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2040 तक 25 फीसदी आबादी होगी बुजुर्गों की, उनकी देखभाल की व्यवस्था में अभी से जुटना जरूरी

-आस्था सेंटर फॉर जीरियाट्रिक मेडिसिन पैलिएटिव केयर हॉस्पिटल एंड हॉस्पाइस ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आस्था सेंटर फॉर जीरियाट्रिक मेडिसिन पैलिएटिव केयर हॉस्पिटल एंड हॉस्पाइस के संस्थापक डॉ अभिषेक शुक्ला ने एक महत्वपूर्ण बिन्दु की तरफ ध्यानाकर्षित करते हुए कहा है कि लोगों का जीवन बढ़ रहा है, ऐसे में वर्ष 2040 में विश्व की 25 प्रतिशत आबादी वृद्धों की होगी। वृद्धावस्था में स्वास्थ्य की देखभाल अपने आप में चुनौतियों से भरी होती है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हम इतनी बड़ी आबादी के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सक्षम है ? क्या हमारे पास पर्याप्त मात्रा में जीरियाट्रिशियंस हैं ? क्या हमारे पास पर्याप्त वृद्धों के अस्पताल हैं ? शेल्टर होम्स, ओल्ड एज होम्स आदि हैं ?

डॉ अ​भिषेक ने ये विचार अपने गुडम्बा मार्ग, कुकरैल फॉरेस्ट के निकट स्थित आस्था ओल्ड एज होम परिसर में अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर 2 अक्टूबर को आयोजित समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वृद्धावस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे व्यक्ति के सामने चुनौतियां भी बढ़ती हैं, उन्होंने कहा कि कुछ चीजें ऐसी हैं जो बूढ़े लोगों की दुश्मन हैं। इनमें पहली चीज है इनस्टेबिलिटी यानी व्यक्ति का अपनी चाल पर कंट्रोल कम होने लगता है, चलते-फिरने में डगमगाना, गिरने जैसी घटनाएं होने लगती हैं। दूसरी चीज है इनकॉन्टीनेंसी यानी मल-मूत्र त्याग करना बताने की ताकत कम होती जाती है, वह किसी से कुछ कहता नहीं है, और धीरे-धीरे अवसाद का शिकार होने लगता हैं, तीसरी चीज है इन्टेलेक्चुअल इम्पेयरमेंट, इसमें उम्र बढ़ने पर सोचने-समझने, निर्णय लेने की ताकत कम होने लगती है, जिसकी वजह से दुर्घटनाएं, बैंकिंग कार्य में धोखाधड़ी जैसी घटनाएं होने लगती हैं। इन सारी चुनौतियों में वृद्धि तब और हो जाती है जब बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए घर में कोई नहीं होता है। क्योंकि आजकल छोटे परिवार हो गये हैं, बच्चे ज्यादातर शहर से दूर रहकर जॉब कर रहे हैं, माता-पिता की देखरेख करने वाला कोई नहीं होता है, छोटे-छोटे कार्य जैसे नाड़ा बांधना, जूते के फीते बांधना, घर के बाहर जाने, पेंशन निकालने, बिल जमा करने में किसी की सहायता की जरूरत पड़ती है।

डॉ अभिषेक ने बताया कि इन चुनौतियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भविष्य में ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए आस्था जैसे केंद्रों की बहुत जरूरत पड़ेगी। उन्होंने बताया कि आस्था में ऐसे ही अनेक बुजुर्ग रह रहे हैं, इनमें सर्वाधिक लम्बे समय से रहने वाले बुजुर्ग जो बुजुर्ग आस्था में रह रहे हैं, वह 7 साल 3 माह से यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां रह रहे लोगों में गिरने, फ्रैक्चर होने, बेड सोर आदि की समस्या जैसी चीजें ना के बराबर हैं। इन सेवाओं को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ले जाना हमारा लक्ष्य है।

एम्स भोपाल के पूर्व निदेशक केजीएमयू के सर्जरी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ संदीप कुमार ने बताया कि जब मैं एम्स भोपाल में तैनात हुआ तब मैंने वहां जीरियाट्रिक मेडिसिन, ट्रॉमा एंड इमरजेंसी मेडिसिन व फैमिली मेडिसिन विभाग की स्थापना की थी। उन्होंने बताया कि आयु बढ़ने पर निर्भरता बढ़ जाती है, चलने-फिरने, उठने-बैठने तक में दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में बुजुर्गों की जरूरत को देखते हुए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चाणक्य की तरह से मैंने जीरियाट्रिक को लखनऊ में शुरू किया, चंद्रगुप्त की तरह डॉ अभिषेक ने इसे बढ़ाया उम्मीद है यह और आगे बढ़ेगा।

93 वर्षीय सुपर सीनियर सिटीजन डॉ हरि नारायण श्रीवास्तव

इस मौके पर रिटायर्ड जस्टिस अनिल कुमार, रिटायर्ड आईएएस सुनन्दा प्रसाद, भारतीय वरिष्ठ नागरिक समिति के पैट्रन व पूर्व अध्यक्ष वीके शुक्ला, डॉ आतिफा सलाउद्दीन ने भी सम्बोधित किया। लखनऊ के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके शुक्ला ने आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज लखनऊ में वृद्धों की देखभाल करने वाले केंद्रोें की बहुत आवश्यकता है, हमारे परिवार बहुत छोटे हैं, एक या दो बच्चे हैंं, शुरू में माता-पिता उन्हें विदेश भेज देते हैं, बाद में वे वहीं बस जाते हैं, और माता-पिता यहां ओल्ड एज होम में रहते हैं, हमें यह सोचना होगा कि वृद्धावस्था में वृद्ध अकेला न महसूस करें, इसके लिए हमसे जो भी संभव हो, उनकी मदद करें।

