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आयकर के दायरे में न होने के बाद भी शिक्षकों के पारिश्रमिक से कटौती अनुचित

-रोक लगाने के लिए डॉ राय ने तर्कसहित लिखा पीएम से लेकर कुलपति तक को पत्र

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता व लखनऊ खंड शिक्षक एमएलसी प्रत्‍याशी डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने महाविद्यालयों में कार्यरत वित्तविहीन शिक्षकों को उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में मिलने वाले पारिश्रमिक से 10% की आयकर कटौती को समाप्त किये जाने की मांग की है।

डॉ राय ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति तथा डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति को पत्र भेजकर यह मांग की है। है डॉ राय ने अपने अपने पत्र में कहा है कि महाविद्यालयों में कार्यरत वित्तविहीन शिक्षकों द्वारा संगठन के संज्ञान में लाया गया है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में स्ववित्तपोषित शिक्षकों के मूल्यांकन पारिश्रमिक से 10% की कटौती करके ही उन्हें भुगतान दिया जाता है। डॉ राय का कहना है कि इस समय उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में कोर्ट के आदेश एवं शासन की गाइडलाइन के अनुसार स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों के वेतन निर्धारित करने की प्रक्रिया चल रही है,  शासन द्वारा न्यूनतम वेतन 21, 600 प्रतिमाह निर्धारित किया गया है।

उन्‍होंने लिखा है कि इसका अर्थ यह हुआ अभी तक वित्त पोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों को इससे कम ही वेतन मिलता था। डॉ राय ने कहा है कि अगर यह भी मान लिया जाए 21600 रुपये वेतन मिल रहा है, तब भी शिक्षक का पूरे वर्ष का वेतन 2,59,000 ही हुआ। इसके अतिरिक्त मूल्यांकन के रूप में उसको मिलने वाले अधिकतम पारिश्रमिक 60,000 रुपये अगर उसको मिलते हैं तो भी वह पूरे साल की आय यपर आयकर दायित्व से मुक्त रहेगा। डॉ राय का कहना है कि ऐसी स्थिति में 10 प्रतिशत की आयकर कटौती इन शिक्षकों से करना अमानवीय होगा।