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‘लाल बत्‍ती’ से लेकर इमरजेंसी मेडिसिन विभाग तक का सफर

-विश्‍व इमरजेंसी मेडिसिन दिवस के अवसर पर केजीएमयू ने आयोजित किया वेबिनार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। विश्व इमरजेंसी मेडिसिन दिवस (27 मई) के अवसर पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में एक वेबि‍नार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार का विषय था “Journey from Emergency Room to Emergency Medicine”. ज्ञात हो वर्षों इमरजेंसी को लाल बत्ती के नाम से जाना जाता था। जो कि बाद में इमरजेंसी के कैजुअल्टी विभाग और अब आपातकालीन चिकित्‍सा सेवाओं में पृथक रूप से इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के गठन तक का रास्ता तय कर चुकी है। उन्होंने बताया कि आज की चर्चा में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की प्रगति और महत्‍व पर चर्चा हुई।

यह जानकारी देते हुए वेबिनार के आयोजक इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हैदर अब्बास ने बताया कि‍ विश्व इमरजेंसी मेडिसिन दिवस की शुरुआत यूरोप से हुई थी, इस समय पूरे विश्व में हो चुकी है।

डॉक्टर हैदर अब्बास ने बताया कि‍ नेशनल मेडिकल कमीशन ने अक्टूबर 2020 में एक अधिसूचना जारी करके इमरजेंसी मेडिसिन को एमबीबीएस के कोर्स में अनिवार्य रूप से शामिल कर दिया है। इसके साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन का पृथक विभाग बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि देश में कुछ स्थानों पर चिकित्सा संस्थान एमडी और डीएनबी पोस्टग्रेजुएट कोर्स का संचालन भी कर रहे हैं।

डॉक्टर अब्बास ने बताया कि इस विभाग के गठन का व्यावहारिक लाभ यह है कि जब भी कोई मरीज इमरजेंसी में आता है तो उसे मेडिसिन विभाग का विशेषज्ञ अटेंड करता है इससे शुरुआत से मरीज का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट सही दिशा में शुरू हो जाता है।

डॉक्टर अब्बास ने बताया कि आज के वेबि‍नार में मेदांता हॉस्पिटल के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ लोकेंद्र गुप्ता के अलावा डॉ उत्सव मणि सहित अनेक रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की स्थापना 2016 में हुई थी इस समय 24 घंटे विभाग का संचालन हो रहा है। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी आईसीयू के 6 बेड संचालित किए जा रहे हैं जिससे इमरजेंसी में पहुंचते अतिगंभीर मरीज को भी तुरंत सुविधा मिलना शुरू हो जाती है।