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होम्‍योपैथिक चिकित्‍सकों के लिए भी सीएमई की अनिवार्यता पर विचार

-नेशनल कमीशन ऑफ होम्‍योपैथी के एजूकेशनल बोर्ड के प्रेसीडेंट डॉ तारकेश्‍वर जैन ने दी जानकारी

-इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोटिंग होम्‍योपैथी के 100वें वेबिनार का आयोजन

डॉ तारकेश्वर जैन व डॉ गिरीश गुप्ता

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। होम्‍योपैथिक चिकित्‍सकों को अपनी प्रैक्टिस जारी रखने के लिए सतत चिकित्‍सा शिक्षा (सीएमई) में भाग लेकर आवश्‍यक प्‍वॉइंट अर्जित करना अनिवार्य किये जाने पर विचार किया जा रहा है। ऐसे में इन चिकित्‍सकों के लाइसेंस को तभी रिन्‍यू किया जायेगा जब उन्‍होंने होम्‍योपैथिक सेमिनार में भाग लेकर आवश्‍यक अंक हासिल किये होंगे। ज्ञात हो वर्तमान में सीएमई की प्रक्रिया आधुनिक पद्धति ऐलोपैथिक में अनिवार्य है, इसमें चिकित्‍सकों को भाग लेकर अपने अर्जित अंकों का विवरण देना आवश्‍यक है।

होम्‍योपैथिक चिकित्‍सकों के लिए सीएमई की अनिवार्यता पर विचार किये जाने की जानकारी नेशनल कमीशन ऑफ होम्‍योपैथी के एजूकेशनल बोर्ड के प्रेसीडेंट डॉ तारकेश्‍वर जैन ने आज एक अंतर्राष्‍ट्रीय वेबिनार में मुख्‍य अतिथि के रूप में अपने सम्‍बोधन में दी। ज्ञात हो इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोटिंग होम्‍योपैथी (आईएफपीएच) के तत्‍वावधान में हिन्‍दी, अंग्रेजी सहित कई अन्‍य भाषाओं में डेली वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। आज 20 जुलाई को आईएफपीएच के हिन्‍दी वेबिनार के सौवें एपिसोड का आयोजन किया गया। इस आयो‍जन में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में लखनऊ स्थित गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च के चीफ कन्‍सल्‍टेंट डॉ गिरीश गुप्‍ता, नेशनल होम्‍योपैथिक कॉलेज, लखनऊ की रीडर डॉ नूतन शर्मा और जमशेदपुर के डॉ कुलवंत सिंह को आमंत्रित किया गया था।


डॉ जैन ने कहा कि आईएफपीएच द्वारा आयोजित किये जा रहे वेबिनार प्रशंसनीय हैं। इन वेबिनार में कितने लोगों ने हिस्‍सा लिया, इसका पता तो आसानी से हो जाता है लेकिन इतना ही काफी नहीं है, जरूरी यह है कि ये वेबिनार कितने सार्थक हैं, ऐसे में मेरा अनुरोध है कि एक ऐसा सर्वे करायें जिसमें यह पता चल सके कि इन वेबिनार में भाग लेने वाले चिकित्‍सकों के लिए यह कितना उपयोगी रहा, उनका कितना लर्निंग डेवलेपमेंट हुआ, उन्‍होंने इन वेबिनार से क्‍या हासिल किया, उनका अनुभव कैसा रहा। इससे सीएमई की अनिवार्यता किये जाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि कमीशन द्वारा होम्‍योपैथी शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। इसकी इंटर्नशिप का प्रोग्राम भी बदला गया है। उन्‍होंने बताया कि जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि स्‍टूडेंट्स को जॉब मिलने में आसानी हो। ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है कि स्‍टूडेंट्स को प्रथम वर्ष से ही ओपीडी में बैठाया जाये। उन्‍होंने कहा कि कमीशन द्वारा राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ट्रेनिंग सेंटर खोले जायेंगे।

