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क्‍या आप जानते हैं कि अजीबोगरीब सपने भी देते हैं आपको तरह-तरह की बीमारियां

-परेशानी पैदा करने वाले विभिन्‍न प्रकार के सपनों के उपचार की मौजूद हैं होम्‍योपैथिक दवायें
-सोरयासिस, अर्थराइटिस, ओवेरियन सिस्‍ट, यूट्रेस में सिस्‍ट, प्रोस्‍टेट जैसी बीमारियों के सैकड़ों मरीज हुए हैं ठीक

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना    

लखनऊ। क्‍या आप जानते हैं कि नींद के दौरान दिखने वाले सपने आपको बीमार भी करते हैं, जी हां यह सच है, सपनों का असर हमारे शरीर पर पड़ता है जिससे अनेक तरह की बीमारियां होती हैं। मनमाफि‍क सपने देखना तो अपने वश में नहीं है, लेकिन राहत की बात यह है इन सपनों और इनसे पैदा हुई बीमारियों का उपचार होम्‍योपैथी में पूरी तरह से संभव है, क्‍योंकि होम्‍योपैथी में उपचार रोग का नहीं रोगी का किया जाता है, जिस तरह से व्‍यक्तियों का स्‍वभाव अलग-अलग होता है उसी प्रकार से होम्‍योपैथिक दवाओं का सेवन भी अलग-अलग लक्षणों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

पिछले 25 वर्षों से होम्‍योपैथिक दवाओं से विभिन्‍न प्रकार के असाध्‍य कहे जाने वाले रोगों पर रिसर्च कर लगातार सफलता की पायदानों पर चढ़ रहे यहां अलीगंज स्थित गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथी रिसर्च के संस्‍थापक और वरिष्‍ठ होम्‍योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्‍ता से ‘सेहत टाइम्‍स’ ने इन सपनों की दुनिया का हकीकत की दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्‍तार से बातचीत की। आपको बता दें कि इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्‍योपैथी में छपे केसेस को लेकर महिलाओं को होने वाली बीमारियों पर डॉ गिरीश गुप्‍ता की लिखित पुस्‍तक ‘Evidence-based Research of Homoeopathy in Gynaecology’ में भी स्‍त्री रोगों में सपनों के प्रभाव का जिक्र किया गया है।

डॉ गिरीश गुप्‍ता

डॉ गुप्‍ता ने बताया कि दरअसल होम्‍योपैथी में एक से एक नायाब दवायें उपलब्‍ध हैं, बस जरूरत है उनके बारे में गहराई से अध्‍ययन करने की, क्‍योंकि एक ही दवा जिस बीमारी में एक व्‍यक्ति को फायदा करती है, यह आवश्‍यक नहीं कि वही दवा उसी बीमारी में दूसरे मरीज को भी फायदा करे, क्‍योंकि होम्‍योपैथी का सिद्धांत रोग को जड़ से समाप्‍त करना है, और जब जड़ से समाप्‍त करने की बात आती है तो हमें बीमारी के कारणों को भी जड़ से समाप्‍त करना होता है। इस प्रकार के सैकड़ों मरीजों को डॉ गुप्‍ता ठीक कर चुके हैं। इन सभी मरीजों के रिकॉर्ड रिसर्च सेंटर में मौजूद हैं। सपनों से परेशान मरीजों के केसेज के बारे में उन्‍होंने बताया कि अधिकांश मरीज अलग-अलग प्रकार की बीमारियों जैसे सोरयासिस, अर्थराइटिस, ओवरी में सिस्‍ट, यूट्रेस में सिस्‍ट, प्रोस्‍टेट की शिकायत आदि लेकर उनके केंद्र पर आते हैं तो सबसे पहले उन मरीजों की केस हिस्‍ट्री तैयार की जाती है, इस हिस्‍ट्री लेने में कई प्रकार के प्रश्‍न पूछे जाते हैं, इसी दौरान सपनों का भी पता चलता है।

