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केजीएमयू के नाम एक और उपलब्धि, आईसीएमआर ने दी माइकोलॉजी सेंटर की स्‍वीकृति

-माइक्रोबायोलॉजी विभाग फंगस की मॉलीक्‍यूलर व जे‍नेटिक जांच का यूपी का पहला सेंटर बना

-अब तक 20 लाख आरटीपीसीआर कोविड जांचों के साथ देश में नम्‍बर वन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा एडवांस माइकोलॉजी डाइग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर के रूप में स्वीकृति दी गयी है। देश में माइकोलॉजी के 13 सेंटर हैं, उत्‍तर प्रदेश का यह पहला सेंटर है। इस सेंटर पर फंगस की मॉलीक्‍यूलर और जेनेटिक टेस्टिंग भी हो सकेगी।

यह जानकारी केजीएमयू के मीडिया प्रवक्‍ता डॉ सुधीर सिंह ने देते हुए बताया कि इस माइकोलॉजी सेंटर पर एंटीफंगल दवाओं का खून में क्‍या स्‍तर है, इसका पता लगाना भी संभव होगा जिससे फंगल की दवा की उचित खुराक का निर्धारण किया जा सकेगा जिससे एंटीफंगल दवाओं के दुष्‍परिणामों को कम किया जा सकेगा।

उन्‍होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के निदान में आरम्भ से ही केजीएमयू अग्रणी भूमिका निभा रहा है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग कोरोना काल की शुरुआत से ही अच्‍छा काम कर रहा है। पिछले वर्ष फरवरी 2020 में यहां कोविड टेस्‍ट की शुरुआत हुई थी। यहां कोविड-19 जांचों का आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच गया है, जो देश के किसी भी संस्‍थान की तुलना में सर्वाधिक है।

डॉ सुधीर सिंह ने कहा है कि वर्तमान में चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ बिपिन पुरी के दिशा निर्देशन और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्‍यक्ष डॉ अमिता जैन के अथक प्रयासों का परिणाम है कि केजीएमयू आरटीपीसीआर की जांचों में देश में प्रथम स्‍थान पर है। उन्‍होंने कहा कि विभाग में कार्यरत डाक्टर्स, लैब टेक्नीशियन व डाटा ऑपरेटर द्वारा कोविड महामारी के दौरान भी अपनी जान जोखिम में डाल कर जांच का कार्य लगातार जारी रखा गया। डॉ सुधीर सिंह ने बताया कि आईसीएमआर द्वारा माइक्रोबायोलॉजी विभाग को एडवांस माइकोलॉजी डाइग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर के रूप में स्वीकृत किया गया है, इससे सम्बंधित प्रत्येक रिसर्च कार्य प्रो. प्रशांत गुप्ता, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की देखरेख में किया जायेगा।