प्लेटलेट्स पर लिखी डॉ एके त्रिपाठी की पुस्तक का विधानसभाध्यक्ष ने किया विमोचन
लखनऊ। आपने बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि अमुक व्यक्ति को बुखार आ रहा है और उसकी प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो गयी है। घबराकर लोग अस्पतालों के चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह भी संभव है आपकी रिपोर्ट सही नहीं आयी हो, रिपोर्ट सही न आने के पीछे की वजह क्या हो सकती है? डेंगू हो या मलेरिया, या फिर और अन्य कोई वजह, बहुत से ऐसे कारण हैं जिनसे व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। प्लेटलेट्स को लेकर वर्तमान में समाज में व्याप्त भय को दूर करने और सच्चाई को बताने के लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के हेमेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एके त्रिपाठी ने एक पुस्तक ‘प्लेटलेट्स की कमी, भ्रांतियां एवं समाधान’ लिखी है, इस पुस्तक का विमोचन आज उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में उत्तर प्रदेश विधानसभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया।
इस बारे में पुस्तक के लेखक डॉ एके त्रिपाठी ने बताया कि पुस्तक में प्लेटलेट्स की कमी, कमी होने के कारण, कमी दूर करने के उपाय जैसी बातों को विस्तार से बताया गया है। उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से एक स्वस्थ व्यक्ति में डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख के बीच प्लेटलेट्स की संख्या होती है। बुखार, विटामिन की कमी, दवाओं आदि के चलते यह संख्या घटती-बढ़ती रहती है। उन्होंने बताया कि 30 हजार तक भी अगर प्लेटलेट्स रह गयी हैं तो घबराने की बात नहीं हैं।
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान समय में प्लेटलेट्स काउंट करने की सुविधा आसानी से उपलब्ध है, लेकिन आवश्यक यह है कि इसकी जांच में मानकों का पूरा पालन होना चाहिये अन्यथा रिपोर्ट गलत आती है। उन्होंने बताया कि कई मरीजों में देखा गया है कि उन्हें कम प्लेटलेट्स की शिकायत बतायी गयी थी लेकिन जब उनकी केजीएमयू में जांच करायी गयी तो प्लेटलेट्स संख्या ठीक थी। इसके कारण के बारे में उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स जांच के लिए जब खून का नमूना निकाला जाता है वह अगर देर तक रखा रहे या फ्रजि में रख दिया जाये तो प्लेटलेट्स का गुच्छा बनने लगता है इसके बाद जब वह जांच के लिए मशीन में जाता है तो वह काउंटिंग में नहीं आता है ऐसे में रिपोर्ट में प्लेटलेट्स कम शो होती हैं जबकि असलियत में प्लेटलेट्स कम नहीं होती हैं।