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‘व्यक्ति को उस गुनाह की मिलती है सजा, जो उसने किया ही नहीं’

-परोक्ष धूम्रपान सक्रिय धूम्रपान जितना ही हानिकारक : डॉ. सूर्यकान्त

-विश्व धूम्रपान निषेध दिवस (13 मार्च) पर विशेष

डॉ सूर्यकान्त

सेहत टाइम्स

लखनऊ। परोक्ष धूम्रपान एक बहुत बड़ी समस्या है, क्योंकि जो व्यक्ति धूम्रपान करता है, और उससे उसे जो नुकसान पहुंचता है, उतना ही नुकसान उस व्यक्ति के आसपास रहने वाले व्यक्ति को भी होता है, भले ही वह प्रत्यक्ष धूम्रपान न कर रहा हो। यानी यह कुछ ऐसा ही है कि व्यक्ति को उस गुनाह की सजा मिलती है, जो उसने किया ही नहीं।

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष एवं तंबाकू निषेध क्लीनिक के प्रभारी डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि भारत में लगभग 12 करोड़ लोग सक्रिय धूम्रपान करने वाले हैं और 63 प्रतिशत परिवार के सदस्य परोक्ष धूम्रपान (पैसिव स्मोकिंग) करने वाले हैं। लगभग 30 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक स्थानों पर परोक्ष धूम्रपान करने वाले हैं। जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तो वह केवल 30 प्रतिशत धुआं ही ग्रहण करता है, जबकि बाकी का 70 प्रतिशत धुआं परोक्ष धूम्रपान वालों के जीवन को प्रभावित करता है या पर्यावरणीय तम्बाकू के धुएं के रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि बीड़ी पीना सिगरेट पीने से भी अधिक हानिकारक है। तम्बाकू के धुएं में लगभग 7000 रसायन पाये जाते हैं जो मानव शरीर में विभिन्न स्वास्थ्य खतरों के लिए जिम्मेदार होते हैं और 70 रसायन कैंसरकारी होते हैं। परोक्ष धूम्रपान सक्रिय धूम्रपान जितना ही हानिकारक है। धूम्रपान से विभिन्न प्रकार के कैंसर और फेफड़े, हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे, यकृत, आंत, हड्डियों आदि से संबंधित कई बीमारियाँ हो सकती हैं। इसके अलावा फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है और साथ ही प्रतिरक्षा भी कम हो जाती है। इंडियन सोसाइटी अंगेस्ट स्मोकिंग के पूर्व सचिव डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि वर्तमान में हवाई अड्डे, होटल और रेस्तरां आदि में जो स्थान धूम्रपान के लिए चिन्हित किया जाता है वह धूम्रपान क्षेत्र शायद ही कभी सिगरेट एंड अदर्स टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट (कोटपा अधिनियम) आवश्यकताओं के अनुरूप होते हैं और वास्तव में हमारी जनता को परोक्ष धूम्रपान के द्वारा स्वास्थ्य को कई खतरों में डाल रहे हैं। अतः इन स्थानों पर धूम्रपान क्षेत्रों को कोटपा अधिनियम के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है या फिर इन क्षेत्रों में धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

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