लखनऊ। भारत में अभी ब्रेस्ट कैंसर के प्रति काफी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। अगर हम विदेशों की बात करें तो वहां ब्रेस्ट कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचने का प्रतिशत 80 है और ब्रेस्ट कैंसर की एडवांस स्टेज में पहुंचने वालों का प्रतिशत 20 है जबकि भारत में ठीक इसका उलटा है यहां प्रारम्भिक अवस्था में 20 फीसदी जबकि एडवांस स्टेज में 80 फीसदी मरीज चिकित्सक के पास पहुंचते हैं।
समय से शादी, समय से बच्चा बहुत जरूरी
यह जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रो. एमएलबी भट्ट ने आज यहां केजीएमयू के कलाम सेंटर में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा ब्रेस्ट कैंसर विषय पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा सीएमई कार्यक्रम में दी। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए आवश्यक है कि समय से शादी, समय से बच्चा और बच्चे को स्तनपान जरूर करायें। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 25 वर्ष की आयु तक पहला बच्चा हो जाना चाहिये, उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा 30 वर्ष की उम्र तक बच्चा हो जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिये कि वे अपना वजन कम रखें, वसा का प्रयोग कम करें, नियमित व्यायाम करें तथा जिनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास हो वे समय-समय पर चिकित्सक से जरूर सम्पर्क करती रहें।
सस्ते हारमोन ट्रीटमेंट से लाभ का प्रतिशत बढ़ा
उन्होंने बताया कि भारत में हर साल करीब एक लाख लोग ब्रेस्ट कैंसर के शिकार हो जाते हैं। डॉ भट्ट ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में एक अच्छी खबर यह है कि सस्ते हारमोन ट्रीटमेंट से ब्रेस्ट कैंसर से ग्रस्त महिलाओं को लाभ होने का प्रतिशत 25 फीसदी बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि नयी दवाओं और हारमोन ट्रीटमेंट से ब्रेस्ट कैंसर की ग्रोथ रुक जाती है। उन्होंने बताया कि यह दवा बहुत सस्ती है और इसे पांच साल मरीज को देना पड़ता है। लेकिन हार्मोन्स ट्रीटमेंट उन्हीं को फायदा करता है जिनका हारमोन रिसेप्टर पॉजिटिव हो। इस ट्रीटमेंट में मरीज को टॉमॉक्सीफेन दवा दी जाती है,यह दवा हार्मोन रिसेप्टर को ब्लॉक कर देती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ रुक जाती है। उन्होंने बताया कि यही वजह है कि टामाक्सीफेन दवा, कैंसर की प्रारम्भिक और एडवांस स्टेेज दोनो में लाभकारी है।
शुरुआती स्टेेज पर आने वाले 80-90 फीसदी मरीज ठीक हो रहे
सीएमई में आये ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली के डॉ एसवीएस देव ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर में ऑपरेशन अब आसान हो गया है, अब यह जरूरी नहीं है कि कैंसर होने पर पूरा स्तन निकालना पड़े। उन्होंने बताया कि कैंसर की पहली और दूसरी स्टेज में आने वाले 80 से 90 फीसदी केस अब ठीक हो रहे हैं, जबकि तीसरी स्टेज में आने वाले 40 से 50 फीसदी केस और चौथी स्टेज में आने वाले 20 से 25 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्तन में जैसे ही गांठ पता चले तो तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये, तथा दो से तीन हफ्ते के इलाज में वह ठीक न हो तो उसकी जांच करानी चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि स्तन की करीब 80 फीसदी गांठें कैंसर नहीं होती हैं।
भविष्य में लेजर व हीट से गांठें गलाने की तैयारी
नयी शोध के बारे में पूछने पर डॉ देव ने बताया कि स्तन कैंसर की गांठों को लेजर और हीट से गलाने में सफलता प्राप्त करने को शोध चल रहा है लेकिन इसकी सफलता अभी बहुत प्रारम्भिक स्तर पर है।