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विभिन्न प्रदेशों के कलाकारों ने कैनवास पर उकेरे बनारस के विविध रंग

-काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में चल रही राष्ट्रीय कार्यशाला

सेहत टाइम्स

लखनऊ/वाराणसी। अहिवासी कलावीथिका, चित्रकला विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए महत्वपूर्ण समकालीन कलाकार राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन बनारस के विविध रंग कैनवास पर उकेर चुके हैं। कलाकारों के साथ उनका सहयोग कर रहे या स्वतंत्र रूप से चित्रण कर रहे अतिथि कलाकारों के मार्गदर्शन और उनके सानिध्य में विद्यार्थी भी कला के गुर सीखकर और उसे व्यावहारिक रूप में अपने चित्रपट पर उतार रहे हैं।

न्यूयॉर्क, यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका से आकर सहायक आचार्य सुरेश नायर के निर्देशन में इंटर्नशिप कर रही हाना मार्टिनी ने गंगा आरती को अपना मुख्य विषय बनाया है जिसमें वे सायंकालीन बनारस घाटों पर उभरते दृश्य और यहां की आस्था को अपने चित्रों में उकेर रही हैं। उदयपुर से आये आचार्य हेमंत द्विवेदी ने रात में उभरते घाटों के सौंदर्य को अपना चित्रण विषय बनाया और त्वरित गति से काम करते हुए अपने अनमोल चित्र को पूर्ण किया। सधे हुए हाथों से उभरते टेक्स्चर के साथ सपाट पृष्ठभूमि के मध्य उभरता बनारस पूरी कार्यशाला का आकर्षण बना रहा।

सहायक आचार्य सुनील पटेल बनारस के तुलसी और अस्सी घाट को विहंगम दृष्टि से देखने की कोशिश की है । इसमें उभरता परिप्रेक्ष्य और आस्था के विभिन्न प्रतीक पूरे वैभव के साथ सविस्तार रचे गए हैं। आचार्य विजय सिंह द्वारा रचे गए मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट की सिंदूरी ज्वाला जीवन चक्र और विभिन्न अवस्थाओं में समरसता बनाए रखते हुए परमात्मा से जुड़े रहने का संदेश देती है। लखनऊ से आए और इसी विश्वविद्यालय से दीक्षित कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका के संपादक और वरिष्ठ कलाकार अवधेश मिश्र ने विज़ूका रिटर्न्स सीरीज के अंतर्गत बनारस के काल भैरव को रक्षक के रूप में दर्शाते हुए बनारस आस्था से जुड़े मुख्य तत्वों में घाटों पर लगी छतरी, मंदिरों में स्थापित बल, बुद्धि और विद्या के प्रतीक बजरंगबली और सनातनी आस्था के प्रतीक शिवलिंग के साथ गंगा में तैरती नावों का संयोजन बनाया है।

कुरुक्षेत्र से आए आचार्य राम विरंजन ने बनारस में छाए बसंती रंगों की छटा के साथ यहां की गलियों में खड़े सांड (नंदी) और एक दूसरे में धंसते घाटों का बखूबी चित्रण किया है। कार्यशाला की संयोजक व संकाय प्रमुख, दृश्य कला संकाय आचार्य उत्तमा दीक्षित, ने बताया कि यह कार्यशाला 2 फरवरी तक दर्शकों के आलोकनार्थ और कलाकारों से संवाद के लिए संचालित रहेगी।

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