देश-विदेश से आये एक्सपर्ट्स की देखरेख में 40 महिलाओं के किये गए जटिल ऑपरेशन
लखनऊ. महिलाओं के जननांगों से सम्बंधित अनेक प्रकार के रोगों जिनमें सामान्यतः बड़ा सा चीरा लगाकर सर्जरी होती रही है. ऐसे रोगों से ग्रस्त 40 महिलाओं की जटिल शल्यक्रिया आज बिना चीरा लगाए दूरबीन विधि की मदद से की गयी. मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी के माध्यम ये सर्जरी विदेश तथा देश से आये एक्सपर्ट्स की देखरेख में की गयीं. विदेश से आये विशेषज्ञों में डा0 मार्सिलो इटली से एवं डा. अजय राने ऑस्ट्रेलिया से आये हुए हैं. आज जिन रोगों के लिए सर्जरी की गयीं उनमें गर्भाशय का सही जगह न होना, गर्भाशय का ट्यूमर, रसौली की सर्जरी, गर्भाशय का जन्म से ही बाहर होना, सेक्टम की विकृति, ट्यूबरकुलोसिस की वजह से फैलोपियन ट्यूब का चिपक जाना, खांसते-छींकते समय मूत्र का निकल जाना, मलद्वार बाहर आ जाना जैसे जटिल रोग शामिल हैं. इन रोगों में वे रोग भी शामिल हैं जिनके कारण महिला माँ नहीं बन पाती है.
इस बारे में और जानकारी देते हुए केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति विभाग की प्रोफ़ेसर और कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ. उर्मिला सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य यहाँ की अधिकतर सर्जन द्वारा किये जाने वाले जो जटिल सर्जरी अभी तक चीरा लगा कर की जाती हैं, उन सर्जरी को बिना चीरफाड़ के करना सिखाना था. इसका लाभ भविष्य में यह हो सकता है कि बिना चीरा लगाए यहाँ के सर्जन भी ये ऑपरेशन कर सकते हैं. कार्यशाला में इण्डोस्कोपी के माध्यम से मिनिमल इंवेसिव सर्जरी के जरिए महिलाओं की सभी तरह के जटिल शल्य क्रियाओं को किया गया, तथा इसका सजीव प्रसारण भी किया गया. उन्होंने बताया कि आज हुई सर्जरी करीब 700 से 800 डॉक्टरों ने देखी तो उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में इस एडवांस सर्जरी का लाभ मरीजों को अवश्य होगा. उन्होंने बताया कि अभी भी कुछ डॉक्टरों द्वारा इस तरह की सर्जरी की जा रही हैं लेकिन ज्यादा से ज्यादा मरीजों को अच्छी तकनीक से आधुनिक सर्जरी होने का लाभ मिले तो यह तो अच्छी बात है.
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में इण्डियन एसोसिएशन ऑफ़ गायनोकोलौजिकल एंडोस्कोपिस्ट्स का वार्षिक सम्मेलन लखनऊ आब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनकोलाजी सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया। प्रो0 उर्मिला सिंह ने बताया कि अधिवेशन के पूर्व दूरबीन विधि, लैप्रोस्कोपी से गर्भाशय के ट्यूमर, रसोली के आपॅरेशन, हिस्ट्रोस्कोपी से गर्भाशय की जांच एवं मूत्रजनन सम्बंधित रोगों की विभिन्न प्रकार की सर्जरी चिकित्सा विश्वविद्यालय के शताब्दी फेज-1 स्थित, सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग की ओटी में एंडोस्कोपी के माध्यम से की गयी तथा जिसका सजीव प्रसारण किया गया। उपरोक्त शल्य क्रिया के अंतर्गत 40 महिलाओं का 40 चिकित्सकों द्वारा 6 आपरेशन थियेटर में विभिन्न मूत्रजनन अंग सम्बंधी विभिन्न शल्य क्रिया की गई।
