राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग ने की काररवाई, एफआईआर
लखनऊ. मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे एक और अस्पताल को सील करने की कारर्वाई की गयी है. यहाँ पर नवजात बच्चों की अत्यंत नाजुक हालत होने पर इलाज के लिए रखे जाने वाले गहन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू), आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, डायलिसिस यूनिट जैसी सुविधाओं से युक्त अस्पताल तो खोल लिया, लेकिन इन्हें चलाने की योग्यता रखने वाले डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ नहीं था.
बुलाकी अड्डे स्थित निजी अस्पताल सैंट मैरी हॉस्पिटल पर आज एडिशनल सीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव और डॉ. राजेंद्र कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा तो वहां का नजारा देखकर अफसरों के होश उड़ गए. किस तरह से मरीजों की जिंदगी को खिलौना समझा जाता है इसका पता तब पड़ा जब अधिकारियों ने वहां मौजूद डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की योग्यता के बारे में जानकारी चाही तो कोई भी कागज प्रस्तुत नहीं किया गया.
बताया गया कि अस्पताल का पंजीकरण भी वर्ष 2006 के बाद से नवीनीकरण नहीं कराया गया था. निरीक्षण करने वाले डाक्टरों ने बताया कि टीम जब अस्पताल पहुंची तो वहां अस्पताल के संचालक डॉ. राकेश कुमार गुप्ता ही अकेले उपस्थित थे, उनकी अलावा कोई चिकित्सक वहां मौजूद नहीं था, जबकि सात मरीज भर्ती थे, इनमें लकड़ मंडी निवासी टीकू कश्यप, कटरा चौराहा निवासी रजिया, राजाजीपुरम की रामवती, गोंडा की कलावती, मालवीय नगर की सावित्री, राजाजी पुरम के हरीलाल थापा तथा कटरा निवासी रजिया का बच्चा शामिल हैं.
डाक्टरों के अनुसार इन मरीजों में दो मरीज सर्जरी के थे, जब कि अस्पताल में न तो कोई सर्जन था और न ही ऐनेस्थेटिक. चिकित्सालय में कुल नौ कर्मचारी उपस्थित थे लेकिन कोई भी अपनी योग्यता से सम्बंधित अभिलेख नहीं दिखा सका. यही नहीं न तो ओटी मानक के अनुरूप थी और न ही आवश्यक दवाएं उपलब्ध थी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएस बाजपेयी ने बताया कि एफआईआर के साथ ही अस्पताल को सील कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के अस्पताल चलाने वाले अच्छी तरह से यह समझ लें कि किसी को भी इस तरह से मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जाएगी.

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