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दम्पतियों को विशेषज्ञ की सलाह, माता-पिता बनना चाहते हैं तो सही समय पर बनें, देर न करें

-अजंता अस्पताल में जन्मे कुछ दिन के शिशुओं से लेकर 26 वर्ष तक के टेस्ट ट्यूब बेबीज के साथ मनाया गया वार्षिक उत्सव

-अजंता अस्पताल की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं समारोह में

सेहत टाइम्स

लखनऊ। अजंता अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की निदेशक वरिष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. गीता खन्ना ने दंपतियों से संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन सहित स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने की सलाह दी है। उन्होंने धूम्रपान, शराब और पर्यावरण विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी, साथ ही बच्चों में गुणसूत्र संबंधी विसंगतियों और चयापचय संबंधी विकारों के जोखिम को कम करने के लिए समय पर विवाह और गर्भधारण के महत्व पर जोर दिया।

मुख्य अतिथि प्रार्थना के साथ डॉ गीता खन्ना व डॉ अनिल खन्ना

डॉ गीता खन्ना ने यह सलाह रविवार को आयोजित “टेस्ट ट्यूब बेबी मीट 2024” के दौरान देते हुए इनफर्टिलिटी विशेषज्ञों से समय पर परामर्श की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जीवनशैली और समय पर माता-पिता बनने पर ध्यान देने की सलाह देते हुए दम्पतियों से कहा कि आदर्श स्थिति यह है कि 23 वर्ष से 33 वर्ष की आयु में माता-पिता बनने की जिम्मेदारी निभा लेनी चाहिये, क्योंकि यह वह उम्र होती है जब अंडे और शुक्राणु की क्वालिटी अच्छी होती है, लेकिन आजकल की स्थितियों में करियर बनाने आदि के चलते दम्पति संतान उत्पत्ति को टालते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि इसके बाद संतान उत्पत्ति की आशा समाप्त हो जाती है लेकिन यह अवश्य है कि संभावनाएं कम होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि देर से शिशु प्लान करने में दिक्कतें आ सकती हैं, जिसकी वजह से तरह-तरह के इलाज करने होते हैं जो कि खर्च बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि दम्पति संतान चाहते हैं और उन्हें सफलता नहीं मिल रही है तो बिना समय गंवाये उन्हें विशेषज्ञों से सम्पर्क करना चाहिये।

इस कार्यक्रम में आईवीएफ तकनीक की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया और कम AMH (Anti-Müllerian hormone), अवरुद्ध ट्यूब, खराब शुक्राणु गुणवत्ता और बार-बार गर्भपात जैसी बांझपन की समस्याओं को दूर करने पर ज़ोर दिया गया।

“तितली थीम वाले जन्मदिन समारोह” में कभी निराश दम्पतियों की बगिया में डॉ गीता खन्ना के प्रयासों से खिले फूल आज समारोह की शोभा बढ़ा रहे थे। इन ‘फूलों’ में नवजात शिशुओं से लेकर 26 वर्षीय आईवीएफ शिशुओं को एक साथ लाया गया, जिनमें से कुछ अब खुद माता-पिता बन चुके हैं। यह अनूठा समागम आशा और उन्नत प्रजनन देखभाल के माध्यम से प्राप्त संभावनाओं की स्वतंत्रता का प्रतीक था। साथ ही यह अत्यंत उत्साह का क्षण था क्योंकि इस समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने वाला कोई और नहीं बल्कि 1998 में अजंता अस्पताल में जन्मी पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना थीं, जो कि अब स्वयं भी मां बन चुकी हैं। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन के साथ टेस्ट ट्यूब बेबी समारोह का उद्घाटन किया। इस खास मौके पर प्रार्थना ने बॉन्ड्स ऑफ लव थीम पर आधारित 2025 टेबल कैलेंडर का भी अनावरण किया।

अजंता अस्पताल के निदेशक डॉ अनिल खन्ना ने बताया कि 25 से अधिक वर्षों की विशेषज्ञता के साथ, अजंता आईवीएफ सेंटर इनफर्टिलिटी उपचार में एक विश्वसनीय नाम बन गया है, जो उन्नत सुविधाएँ और व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की थीम, “अपने बच्चों को स्वतंत्र रूप से उड़ने दें”, दम्पतियों को माता-पिता बनने और स्वस्थ परिवारों का पालन-पोषण करने में मदद करने के लिए केंद्र के समर्पण को पुष्ट करती है। रोगियों की सफलता की कहानियों का जश्न मनाकर और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, अजंता आईवीएफ सेंटर इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दम्पतियों के लिए आशा की प्रेरणा देता रहता है।

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