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एसजीपीजीआई में चल रहे कॉकलियर इम्‍प्‍लांट कार्यक्रम को विस्‍तार देने का आह्वान

-वर्ल्‍ड हियरिंग डे पर पीजीआई में आयोजित हुए जागरूकता कार्यक्रम सुनोसुनाओ

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। कम सुनने की समस्‍या वाले बच्‍चों को सुनने लायक बनाने के लिए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में की जाने वाली सर्जरी कॉकलियर इम्‍प्‍लांट कार्यक्रम की सराहना करते हुए निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने इसे और आगे बढ़ाने में संस्थान की ओर से पूरा सहयोग देने का आश्वासन देते हुए इस बात पर जोर दिया कि शुरुआत से ही बच्चों की इस बात की जांच की जानी चाहिए की कहीं उन्हें कम सुनाई तो नहीं पड़ रहा है और ऐसा पाए जाने पर उनका शीघ्र अति शीघ्र इलाज किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिये।

प्रोफेसर धीमन ने यह बात आज वर्ल्ड हियरिंग डे पर संस्थान के न्यूरो ऑटोलॉजी इकाई द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम ‘थर्ड सुनो-सुनाओ में अपने संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि अनेक कारण हैं जिससे श्रवण शक्ति की हानि होती है, इन वजहों को जानकर उसकी रोकथाम और जिन बच्चों के श्रवण शक्ति कम हो चुकी है उनकी शीघ्र पहचान कर उपचार और प्रबंधन किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में उपस्थित संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफ़ेसर गौरव अग्रवाल ने कम सुनने वाले व्यक्तियों की शीघ्र पहचान और उनके पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर अग्रवाल ने संस्थान परिसर में कम शोर-शराबा वाले माहौल के लिए कदम उठाए जाने पर भी जोर दिया। न्यूरो सर्जरी विभाग के कार्यवाहक प्रमुख प्रोफेसर अवधेश कुमार जायसवाल ने न्यूरो ऑटोलॉजी इकाई द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए वयस्कों के श्रवण शक्ति कम होने के संबंध में विभाग द्वारा शुरू की गई पुस्तक के बारे में जानकारी दी।

इस मौके पर हियरिंग लॉस के बारे में जागरूकता को लेकर वीडियो पुरस्कार सत्र का भी आयोजन किया गया इसमें स्कूली बच्चों और विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इन बच्चों का पूर्व में कोकलियर इंप्लांट् करके इनके पुनर्वास की व्यवस्था की जा चुकी है।

इस मौके पर संस्थान के विभिन्न विभागों के कई वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने भी हिस्सा लिया और अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले मरीजों की श्रवण शक्ति की हानि के अपने अनुभव साझा किए। इस मौके पर जिन वरिष्ठ डॉक्टरों ने सेवा शक्ति बचाए रखने की महत्ता, तनाव और श्रवण शक्ति बचाए रखने के प्रति जागरूकता के कार्यक्रम में अपने-अपने विचार रखे उनमें पलमोनरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर आलोक नाथ, नियोनेटोलॉजी विभाग की डॉ कीर्ति एम नरंजे, नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर नारायण प्रसाद, जनरल फिजीशियन डॉ प्रेरणा कपूर, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर बनानी पोद्दार, एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर प्रीति दबड़घाओ शामिल रहे।

इस जागरूकता कार्यक्रम में करीब 70 से ज्यादा लोगों ने भौतिक रूप से उपस्थित होकर भाग लिया जबकि 50 लोगों ने ऑनलाइन मोड पर भाग लिया।

इस मौके पर वयस्क और बुजुर्ग रोगियों के लिए हिंदी भाषा में एक विशेष रोगी सूचना पुस्तिका जारी की गई इस पुस्तिका में शमा हानि उसके लिए रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले कदमों और इसके उपचारात्मक पहलुओं की व्याख्या की गई है।

ज्ञात हो संस्थान में न्यूरो ऑटोलॉजी यूनिट डॉक्टर अमित केसरी की अध्यक्षता में न्यूरो ऑटोलॉजी यूनिट कार्य कर रही है इसमें सीनियर रेजिडेंट ऑडियोलॉजी और स्पीच थेरेपी प्रोफेशनल के साथ ही ऑपरेशन थिएटर स्टाफ की एक टीम है इस टीम द्वारा कोकलियर इंप्लांट्स जैसे बड़ी सर्जरी की जाती है संस्थान में अब तक 400 से अधिक कोकलियर इंप्लांट किए जा चुके हैं इस यूनिट द्वारा प्रत्येक आयु वर्ग के बच्चों के साथ-साथ वयस्कों में भी होने वाली हियरिंग लॉस की देखभाल की जाती है।

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