले दिखाई देते हैं।

 

डॉ सलमान ने बताया कि लोगों में यह भ्रांति है कि पीलिया लि‍वर में खराबी के कारण होता है जबकि नवजात में तो यह माँ के खून के टूटने से बनता है। सूरज की रोशनी इसके लिए लाभदायक होती है।  फोटोथेरपी,  विशेष प्रकार की रोशनी जो कि बिलिरूबिन को तोड़ती है, के द्वारा इसका इलाज किया जाता है। पीलिया को सूरज कि रोशनी में देखना चाहिए न कि कमरे कि रोशनी में। अगर किसी महिला के पहले बच्चे को पीलिया हुआ है तो दूसरे बच्चे को भी पीलिया होने कि संभावना अधिक होती है। इसलिए डॉक्टर से उसकी जांच अवश्य करवाएं। पीलिया सिर से पैर की तरफ बढ़ता है। यदि बच्चे के  हाथ व पैरों में पीलापन हो तो उसे डॉक्टर के पास अवश्य ले जाएं।