Friday , April 19 2024

कोविड संक्रमणकाल में भी केजीएमयू में नहीं रुकी एटीएलएस ट्रेनिंग, जानिये कैसे हुई

-केजीएमयू स्किल इंस्‍टीट्यूट में पहली लहर में चार व दूसरी लहर में तीन प्रशिक्षण सत्रों का किया गया आयोजन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। कहते हैं कि अगर आप किसी अच्‍छे लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए किसी काम को करने की ठान लें तो रास्‍ते निकल ही आते हैं। कोविड की कठिन चुनौती के बीच केजीएमयू के इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्किल्‍स में कराए जाने वाले एटीएलएस (एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट) ट्रेनिंग कोर्स के संचालन में कुछ ऐसा ही हुआ।

केजीएमयू में चल रही इंडियन सोसायटी फॉर ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर की 11वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस में कोविड-19 के दौरान एटीएलएल ट्रेनिंग के आयोजन में आई दिक्कतों को किस ढंग से दूर किया इस बारे में स्किल इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर विनोद जैन ने पैनल डिस्कशन में जानकारी दी।  डॉ विनोद जैन ने अपने अनुभवों को बताया कि कोविड-19 की पहली लहर के दौरान 4 कोर्स और दूसरी लहर के दौरान तीन कोर्स कराए जाने की बड़ी चुनौती थी, उन्होंने कहा कि‍ एक सीधा रास्ता यह हो सकता था कि इन कोर्स को टाल दिया जाए। लेकिन हम लोगों ने यह निर्णय लिया कि‍ कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए हमें कुछ बदलाव करने पड़े साथ ही ट्रेनिंग पर होने वाला खर्च भी ज्यादा हुआ, लेकिन हम लोगों ने इस खर्च को इंस्टीट्यूट से ही वहन करते हुए प्रतिभागियों से किसी भी प्रकार की बढ़ी हुई फीस नहीं ली।

डॉ जैन ने बताया पहली लहर के दौरान इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति लेकर हम लोगों ने सबसे पहले प्रतिभागियों की संख्या घटाकर 16 की इसके साथ ही पूरे स्किल सेंटर में जबरदस्त सैनिटाइजेशन करवाया। हर प्रतिभागी को ईमेल और फोन के जरिए संक्रमण से बचाव को लेकर विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही उन्हें बताया गया कि 72 घंटे के अंदर की आरटीपीसीआर  रिपोर्ट नेगेटिव लाने पर ही उन्हें प्रशिक्षण के लिए अनुमति मिलेगी।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मार्च 2021 तक करायी गयी ट्रेनिंग में सिर्फ लखनऊ के ही प्रतिभागियों को प्रशिक्षण की अनुमति दी गयी। इन प्रतिभागियों को रजिस्ट्रेशन किट के अंदर सैनिटाइजर और एन 95 मास्क (ट्रिपल लेयर मास्क) उपलब्ध कराए गए तथा चुने हुए स्थानों पर विशेष रूप से सैनिटाइज्‍ड कराया। उन्होंने बताया कि यह सुनिश्चित किया गया कि किसी को भी बिना मास्‍क के प्रवेश नहीं मिलेगा, उसकी थर्मल स्कैनिंग जरूर होगी और बगैर आरटीपीसीआर  रिपोर्ट के एंट्री नहीं मिलेगी। इसके साथ ही एक रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी इसी बात पर लगा दी थी कि वह प्रतिभागियों पर लगातार नजर बनाए रखें और जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत सूचना दें और उसका उपचार करें।

उन्होंने बताया इसके साथ ही वॉशरूम्स में कोई तौलिया नहीं रखा गया, सिर्फ डिस्पोजेबल नैपकिन और लिक्विड सोप का प्रयोग किया गया। कोर्स से पहले एक बार फिर से सभी को कोविड-19 का व्यवहार करने के बारे में बताया गया।

डॉ जैन ने बताया कि इसी प्रकार जब कोरोना की दूसरी लहर प्रारंभ हुई उस में करवाए गए तीन कोर्स में जो निर्देश पहले कोर्स के दौरान प्रतिभागियों को दिए गए थे वही निर्देश इस कोर्स में भी लागू किए गए उन्होंने बताया इस कोर्स में फैकल्टी जो प्रतिभागियों को सिखा रहे थे उसने अपना मास्क जरूर हटा रखा था जिससे कि लगातार 40 मिनट के दौरान प्रतिभागियों को फैकल्‍टी द्वारा दिया जा रहा लेक्‍चर समझ में आ सके, लेकिन मास्क हटाने के साथ ही प्रतिभागियों से दूरी बनाए रखी गई।

उन्‍होंने बताया कि साधारणतया सिखाते समय प्रतिभागियों पर नजदीक से नजर रखने के लिए उनके बीच में रहकर फैकल्‍टी अपने लेक्चर देती है लेकिन इस विशेष परिस्थिति में लेक्चर दूर खड़े हो कर ही दिया गया। इसके अतिरिक्त प्रतिभागियों या फैकल्टी के लिए किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ या स्नेक्स नहीं रखा गया। उन्होंने बताया इसी प्रकार स्किल सेंटर में पुतलों पर सिखाते समय जहां साधारणकाल में एक फैकल्टी एक बार में चार प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देती है, लेकिन इस दौरान एक बार में एक प्रतिभागी को ही प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि इसमें समय जरूर ज्यादा खर्च हुआ लेकिन सुरक्षा पूरी बनी रही। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार पुतले और उपकरणों के साथ साथ स्किल सेंटर की जगह को हर बार सैनिटाइज किया जाता रहा।

उन्होंने बताया की डिमॉन्‍स्‍ट्रेशन के दौरान गाउन, कैप, शू कवर, दस्ताने का प्रयोग अनिवार्य था। डॉ जैन ने बताया कि छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा गया जैसे प्रतिभागियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पेंसिल, रबर और पेपर को यूज करने के बाद उसका निस्तारण कर दिया गया। इसी प्रकार आंसर शीट की चेकिंग और क्रॉस चेकिंग के समय दस्तानों का प्रयोग किया गया।

इसी तरह उचित दूरी, समूह में खाना वर्जित,  खाने में सिर्फ पैकेट लंच, स्नैक्स का प्रयोग, डिस्पोजेबल बर्तनों का प्रयोग और सब के लिए पानी की अलग बोतल का इंतजाम रखा गया था। प्रो जैन ने बताया कि इस प्रकार कदम-कदम पर विशेष सावधानी बरते हुए इस चुनौतीपूर्ण कोरोना  काल में भी केजीएमयू ने ए टी एल एस की ट्रेनिंग पर ब्रेक नहीं लगने दिया।

डॉ जैन के इस वर्चुअल प्रस्‍तुतिकरण में तीन पैनलिस्‍ट के साथ ही इंडियन सोसायटी फॉर ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर के रीजन 16 के सदस्‍य देशों के हिस्‍सा लिया। इनके अलावा करीब 750 अन्‍य लोगों ने भी इसे ऑनलाइन देखा।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.