इस तरह के आते हैं सपने

उन्‍होंने बताया कि जिस प्रकार के सपनों की‍ शिकायत मरीज बताते हैं उनमें कॉमन हैं ड्रीम्‍स ऑफ डेड रिलेटिव्‍स यानी जिन परिजनों की मौत हो जाती है उनके सपने, दूसरे प्रकार के सपने होते हैं डेथ ऑफ रिलेटिव यानी जो परिजन जिन्‍दा हैं उनके मरे हुए रूप को सपने में देखना। तीसरे होते हैं ड्रीम ऑफ फ्लाइंग यानी उड़ने के सपने, ये सपने देखने वाले मरीज बताते हैं कि वे उड़ते हुए न्‍यूयॉर्क, लंदन तक चले जाते हैं। इसके अलावा एक और प्रकार का सपना है ड्रीम्‍स ऑफ घोस्‍ट यानी भूत-प्रेत के सपने, एक और प्रकार है, सांप के सपने जिसमें दिखता है कि सांप दौड़ रहे हैं, रेंग रहे हैं, हमको दौड़ा रहे हैं, मरीज इसमें बहुत भय खाते हैं, एक सपना होता  है कि कुछ करना चाह रहे हैं लेकिन कर नहीं पा रहे हैं, जैसे ट्रेन-बस पकड़ने के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन पकड़ नहीं पा रहे हैं, एक है ड्रीम ऑफ मिसिंग एग्‍जाम यानी इम्‍तहान है और हम एक्‍गामिनेशन हॉल में पहुंच नहीं पाये, पहुंचे तो गेट बंद हो गया, परेशान हो रहे हैं लेकिन गेट खुल नहीं रहा है, फि‍र परीक्षा में लिख रहे हैं, और एकदम से कलम की स्‍याही खत्‍म हो गयी, तो लिख नहीं पा रहे हैं इसे ड्रीम्‍स ऑफ अनसक्‍सेसफुल एफर्ट भी कहा जाता है। एक और सपना है ड्रीम ऑफ ड्राउजिंग यानी पानी में डूबना, लोग बताते हैं कि हम सपने में देखते हैं कि हम पानी में डूब रहे हैं, चिल्‍ला रहे हैं कोई बचा नहीं रहा है। इसी प्रकार एक होते हैं धार्मिक सपने, इसमें अलग-अलग देवी देवता दिखते हैं, यहां तक कि मुस्लिमों को भी अपने धर्म से सम्‍बन्धित सपने दिखते हैं।

डॉ गिरीश गुप्‍ता ने बताया कि अगर ऐसे सपने बार-बार आते हैं तो इसका असर शरीर पर पड़ता है। वैज्ञानिक पहलू यह है कि ड्रीम का असर पूरे शरीर के अलग-अलग हिस्‍सों पर पड़ता है क्‍योंकि जगते समय जिन बातों का जो असर शरीर पर होता है वही सोते समय असर होता है, क्‍योंकि सोते समय हमारे मस्तिष्‍क का छोटा सा हिस्‍सा सोता है बाकी मस्तिष्‍क और अंग ब्रेन, हार्ट, लिवर, काम करते रहते हैं। पैथोलॉजी, फीजियोलॉजी डिस्‍टर्ब होती है और उसी से बीमारियां पैदा हो जाती हैं।

उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार एक हाई प्रोफाइल व्‍यक्ति का केस आया था, उन्‍हें प्रोस्‍टेट की शिकायत थी, जब हिस्‍ट्री पूछी गयी तो उन्‍होंने बताया कि मैं सपना देखता हूं कि मैं भाग रहा हूं, मेरा कोई पीछा करता है, एक घर में घुसता हूं, पीछा करता रहता  है, एक कमरे से दूसरे कमरे में भागता हूं तो व्‍यक्ति वहां भी उन्‍हें पकड़ने के लिए पहुंच जाता हूं, यही सोचते-सोचते आंख खुल जाती हैं तो घबराहट होने लगती है यही नहीं उन मरीज ने बताया कि दोबारा सोते हैं तो सपनों में फि‍र वहीं से शुरुआत होती है, मानों किसी ने फि‍ल्‍मी रील लगा दी हो। डॉ गिरीश गुप्‍ता ने बताया कि दरअसल इन मरीज को जब सपने आते थे तो घबराहट होती थी जिसमें दिमाग से सिग्‍नल पेशाब की थैली में पास होते थे।

एक अन्‍य महिला मरीज के बारे में उन्‍होंने बतया कि वह पैरों में तेज ऐंठन की शिकायत हो जाती थी, उन्‍होंने बताया कि डॉक्‍टरों ने उन्‍हें कैल्शियम खिलाया लेकिन फायदा नहीं हुआ, जब इनसे सम्‍पर्क किया तो हिस्‍ट्री में पता चला कि उन्‍हें मरे हुए लोगों के सपने आते थे, उन्‍हें देखकर वह रोने लगती थीं। महिला को सपने के लिए दवा दी गयी तो सपने आने में तो राहत मिली ही, पैर की ऐंठन भी ठीक हो गयी।