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केजीएमयू में शुरू हुआ बोटोक्‍स विधि से ऐकेलेशिया कार्डिया का इलाज

-मरीज को खाद्य पदार्थ निगलने में दिक्‍कत होती है इस बीमारी में

-देश के चुनिंदा अस्‍पतालों में ही होता है बोटोक्‍स विधि से इलाज

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग में पहली बार ऐकेलेशिया कार्डिया का इलाज बोटोक्‍स इंजेक्‍शन विधि से किया गया। इस विधि में मरीज को इंडोस्‍कोपी विधि से इंजेक्‍शन लगाया जाता है। इस मौके पर एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया जिसमें मुख्‍य वक्‍ता के रूप में संजय गांधी पीजीआई के प्रो यूसी घोषाल ने भाग लिया। उन्‍हीं के मार्गदर्शन में मरीज को इंजेक्‍शन केजीएमयू के प्रोफेसर डॉ अजय कुमार पटवा द्वारा लगाया गया।

यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष डॉ वीरेन्‍द्र आतम ने बताया कि करीब 10 दिन पहले केजीएमयू में 18-19 वर्षीया एक युवती डिस्‍फेजिया (खाद्य पदार्थ निगलने की समस्‍या) से ग्रस्‍त होकर डॉ अजय कुमार पटवा के अंतर्गत भर्ती हुई थी। मरीज का वजन लगातार कम हो रहा था और उसे आगे कुपोषण से जान का खतरा हो सकता था।

परिस्थितियों को देखते हुए इसका इलाज बोटोक्‍स इंजेक्‍शन से करने का निर्णय लिया गया। केजीएमयू में पहली बार हुई इस प्रक्रिया से इलाज के लिए तैयारी की गयी। बोटोक्‍स इंजेक्‍शन से इलाज के ऊपर आज एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, इसमें संजय गांधी पीजीआई के प्रोफेसर यूसी घोषाल ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। प्रोफेसर यूसी घोषाल के ही मार्गदर्शन में डॉ अजय कुमार पटवा ने एंडोस्कोपी विधि से बोटोक्स इंजेक्शन देने की प्रक्रिया पूरी की।

डॉ वीरेंद्र आतम ने बताया कि‍ इस बीमारी के मरीजों की संख्‍या बहुत कम है। इस कार्यशाला में विभाग के डॉ सुधीर कुमार वर्मा व अन्य संकाय सदस्य, रेजिडेंट डॉ मयंक, डॉ दीपक एवं डॉ शिव एवं नर्सिंग इंचार्ज नवनीत दुबे व अन्य स्टाफ रामपाल, नरेंद्र, रागिनी, आशीष, दिलीप व ज्योति मौजूद थे। उन्होंने बताया इनके अलावा करीब 50 संकाय सदस्यों एवं रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस व्याख्यान में ऑनलाइन हिस्‍सा लिया।

डॉ वीरेंद्र आतम ने बताया कि बोटोक्स विधि से इलाज देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों में ही उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में बोटोक्स विधि द्वारा इस बीमारी के इलाज का यह प्रथम प्रयास है उन्होंने कहा कि यहां इस विधि से इलाज शुरू होने से मरीजों के लिए यह वरदान साबित होगी क्योंकि इस बीमारी के इलाज की यह सबसे सस्ती और सुरक्षित विधि में से एक है। उन्होंने बताया कि‍ मरीज जिसका इलाज किया गया वह निर्धन वर्ग से थी इसलिए इसका इलाज नि:शुल्क किया गया।

इसके कारणों के बारे में पूछने पर उन्‍होंने बताया कि कई कारणों से फूड पाइप की मांसपेशियां काम नहीं करती हैं तो व्‍यक्ति खाना निगल नहीं पाता है। इसका इलाज सर्जरी या बैलूनिंग से किया जाता है लेकिन कुछ मरीज ऐसे होते हैं जिनकी सर्जरी या बैलूनिंग नहीं की जा सकती है क्‍योंकि कई कारणों से सर्जरी या बैलूनिंग में फूड पाइप फटने का डर रहता है तो ऐसे मरीजों के लिए बोटोक्‍स इंजेक्‍शन से ही इलाज करना होता है।