कार्यशाला का उद्घाटन चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मदनलाल ब्रह्म भट्ट द्वारा सम्पन्न हुआ। प्रो0 भट्ट ने कहा कि इस प्रकार का सम्मेलन चिकित्सकों के ज्ञान में वृद्धि करता है तथा मरीजों की समस्याओं के निदान के लिए नई-नई तकनीकों के संदर्भ में पता चलता है। कार्यशाला की सह-अध्यक्ष डा0 अंजु अग्रवाल, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, केजीएमयू ने बताया कि कार्यशाला में इण्डोस्कोपी के माध्यम से मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के जरिए महिलाओं की सभी तरह के जटिल शल्य क्रियाओं को किया गया। इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सर्जन भी शामिल हुए। इस तरह की शल्य क्रियाओं से बिना चीरा लगाए ही महिलाओं की विभिन्न प्रकार की समस्याओं का निदान किया जाता है।
डा. नूतन जैन, मुफ्फरनगर द्वारा एक 18 वर्ष की युवती की बच्चेदानी का इण्डोस्कोपी के माध्यम से आपरेशन कर उसको सही जगह पर फिक्स किया गया । डा0 जैन ने बतया कि उपरोक्त युवती की जन्म से ही बच्चेदानी बाहर थी जिसको अब सही जगह पर बिना चीरा लगाए फिक्स कर दिया गया है। डा0 जैन ने बताया की कुछ केसों में ये दिक्कतें कंजेनाईटल होती हैं तथा ऐसी औरतों में भी यह समस्या पाई जाती है जिनका प्रसव अप्रशिक्षित दाईयों द्वारा कराया गया हो।
इस कार्यशाला में डॉ. मंजु शुक्ला ने बताया कि हिस्ट्रोस्कोपी के माध्यम से औरतों के जननांग सम्बंधित विभिन्न अंदरूनी जांचों को किया जा सकता है। कई बार औरतो में सेक्टम की विकृति के कारण गर्भधारण करने में कठिनाई होती है जिसे इण्डोस्कोपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता हैं। कानपुर से आई डॉ. विनिता अवस्थी ने बताया कि भारतीय महिलाओं में ट्यूबरकुलोसिस की वजह से फैलोपियन ट्यूब के चिपक जाने के मामले ज्यादा आते हैं जिनकी वजह से वो माँ नहीं बन पाती हैं। ऐसी महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब को इण्डोस्कोपी के माध्यम से रिपेयर किया जा सकता है या ऐसी महिलाओं के ट्यूब को भी जोड़ा जा सकता है जिनके फैलोपियन ट्यूब किसी वजह से कट गया हो।
डा0 अजय नारे द्वारा मूत्रजनन सम्बंधित शल्य क्रिया को किया गया एवं इसके बारे बातया गया। डॉ. अजय ने बताया कि स्ट्रेस यूरीनरी इनकंटीनेंस की वजह से महिलाओं में खांसने, छींकते वक्त मूत्र निकल जाता है तथा वो मूत्र के वेग को सहन नहीं कर पाती हैं ऐसे मरीजों में जब समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तो उनमे इंडोस्कोपी के माध्यम से जाली लगाकर उसे ठीक किया जा सकता है। सम्मेलन की आयोजक सचिव डॉ. प्रीति कुमार ने वीवीएफ साइको वेजाइनल फिस्टुला के बारे में बताया कि जिन महिलाओं के मलद्वार बाहर की ओर आ जाता है ऐसी महिलाओं के मलद्वार की इस समस्या को लैप्रोस्कोपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। पहले इसके लिए ओपेन सर्जरी करनी पड़ती थी। इण्डोस्कोपी में थ्री डी टेक्निक का आना अब वरदान साबित हो गया है।
उपरोक्त कार्यशाला में डॉ. ऋषिकेश पई, डॉ. नन्दिता पलशेत्कर, डॉ. सुनीता, डॉ. शैलेश, डॉ. प्रकाश त्रिवेदी और देशभर के नामचीन लैप्रोस्कापिक सर्जन्स ने दूरबीन विधि से ऑपरेशन की आधुनिकतम तकनीक का सजीव प्रदर्शन किया। कार्यशाला में देश एवं प्रदेश की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यशाला की आयोजन अध्यक्ष डॉ. चन्द्रावती एवं डॉ. अभिजीत चन्द्रा, विभागाध्यक्ष गैस्ट्रोइंट्रोलाजी सर्जरी विभाग का विशेष सहयोग रहा।