Sunday , April 28 2024

कैंसर सुपरस्पेशियलिटी इंस्टीट्यूट के डॉक्टर 11 दिसम्बर से बेमियादी हड़ताल पर

-संस्थान को राजकीय मेडिकल कॉलेज की तरह माने जाने के शासनादेश पर भड़की फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन

-संस्थान की परवरिश और कार्य सुपर स्पेशियलिस्ट की तरह, तो दर्जा एसजीपीजीआई की तरह क्यों नहीं

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान केएसएसएससीआई के सुपर स्पेशियलिस्ट चिकित्सक सोमवार 11 दिसम्बर को प्रात: 8 बजे से बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं, इसी के साथ सभी संकाय प्रभारी तत्काल प्रभाव से अपना प्रभार छोड़ रहे हैं, हालांकि मरीजों के हितों को देखते हुए ​फिलहाल इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।

अचानक हड़ताल पर जाने की वजह राज्य सरकार का वह शासनादेश है जो 8 दिसम्बर, 2023 को जारी हुआ है, इस शासनादेश में संस्थान के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के अनुरूप मानते हुए 7वें वेतन आयोेग की सिफारिशें लागू करने को कहा गया है। जबकि डॉक्टरों की एसोसिएशन का कहना है कि एक तरफ सरकार इसे एपेक्स कैंसर इंस्टीट्यूट बनाना चाहती है। सरकार के विशेष सचिव जयंत नार्लीकर ने भी 24 दिसम्बर, 2018 को कैंसर संस्थान की एसजीपीजीआई के साथ समानता सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा था। संस्थान के शासी निकाय ने 7 मई 2022 को एसजीपीजीआई की समानता के लिए सिफारिश की थी जिसके लिए संस्थान उपनियम 26 में संशोधन पारित किया गया था। यही नहीं, यह मैटर इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित भी है, ऐसे में संस्थान की ओर से राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह की सिफारिश लागू करने के लिए सरकार को पत्र भेजने का क्या औचित्य है।

संस्थान के शासी निकाय की बैठक में यह प्रस्ताव स्वीकृत हो गया था कि संस्थान में वेतन-भत्ते संजय गांधी पीजीआई की तरह ही अनुमन्य होंगे, तो आखिर संस्थान की ओर से 9 नवम्बर, 2023 में शासन को भेजे गये पत्र में शासी निकाय द्वारा संस्थान में वेतन-भत्ते एसजीपीजीआई के समान देने के अनुमोदित प्रस्ताव का जिक्र क्यों नहीं किया गया है। इसके विपरीत पत्र में राज्य सरकार के 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की सिफारिश शासन को भेजी गयी जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

एसएससीआई (सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट) एंड फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन यूपी के सचिव डॉ विजेन्द्र सिंह ने निदेशक को लिखे पत्र में विस्तार से इस विषय में पुराने पत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि इस संस्थान को उत्तर प्रदेश राज्य के लिए अत्याधुनिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कैंसर देखभाल करने वाला राज्य का शीर्ष कैंसर संस्थान बनाने की परिकल्पना की गयी है। पत्र में कहा गया है कि 2016 में शुरुआत से हमारी भर्ती का पैटर्न और विभाग एसजीपीजीआई की तरह से विकसित किये गये हैं विभाग एसजीपीजीआई जैसे सुपर स्पेशियलिटी इंस्टीट्यूट की तरह कार्य भी कर रहे हैं न कि राजकीय मेडिकल कॉलेज की तरह। पत्र में कहा गया है कि बहुत से सुपर स्पेशियलिस्ट संस्थान को इसीलिए छोड़ कर जा चुके हैं क्योंकि यहां एसजीपीजीआई जैसी समानता नहीं है। एसोसिएशन ने कैंसर मरीजों के हित में 8 दिसम्बर, 2023 को जारी शासनादेश को रद करवाने का अनुरोध निदेशक से किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.