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सावधान, शहद को गुणकारी ही रहने दें, जहर न बनायें

डॉक्टर देवेश श्रीवास्तव

लखनऊ। क्या आप जानते हैं कि शहद का एक बड़ा गुण यह है कि यह कभी खराब नहीं होता और यह सेहत के लिए गुणों का खजाना है लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि इसके सेवन के कुछ नियम हैं और यदि इसका ध्यान न रखा जाये तो यही शहद जानलेवा बन सकता है। वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ व उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्साधिकारी डॉ देवेश श्रीवास्तव ने शहद के सेवन के समय किस प्रकार की सावधानियां बरतीं जायें, इस बारे में बताया।

चाय-कॉफी के साथ शहद जहर के समान

डॉ देवेश ने बताया कि चाय-कॉफ़ी के साथ शहद ज़हर के सामान है। इसी प्रकार  मांस-मछली के साथ शहद का सेवन ज़हर के सामान है। शहद को आग पर कभी ना तपायें। उन्होंने बताया कि शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानि कारक है। चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत में ज़हर मिलाने के सामान है।  घी , तेल , मक्खन में शहद ज़हर के सामान है।

समान मात्रा में घी और शहद हो जाता है जहर

उन्होंने बताया कि बराबर-बराबर मात्रा में शहद और घी मिलाकर इसका सेवन खतरनाक है यह जहर बन जाता है इसे अमृततुल्य बनाने के लिए दोनों चीजों में एक की मात्रा कम तो दूसरी की ज्यादा रखनी चाहिये।  अधिक धूप में शहद ना दें, गरमी से पीडि़त व्यक्ति को गरम ऋतु में दिया हुआ शहद जहर की तरह कार्य करता है।

अलग-अलग वृक्षों पर लगे शहद का अलग-अलग महत्व

डॉ देवेश ने बताया कि अलग-अलग वृक्षों पर लगे छत्तों में प्राप्त शहद के अलग-अलग औषधीय गुण होंगे। जैसे नीम पर लगा शहद आंखों के लिए , जामुन पर लगा शहद डायबिटीज़ और सहजन पर लगा शहद हृदय, वात और रक्तचाप के लिए अच्छा होता है।
उन्होंने बताया कि शीतकाल या बसंतऋतु में विकसित वनस्पति के रस में से बना हुआ शहद उत्तम होता है और गरमी या बरसात में एकत्रित किया हुआ शहद इतना अच्छा नहीं होता है। गांव या नगर में मुहल्लों में बने हुए शहद के छत्तों की तुलना में वनों में बनें हुए छत्तों का शहद अधिक उत्तम माना जाता है। उन्होंने कहा कि शहद पैदा करने वाली मधुमक्खियों के भेद के अनुसार वनस्पतियों की विविधता के कारण शहद के गुण, स्वाद और रंग में अंतर पड़ता है।

मोटापा दूर करने के लिए गुनगुने पानी में लें शहद

डॉ देवेश ने बताया कि शहद सेवन करने के बाद गरम पानी भी नहीं पीना चाहिए। मोटापा दूर करने के लिए गुनगुने पानी में और दुबलापन दूर करने के लिए गुनगुने दूध के साथ लें। शहद को जिस चीज के साथ लिया जाये उसी तरह के असर शहद में दिखाई देते हैं। जैसे गर्म चीज के साथ लें तो गर्म प्रभाव और ठंडी चीज के साथ लेने से ठंडा असर दिखाई देता है। इसलिए मौसम के अनुसार वस्तुएं शहद के साथ लें

ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन हानिकारक

उन्होंने बताया कि ज्यादा मात्रा में शहद का सेवन करने से ज्यादा हानि होती है। इससे पेट में आमातिसार रोग पैदा हो जाता है और ज्यादा कष्ट देता है। इसका इलाज ज्यादा कठिन है, फिर भी यदि शहद के सेवन से कोई कठिनाई हो तो 1 ग्राम धनिया का चूर्ण सेवन करके ऊपर से बीस ग्राम अनार का सिरका पी लेना चाहिए। बच्चे बीस से पच्चीस ग्राम और बड़े चालीस से पचास ग्राम से अधिक शहद एक बार में न सेवन करें। लम्बे समय तक अधिक मात्रा में शहद का सेवन न करें।

चढ़ते हुए बुखार में न दें शहद

डॉ देवेश ने बताया  कि चढ़ते हुए बुखार में दूध, घी, शहद का सेवन जहर की तरह है। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति ने जहर या विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया हो उसे शहद खिलाने से जहर का प्रकोप एकदम बढ़ जाता है तथा उसकी मौत तक हो सकती है।

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