-वोकल कार्ड की सुरक्षित जांच के लिए बनायी डिवाइस की डिजाइन भारत सरकार ने की पेटेंट
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एनेस्थीसिया विभाग के डॉ तन्मय तिवारी को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा उनके अभिनव आविष्कार “एंटी रेडियल डिविएशन डिवाइस फॉर सेफ लैरेन्गोस्कोपी” के लिए डिज़ाइन पेटेंट (डिज़ाइन पंजीकरण प्रमाणपत्र) प्रदान किया गया है। डॉ तन्मय का कहना है कि लगभग २५% तक मरीज़ों के ऊपरी दाँतो में चोट लगने की स्थिति रहती है। ये चोट उन मरीजों में एयरवे मैनेजमेंट के दौरान लग सकती है जिनमे दांत ज़्यादा बड़े हो, या मुंह कम खुलता हो, या जिनमें किसी भी कारणवश लैरिंगोस्कोपी मुश्किल हो।
यह अभिनव उपकरण एनेस्थीसिया के क्षेत्र, विशेषकर एयरवे मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इसका उद्देश्य लैरेन्गोस्कोपी के दौरान रेडियल डिविएशन को कम करना है, जिससे चिकित्सकों के लिए एर्गोनॉमिक्स में सुधार होता है और मरीजों की सुरक्षा बढ़ती है। डिज़ाइन्स एक्ट, 2000 के अंतर्गत यह मान्यता डॉ. तिवारी के नवाचार एवं समर्पण को दर्शाती है। उनका प्रयास निरंतर “सुरक्षित एयरवे, सुरक्षित जीवन” के सिद्धांत पर केंद्रित है।
इस अवसर पर डॉ. तिवारी ने कहा कि डिज़ाइन पेटेंट प्राप्त करना गर्व का विषय है। मेरा उद्देश्य सदैव ऐसे व्यावहारिक समाधान तैयार करना रहा है जो मरीजों की सुरक्षा को बढ़ाएँ और परिणामों को बेहतर बनाएँ। यह उपलब्धि मुझे आगे और नए नवाचार करने के लिए प्रेरित करेगी।
संस्थान की कुलपति प्रो. डॉ. सोनिया नित्यानंद ने इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह डिज़ाइन पेटेंट हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। डॉ. तन्मय तिवारी का यह नवाचार न केवल चिकित्सा जगत में मरीजों की सुरक्षा को सशक्त करेगा बल्कि संस्थान की अनुसंधान क्षमता और वैश्विक पहचान को भी और ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. मोनिका कोहली ने भी अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. तिवारी की यह उपलब्धि हमारे विभाग के लिए प्रेरणादायक है। यह उनके क्लिनिकल अनुभव और नवाचार की सोच का परिणाम है, जो आने वाले समय में एनेस्थीसिया की प्रैक्टिस को और सुरक्षित व उन्नत बनाएगा। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल भारत में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देती है बल्कि वैश्विक स्तर पर एनेस्थीसिया देखभाल के मानकों को भी मजबूत बनाती है।


