एसजीपीजीआई में रेजिडेंट डॉक्टरों के आंदोलन पर फिलहाल गांधीवाद का रंग
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में एम्स दिल्ली के बराबर वेतन भत्तों को लेकर गांधीवादी तरीके से विरोध जताते हुए कल से भूख हड़ताल पर बैठे डॉ अजय कुमार शुक्ला ने कहा है कि वह 11 फरवरी तक उपवास पर रहेंगे। इस दौरान वह अपनी ड्यूटी करते रहेंगे।
डॉ शुक्ला ने मंगलवार को एक अपील जारी करते हुए कहा है कि 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज में हुई कैबिनेट में SGPGI संकाय सदस्यों और सभी संवर्ग के कर्मचारियों को एम्स के बराबर वेतन और भत्ते देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर को इससे बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार , रेजिडेंट के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है? रेजीडेंट डॉक्टर पीजीआई में अहम जिम्मेदारी निभाते हैं, 14 से 18 घंटे काम करते हैं, लिहाजा सरकार द्वारा इनके वेतन और भत्तों से छेड़छाड़ करना कतई उचित नहीं।
उन्होंने कहा है कि रेज़िडेंट्स डाक्टर्ज़ के साथ अन्याय केवल सैलरी के विषय को लेकर नहीं है, कभी उन पर करोड़ों रूपये का बॉन्ड लगा दिया जाता है तो कभी रेज़िडेंट्स भीड़ की हिंसा का शिकार होता है, तो कभी अत्यधिक घंटे लगातार काम करने के कारण मानसिक और शारीरिक तनाव में रहता है।
उन्होंने कहा है कि ऐसे में हाल ही में शासन-प्रशाशन की SGPGI के रेज़िडेंट डाक्टर के प्रति अन्याय ने मेरी आत्मा एवं मन को अत्यंत दुखी कर दिया है।
डॉ अजय का कहना है कि मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनते हुए बिना शर्त उपवास सात दिनों के लिए करने का निर्णय लिया है। यह 4 फरवरी को 10 बजे सुबह से प्रारम्भ हो चुका है और इसका समापन 11 फरवरी को सुबह 10 बजे होगा । उन्होंने कहा है कि इस समयकाल में मैं अपने काम पर नियमित रूप से आता रहूँगा एवं अपने कार्यों का निर्वहन करता रहूँगा। उनका कहना है कि यह उपवास आज के एवं आने वाली जेनरेशन के रेज़िडेंट के हित की कामना के लिए है ।
उन्होंने यह भी कहा है कि यह उपवास किसी के ख़िलाफ़ नहीं है,यह स्वयं के शुद्धिकरण के लिए हृदय की प्रार्थना है , उन्होंने रेजिडेंट से कहा है कि मुझ पर इस उपवास को छोड़ने का कोई दबाब नहीं बनाया जाए, और मेरी इच्छा का सम्मान रखा जाए ।
उन्होंने कहा है कि मुझसे मित्र भाव रख कर या मुझसे प्रभावित होकर उपवास ना करें, इससे मेरे मन को और कष्ट होगा। उपवास क्रोध में आकर नहीं बल्कि, शत्रु के लिए भी प्रेम की भावना से किया जाता है । उन्होंने साथियों से कहा है कि आप सब उत्तेजित होकर कोई क़दम ना उठाएँ, बल्कि अपने लक्ष्य से और मज़बूती से जुड़ें।
डॉ अजय ने कहा कि उपवास केवल बाह्य नहीं होता है इसका आंतरिक पहलू भी समझने की आवश्यकता है, यह सत्य और केवल सत्य को व्यक्त करने की अतार्किक लालसा है । अतः जो मित्र सत्य और न्याय के साथ खड़े रहेंगे, वो सही मायनो में हम सब के शुभ चिंतक होंगे।
उन्होंने कहा है कि कोई इस दुविधा में न रहे की मैं मरना चाहता हूँ, मैं भी आप सभी की तरह नर नारायण की स्वास्थ्य सेवा करना चाहता हूँ ।
उन्होंने कहा कि इस उपवास के कारण तो नहीं पर,हर व्यक्ति की तरह मेरा जीवन भी कभी ना कभी समाप्त हो जाएगा, लेकिन अन्याय से लड़ने की ज्योति सबके दिल में हमेशा जलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि ईश्वर हम सब को असत्य से सत्य की तरफ़ एवं अन्याय से न्याय की तरफ़ ले जाए।और हमारे नर नारायण रूपी मरीज़ों को हमारे कारण कोई कष्ट ना हो।
आपको बता दें कि सोमवार शाम 7:30 बजे एसजीपीजीआई के सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स ने गांधीवादी मार्च निकाला था । विरोध प्रदर्शन के इस अनोखे तरीके में गांधी जी के स्वरूप में एक रेसिडेंट ने मार्च का नेतृत्व किया तथा 150 अन्य रेजिडेंट्स ने भजन गाते हुए तथा प्रज्ज्वलित मोमबत्ती के साथ मार्च में हिस्सा लिया, तथा अब तक रक्तदान वृक्षारोपण तथा काला फीता बांध काम करने जैसे सकारात्मक तरीकों से अपना विरोध जता चुके हैं । ज्ञात रहे कि एसजीपीजीआई के अतिरिक्त सचिव जयंत नारलीकर के साथ भी रेजिडेंट डॉक्टस की वार्ता विफल हो गई थी।