सेहत का ख़याल रखकर लें दीपावली की खुशियों का आनंद
लखनऊ. प्रकाश, दीपों, खुशियों एवं उल्लास का पर्व है दीपावली। जहां दीपावली अनेक खुशियां लेकर आती है वहीं पर जरा सी लापरवाही आपकी खुशियों पर ग्रहण लगा सकती है आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है इसलिये दीपावली के पर्व पर सेहत का ख़याल रखकर दीपावली की खुशियों का आनन्द लें। दीये जलाने के लिए सरसो के तेल का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि बाज़ार में कई प्रकार के मिलावटी तेल आ रहे है, जिसके धुएं से निकलने वाली गैस पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं.
इस बारे में होम्योपैथ विशेषग्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि दीपावली में खुशी मनाने के लिये बच्चे एवं वृद्ध सभी आतिशबाजी, पटाखे, फुलझड़िया, बम आदि जलाते है, इनसे निकलने वाले जहरीले धुएं में अनेक खतरनाक रासायनिक तत्व होते है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। पटाखों से निकलने वाला धुआं बहुत ऊपर नहीं जा पाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी, खांसी, सांस फूलने आदि की समस्या हो सकती है। पटाखों के धुऐं के कण फेफड़े के अन्दर चले जाते है जिससे ब्रांकाइटिस की समस्या हो सकती है। इस धुयें के कारण दमा के रोगियों को ज्यादा परेशानी हो सकती है।
पटाखों आदि से निकलने वाले धुयें का सबसे अधिक कुप्रभाव त्वचा पर पड़ता है। इस धुयें से निकलने वाले रसायनों से एलर्जी खुजली आदि की दिक्कतें हो सकती है, साथ ही पटाखों, अनार से निकलने वाली चिंगारी यदि त्वचा पर पड़ जाये तो घाव हो सकता है। आतिशबाजी की तेज रोशनी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। यदि आतिशबाजी की एक चिंगारी भी आंख में पड़ जाये तो आंख की रोशनी भी जा सकती है। आतिशबाजी के धुयें से आंखों में दर्द, जलन, आखों का लाल होना, आखों से आँसू आना, कन्जक्टवाइटिस आदि परेशानियां हो सकती हैं।
डॉ. वर्मा ने कहा कि आतिशबाजी एवं पटाखे की तेज आवाज के कारण ध्वनि प्रदूषण से कानों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। बहुत ज्यादा तेज आवाज सुनने से अनेक दिक्कतें हो सकती है, यहां तक की कम सुनाई पड़ना एवं बहरापन भी हो सकता है। पटाखों के तेज आवाज से हृदय रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। पटाखों की तेज आवाज मरीजों को सबसे ज्यादा तकलीफ पहुंचाती है।
डॉ. अनुरुद्ध वर्मा का कहना है कि यदि आप पटाखे दगाते ही हैं तो कम आवाज के पटाखे दगायें। पटाखे खुली जगह पर ही दगायें, जहा पर पटाखे दगा रहे है वहां पर पानी की बाल्टी अवश्य रखें। पटाखे दगाते समय केवल सूती एवं पूरी बांह के कपड़े ही पहनें क्योंकि टेरीकाट के कपड़े बहुत जल्दी आग पकड़ लेते है। दीपावली के अवसर पर दीप केवल सरसों के तेल से ही जलायें बाजार में अनेक ऐसे तेल भी मिलते है जो मिटावटी होते है जिनके धुयें से निकलने वाली गैसें पर्यावरण प्रदूषित करती है साथ ही साथ स्वास्थ्य के लिये भी नुकसानदायक होती है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि दीपावली पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत इस बात की है की इस मौके पर मिठाईयों की मांग बढ़ जाने के कारण बाजार में मिलावटी मिठाईयों की बाढ़ आ जाती है। मिठाईयां बनाने में प्रयोग होने वाला तेल, मिलावटी खोया एवं रासायनिक रंग सेहत के लिये खतरनाक होता है। इससे पेट सम्बन्धी परेशानियां जैसे उल्टी, दस्त, पेट में जलन, खट्टी डकार, गैस पेट दर्द, पीलिया आदि गम्भीर समस्यायें उत्पन्न हो सकती है। इन परेशानियों से बचने के लिये जरूरी है कि बाजार की मिठाईयां एवं खाने पीने के सामान का प्रयोग कम से कम किया जाये तथा घर की बनी चीजों, फल एवं ड्राई फूड का प्रयोग अधिक से अधिक किया जाये। जिससे दीपावली पर होने वाली परेशानियों से बचा जा सके और आप खुशी पूर्वक दीपावली मना सकें।