-संस्थान में किया गया यह दूसरा एएससी ट्रांसप्लांट, प्लाज्मा कोशिका विकारों के लिए 50 प्रत्यारोपण पूरे
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यहाँ स्थित संजय गाँधी पीजीआई में बोन मेरो ट्रांसप्लांट बीएमटी इकाई द्वारा प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया (एक दुर्लभ रक्त कैंसर) से ग्रस्त 67 वर्षीय बुजुर्ग का ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण (एएससीटी) सफलतापूर्वक कर उसे नया जीवन दिया गया है । संस्थान में किया गया इस तरह का यह यह दूसरा केस है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज का बीएमटी यूनिट से स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई है, अब आगे का उपचार व परामर्श ओपीडी आधार पर चलेगा।
हेमेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कश्यप से मिली जानकारी के अनुसार राम बाबू मेहरोत्रा को बीती मार्च 2023 में प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया का पता चला था। प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया एक दुर्लभ रक्त कैंसर है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा नहीं होता है। मरीज को सेरेब्रो-वैस्कुलर एक्सीडेंट (सीवीए) और पार्किंसनिज़्म रोग सह-रुग्णता के रूप में था। इस रक्त कैंसर के लिए निर्धारित मानक उपचार वीडीटी पेस कीमोथेरेपीके बाद एलोजेनिक एचएससीटी है। हालांकि इस उपचार के बावजूद, इसके परिणाम बहुत अच्छे नहीं है और यह बीमारी वापस भी आ सकती है। विभाग के डॉ संजीव ने बताया कि मरीज की DARA-VCD कीमोथेरेपी शुरू की गई थी। कीमोथेरेपी के दौरान उन्हें सीएमवी निमोनिया हो गया और बहुत बीमार हो गये। उन्हें non invasive ventilation और उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल की आवश्यकता थी। इंडक्शन कीमोथेरेपी के बाद वे MRD negative & PET negative हो गये। इसके बाद बोन मैरी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता के लिए और इसकी उच्च जोखिम की प्रकृति के विषय में परिवार को परामर्श दिया गया।
प्रो कश्यप के अनुसार उचित परामर्श और सहमति के बाद रोगी का ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण (एएससीटी) किया गया। विभाग द्वारा यह दूसरा प्लाज्मा सेल ल्यूकेमिया प्रत्यारोपण है।
प्रत्यारोपण टीम :
कंसलटेंट (क्लिनिकल/बीएमटी): डॉ. संजीव; सलाहकार (लैब): प्रो. रुचि गुप्ता, डॉ. के रहमान, डॉ. दिनेश चंद्रा, डॉ. मनीष कुमार सिंह;
रेजिडेन्ट चिकित्सक- डॉ. हर्षल, डॉ. इशिता;
BMT sister In-charge: माधुरी स्मिथ;
बीएमटी नर्स: आराधना त्रिपाठी, निकुंज तिग्गा, अलका सिंह, मिनिमोल अब्राहम, शीलामणि ज़ालक्सो, दीपशिखा सचान, सिंधु जॉर्ज, रॉबिन्स मैथ्यू, शैली, स्वेता मौर्य, अजीत, शालिनी;
स्टेम सेल हार्वेस्टिंग टीम: मनोज कुमार सिंह, आशीष कुमार मिश्रा, पंकज यादव।
सहयोगरत अन्य विभाग: ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन: डॉ. अतुल सोनकर, डॉ. धीरज खेतान;
रेडियोलोजी: प्रो. हीरा लाल;
नेफ्रोलॉजी: प्रोफेसर नारायण प्रसाद, डॉ. मानस पटेल;
माइक्रोबायोलॉजी: डॉ. अतुल गर्ग, डॉ चिन्मय साहू;
न्यूक्लियर मेडिसिन: डॉ. मनीष ओरा, डॉ. आफताब नज़र
प्रो कश्यप बताते हैं कि एसजीपीजीआई मे बीएमटी यूनिट द्वारा प्लाज्मा कोशिका विकारों के लिए 50 प्रत्यारोपण पूरे किये जा चुके हैं। संस्थान में प्लाज्मा सेल विकारों के लिए शुक्रवार को समर्पित ओपीडी शुरू की गयी है। प्रो कश्यप का कहना है कि मौजूदा समय में विभाग में प्लाज्मा सेल विकारों के लगभग 500 से अधिक रोगियों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस दिशा मे हमें ट्रांसफ़्यूज़न मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी, रेडियोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन और माइक्रोबायोलॉजी द्वारा बहुत अच्छा सहयोग मिला है।