इससे पूर्व वेबिनार की शुरुआत डॉ एमके साहनी के स्‍वागत भाषण से हुई। उन्‍होंने मुख्‍य अतिथि तथा विशिष्‍ट अतिथियों का परिचय देते हुए सभी का स्‍वागत किया। उन्‍होंने कहा कि होम्‍योपैथिक को बढ़ावा देने में डॉ तारकेश्‍वर जैन का महत्‍वपूर्ण योगदान है। उन्‍होंने कहा कि फोरम उन्‍होंने सम्‍मानित करने में गर्व महसूस कर रही है, उन्‍होंने कहा कि मेरा अनुरोध है कि हम सब में सबसे वरिष्‍ठ सदस्‍य डॉ गिरीश गुप्‍ता डॉ तारकेश्‍वर को सम्‍मानित करें। डॉ गिरीश ने वर्चुअली रूप से डॉ तारकेश्‍वर को सम्‍मानित करते हुए कहा कि डॉ तारकेश्‍वर का नेतृत्‍व डायनिमिक है, भारत ही नहीं बल्कि विश्‍व की प्रथम होम्‍योपै‍थ्रिक यूनिवर्सिटी के गठन में उनका बड़ा योगदान है। डॉ गिरीश ने कहा कि वर्तमान में बीएचएमएस करने वाले छात्रों की ट्रेनिंग उतनी अच्‍छी नहीं हो रही है, जितनी अच्‍छी होनी चाहिये। उन्‍होंने कहा कि स्‍टूडेंट्स की क्‍लीनिकल ट्रेंनिंग, अच्‍छा अनुभव और शोध कार्य किये जाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि शोध के लिए आवश्‍यक है कि छात्रों को डॉक्‍यूमेंटेशन करना सिखाया जाये जिससे शोध कार्य करते हुए वे दवा के वैज्ञानिक महत्‍व को भी साक्ष्‍य के रूप में प्रस्‍तुत कर सकें। उन्‍होंने कहा कि मैं डॉ जैन को साधुवाद देते हुए कहा कि यह डॉ तारकेश्‍वर जैन का होम्‍योपैथिक के प्रति समर्पण ही है कि वे कार में यात्रा करते हुए भी वेबिनार में हिस्‍सा ले रहे हैं।

एक अन्‍य विशिष्‍ट अतिथि डॉ नूतन शर्मा ने कहा कि डॉ जैन ने जिस प्रकार से बीएचएमएस के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए ट्रेंनिंग प्रोग्राम बनाया था, वैसा ही ट्रेनिंग प्रोग्राम दूसरे वर्ष के छात्रों के लिए भी बनायें तो बहुत अच्‍छा होगा। उन्‍होंने कहा कि मेरा यह सुझाव है कि चिकित्‍सा ही नहीं टीचिंग टेस्‍ट भी होना चाहिये जिससे छात्रों में टीचिंग की योग्‍यता भी विकसित हो सके। उन्‍होंने बताया कि उनके संस्‍थान नेशनल होम्‍योपैथिक कॉलेज लखनऊ में इसी साल पीजी कोर्स भी शुरू हुआ है।

विशिष्‍ट अतिथि डॉ कुलवंत सिंह ने कहा कि डॉ तारकेश्‍वर जैन के कार्य करने का अंदाज खास है, उन्‍होंने कहा कि यह मेरा अनुभव भी है किे डॉ तारकेश्‍वर अपना लेक्‍चर देते हुए मंच पर ही नहीं रहते हैं, बल्कि वे सुनने वालों के बीच में भी चले जाते हैं, जिससे उनकी बात लोगों को गहरे तक समझ में आ जाती है।

वेबिनार में अध्‍यक्षीय भाषण देते हुए डॉ इस्‍माइल सेट ने कहा कि होम्‍योपैथी को दुनिया भर में फैलाना है। उन्‍होंने कहा कि चिकितसकों को चाहिये एक रोग एक मेडिसिन कार्य करें, इसके लिए जितना भी पढ़ना हो, पढ़ें। हमें होम्‍योपैथी को बढ़ाना होगा। वेबिनार को डॉ शाजी वर्गीज ने सम्‍बोधित करते हुए आईएफपीएच के बारे में जानकारी दी, उन्‍होंने बताया कि अब तक 70 देशों के लोग हमारी वेबिनार शृंखला से जुड़ चुके हैं।

डॉ दीप माला ने कहा कि मैं वेबिनार की रेगुलर भागीदार हूं, मुझे इससे बहुत अच्‍छी जानकारियां हासिल हुई हैं, इन्‍हें मैं अपनी प्रैक्टिस में आजमाती हूं। वेबिनार को डॉ अहमद हसन, डॉ मेरियन सैलसिडो, डॉ धनेश जयसिम्‍हा, डॉ बिंदुराज बालचंद्रन ने भी सम्‍बोधित किया। अंत में औपचारिक धन्‍यवाद डॉ डॉ संदीप पीटर ने रखते हुए डॉ तारकेश्‍वर जैन, डॉ गिरीश गुप्‍ता, डॉ कुलवंत और डॉ नूतन शर्मा का विशेष आभार जताया। वेबिनार का समापन राष्‍ट्रगान के साथ हुआ।

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