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‘आंगन में किलकारी’ की चाहत को न दबायें, बेझिझक आईवीएफ सेंटर जायें

-70 फीसदी जोड़ों को नहीं पड़ती है बाहर के डोनर की आवश्‍यकता

-मेयो आईवीएफ सेंटर ने जागरूकता रैली निकाल लोगों को दिया संदेश

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। बदलते जमाने में पहले कॅरियर बनाना और उसके बाद नौकरी पाने में गुजरने वाले कई वर्षों के चलते अब विवाह देर से होने लगे हैं, बढ़ती उम्र और नशे, बीमारियां जैसी वजहों से हाल के वर्षों में बांझपन की समस्‍या बढ़ गयी है। ऐसे में संतान का सुख देने वाले आईवीएफ सेंटर्स की भूमिका अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण हो चली है, ऐसे में जहां आवश्‍यकता इस बात की है, कि आंगन में किलकारी का सपना देखने वाले कपल आवश्‍यक साधनों के साथ मानक पूरे करने वाले सही आईवीएफ सेंटर का चुनाव कर वहां पहुंचें, वहीं ऐसे दम्‍पति जो आईवीएफ सेंटर पर आने में झिझक महसूस करते हैं, को भी जागरूक करने की जरूरत है।

यह बात आज यहां गोमती नगर स्थित मेयो आईवीएफ सेंटर में आयोजित जागरूकता सप्‍ताह के पहले दिन मेयो ग्रुप की चेयरपर्सन डॉ मधुलिका सिंह ने जागरूकता बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के पश्‍चात अपने सम्‍बोधन में कही। उन्‍होंने कहा कि संतान का सपना देख रहे बांझपन का शिकार कपल बेहिचक आईवीएफ सेंटर पर आयें, उन्‍होंने कहा कि करीब 70 प्रतिशत जोड़ों को संतान प्राप्ति के लिए किसी दूसरे के एग या स्‍पर्म की आवश्‍यकता नहीं पड़ती है, संतान प्राप्ति के लिए आवश्‍यक क्षमता उन्‍हीं के अंदर मौजूद मिल जाती है।

उन्‍होंने कहा कि आजकल परिस्थितियां बहुत बदल गयी हैं, युवाओं का एक लम्‍बा समय कॅरियर की प्‍लानिंग और उसके इम्‍प्‍लीटेशन में निकल जाता है नतीजा यह है कि शादियां 30 वर्ष के आसपास होने लगी हैं और उसके बाद ही बच्‍चे की प्‍लानिंग होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे गर्भधारण करने की चुनौती बढ़ती जाती है। उन्‍होंने बताया कि बहुत से मामलों में सिर्फ सही काउंसलिंग से ही संतान सुख मिल जाता है। उन्‍होंने बताया कि अब अंडों या भ्रूण को प्रिजर्व कर बैंक में रखने जैसी सुविधाएं भी उपलब्‍ध हैं। दम्‍पति जब संतान चाहते हैं तब इसका उपयोग कर लिया जाता है।

डॉ मधुलिका ने बताया कि उनके मेयो आईवीएफ सेंटर को डॉ. हृषिकेश पाई के ब्लूम आईवीएफ के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि हमारे सेंटर द्वारा राष्ट्रीय बांझपन जागरूकता सप्ताह (23 अप्रैल – 29 अप्रैल) के अवसर पर भारत में बांझपन की बढ़ती समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक जागरूकता अभियान का आयोजन किया। बस रैली में आम जनमानस में जागरूकता का प्रचार एव प्रसार करने के लिए मेयो स्कूल ऑफ नर्सिग के विद्यार्थी अपने नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लखनऊ शहर के विभिन्न इलाकों में जागरूकता अभियान चलायेंगे।

डॉ. मधुलिका सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बांझपन से लड़ने के लिए बांझपन को जानना और समझना कितना जरूरी है। भारत में बांझपन की व्यापकता लगभग 16.8 फीसदी है और हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। जनसंख्या के बीच उम्र, आहार और तनाव कारकों के महत्व के बारे में अनभिज्ञता, जिसके कारण बांझपन में वृद्धि होती है, को सामान्यीकृत नहीं किया जा सकता है, बल्कि व्यक्तिगत होना चाहिए। उन्‍होंने बताया कि भारत में हर 15 में से एक जोड़ा इनफर्टिलिटी का शिकार है। भारत में 27.5 मिलियन बांझ लोगों की आबादी है।

उन्‍होंने बताया कि मेयो आईवीएफ सेंटर, लखनऊ के सहयोग से ब्लूम आईवीएफ की चिकित्सा निदेशक डॉ. हृषिकेश पाई और डॉ. नंदिता पलशेतकर इस बड़ी समस्या के बारे में लखनऊ में जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और वे 35 से अधिक वर्षों से इस क्षेत्र में बहुत सक्रिय हैं। डॉ. हृषिकेश पाई (एफओजीएसआई, भारत के अध्यक्ष) और डॉ. नंदिता पलशेतकर (अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन) ने इस मुद्दे को अधिक कुशल तरीके से निपटने के लिए मेयो आईवीएफ सेंटर के साथ हाथ मिलाया है।

इस मौके पर डॉ रुचिका सिंह (निदेशक, मेयो आईवीएफ सेंटर), डॉ. पूर्वा सिंह (चिकित्सक, मेयो आईवीएफ सेंटर बांझपन विशेषज्ञ), अनुपमा सिंह (सीओओ, मेयो आईवीएफ सेंटर) और मेयो मेडिकल सेंटर के अन्य डॉक्टर व कर्मचारी उपस्थित थे।

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