-केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग की फिजियोथेरेपी इकाई में वर्कशॉप आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। न्यूरो डेवलपमेंटल तकनीक (NDT) उपचार के ऐसे तरीके हैं जो न्यूरोलॉजिकल विकारों या चोटों से पीड़ित रोगियों की मदद करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। मूल रूप से ये विधियाँ मोटर नियंत्रण, कार्यात्मक क्षमताओं और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करती हैं।
इस तकनीक की जानकारी एम्स, नई दिल्ली के वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट न्यूरोलॉजी डॉ प्रभात रंजन ने यहाँ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्लास्टिक सर्जरी विभाग की फिजियोथेरेपी इकाई में आयोजित वर्कशॉप में मुख्य वक्ता के रूप में दी। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों को बर्टा और कैरेल बोबाथ ने विकसित किया था। इस तकनीक का इस्तेमाल आमतौर पर सेरेब्रल पाल्सी और स्ट्रोक पुनर्वास जैसी विभिन्न स्थितियों में किया जाता है।


उन्होंने बताया कि यह दृष्टिकोण मोटर रीलर्निंग प्रोग्राम पर केंद्रित है जो कार्य उन्मुख अभ्यास के माध्यम से दैनिक गतिविधियों को फिर से सीखने पर केंद्रित है और रूड्स दृष्टिकोण जो मांसपेशियों की टोन को सामान्य करने और वांछित मोटर प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने के लिए संवेदी उत्तेजना का उपयोग करता है।
NDT के लाभ के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस तकनीक से बेहतर गति पैटर्न और नियंत्रण में मदद मिलती है। यह तकनीक दैनिक गतिविधियों को अपने आप करने में सहायता करती है। कहा जा सकता है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है।
इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. ए के सिंह तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. विजय कुमार थे। कार्यशाला का आयोजन डॉ केके चौधरी, डॉ डीके मिश्रा, डॉ फ़ैज़ अहमद और डॉ अजीत किशोर द्वारा किया गया। कार्यशाला में पूरे उत्तर प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से आए छात्रों ने भाग लिया।
