-बलरामपुर अस्पताल में भर्ती मरीज की दो सर्जरी करने आये केजीएमयू के विशेषज्ञ
-सीएमएस डॉ जीपी गुप्ता ने न सिर्फ पहल की, बल्कि शामिल रहे ऐसीटाबुलम सर्जरी में
सेहत टाइम्स
लखनऊ। बलरामपुर चिकित्सालय को मिले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सहयोग के चलते दोनों संस्थानों के चिकित्सकों की संयुक्त टीम द्वारा बलरामपुर चिकित्सालय में भर्ती मरीज का जटिल ऑपरेशन कर उसकी जान बचायी जा सकी है। आपको बता दें कि बलरामपुर चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ जीपी गुप्ता की सोच के चलते यह संभव हो सका। उनका कहना है कि बलरामपुर चिकित्सालय में यदि लखनऊ के तीन सुपर स्पेशलिटी संस्थान केजीएमयू, लोहिया संस्थान एवं एसजीपीजीआई के तालमेल बिठाकर इस तरह की जटिल सर्जरी की जाएं तो मरीज़ों को एक चिकित्सालय से दूसरे चिकित्सालय भागना नहीं पड़ेगा।
लखनऊ निवासी 48 वर्षीय मरीज़ आज्ञा राम बीती 2 मार्च को पत्नी सहित साइकिल एवं कार की सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए जिसमें उनके बाएं कूल्हे की अंदरूनी हड्डी जिसे ऐसीटाबुलम कहते हैं, बुरी तरह टूट गया था, इसके साथ ही दाएं पैर की ऐंकल (टखने) टूटकर एक तरफ़ लटक गई थी जहाँ से खून बह रहा था, यही नहीं साथ में सीने के दोनों तरफ़ की कई पसलियां भी टूट गईं जिससे सीने में 2 लीटर खून जमा हो गया जिससे उन्हें सांस लेने में तक़लीफ होने लगी थी और ऑक्सीजन सेचुरेशन भी बहुत कम हो गया, इसके साथ ही शरीर के कई हिस्से में खरोंच थीं एवं खाल कई जगह से फट गई थी।
इस मरीज़ को बलरामपुर चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ जीपी गुप्ता ने बताया कि मरीज की स्थिति को देखते हुए उसे तुरंत और उच्च कोटि के इलाज की आवश्यकता थी इसके लिए केजीएमयू के चिकित्सकों की मदद की आवश्यकता थी, इसके बाद कुलपति ले.ज.डॉ बिपिन पुरी से सहयोग मांगा गया तथा थोरैसिक सर्जरी के प्रोफ़ेसर अनुराग एवं डॉ आदर्श डांडे ने मरीज के सीने का ऑपरेशन बलरामपुर चिकित्सालय में आकर किया।
डॉ गुप्ता ने बताया कि इसके बाद मरीज़ की सबसे जटिल ऐसीटाबुलम सर्जरी के लिए केजीएमयू के प्रति कुलपति व विभागाध्यक्ष अस्थि रोग विभाग प्रो विनीत शर्मा के सहयोग से केजीएमयू के ऐसीटाबुलम सर्जन प्रो धर्मेन्द्र व बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ परामर्शदाता अस्थि रोग विभाग डॉ जीपी गुप्ता की संयुक्त टीम ने उक्त मरीज़ का ऐसीटाबुलर सर्जरी सफलतापूर्वक बलरामपुर चिकित्सालय में ही की। इस सर्जरी में एनेस्थेसिया भी एक जटिल कार्य था, जिसे डॉ नुरुल हक़ ने किया। सर्जरी में सिस्टर लालसा एवं डॉ संजीता अग्रवाल ने भी अपना सहयोग किया यह सर्जरी पूर्णतया नि शुल्क की गई है।