पितरों की तरह ही करें जीवित बुजुर्गों का सम्मान : डॉ आरके शर्मा

मुख्य अतिथि डॉ आरके शर्मा ने कहा कि जिस तरह से हमारी हेल्थ सुविधाएं इम्प्रूव हो रही हैं, उससे आयु बढ़ रही है, इसलिए वृद्धों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए भी हमें व्यवस्था रखनी होगी, इसके लिए मैं डॉ अभिषेक की प्रशंसा करना चाहूंगा कि उन्होंने कई साल पहले वृद्धों की देखभाल के लिए आस्था जैसे सेंटर की शुरुआत की, जो आज की बहुत जरूरत बन गयी है। इसकी सुविधा गरीब वृद्धों को भी मिल सके, इसके लिए ऐसी संस्थाएं जो इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, वे सरकार से मिलकर कल्याणकारी योजनाएं बनवायें। उन्होंने अपने भाषण में भारत के परिप्रेक्ष्य में पितृ पक्ष का भी जिक्र​ किया। उन्होंने कहा कि जैसे हम अपने पितृ के प्रति आदर रखते हैं, वैसे ही हमें जीवित बुजुर्गों का भी ध्यान रखना चाहिये। हमें न सिर्फ उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिये बल्कि उनके महत्व को देखते हुए समाज में उनकी उपयोगिता का भी उन्हें अहसास कराते रहना चाहिये।

साउथ एशिया देशों के लिए जर्नल के लोगो का अनावरण

इस मौके पर जीरियाट्रिक जर्नल साउथ एशियन जर्नल ऑफ जीरियाट्रिक मेडिसिन सर्जरी पैलिएटिव केयर एंड हॉस्पाइस के लोगो का अनावरण भी हुआ। डॉ अभिषेक ने इसके बारे में बताया कि इस जर्नल के जरिये साउथ एशिया के नौ देशों में जीरियाट्रिक केयर के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य करेगा। वर्तमान में इन देशों के एक प्रतिशत से भी कम लोगों को जीरियाट्रिक सुविधाएं मिल पाती हैं। इसके एडीटोरियल बोर्ड में दक्षिण एशिया के देशों भारत, बंगलादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका के सदस्यों को रखा जायेगा। इसमें भारत से एसजीपीजीआई के पूर्व निदेशक डॉ आरके शर्मा, प्रो संदीप कुमार, एम्स के डॉ विनोद कुमार, सरदार वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक प्रो राजेन्द्र प्रसाद, लारी कार्डियोलॉजी के पूर्व हेड प्रो वीके पुरी, कैंसर विशेषज्ञ डॉ शैली हुक्कू, गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ अमिता शुक्ला, तमिलनाडु की डॉ शुभा सोमसुंदरम, आरएमएल के डॉ निखिल गुप्ता को शामिल किया गया है, ये चिकित्सक अपनी-अपनी विधा से सम्बन्धित विषय को देखेंगे।

93 वर्षीय सुपर सीनियर सिटीजन ने दिखायी गर्मजोशी

इस मौके पर 93 वर्षीय सुपर सीनियर सिटीजन डॉ हरि नारायण श्रीवास्तव का सम्मान किया गया। डॉ अभिषेक ने लोगों से उनका परिचय कराते हुए बताया कि इस उम्र में भी डॉ श्रीवास्तव अपने सारे कार्य स्वयं करते हैं। 52 साल जनसेवा में लगा दिये, गरीबों से दवा का कभी पैसा नहीं लिया, आध्यात्मिक राह में भी डॉ श्रीवास्तव जुड़ गये थे, डॉ श्रीवास्तव ने 12 साल तक अन्न का सेवन नहीं किया, खुद को जीवन की नयी दिशा दी। नियमित दिनचर्या और संतुलित आहार इनके जीवन का अंग हैं, बड़ी-बड़ी चुनौतियों से बहुत आसानी से निपट लेते हैं। ये शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़ गये हैं, इन्होंने अपनी बॉडी केजीएमयू को दान देने का ऐलान कर दिया है। डॉ श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन मेें कहा कि मैंने मैं, मेरा, अपना जैसी बातों को अपने जीवन से हटा दिया है, और भगवान के चरणों में अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। वे अपने सम्बोधन के दौरान कई बार भावुक हो गये। उन्होंने कहा कि मैं 93 वर्ष का हूं, अब शतक की ओर बढ़ रहा हूं। इस मौके पर आस्था और रोटरी क्लब की ओर से कई चिकित्सकों व अन्य का सम्मान भी किया गया। इस मौके पर एमिटी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ जयंती श्रीवास्तव अपने साइकिलिस्ट ग्रुप के साथ उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने सम्बोधन में डॉ अभिषेक को रत्न बताते हुए कहा कि इस रत्न को धारण करने वाली डॉ अभिषेक की मां डॉ मंजू शुक्ला का मैं सम्मान करना चाहती हूं। इस मौके पर आस्था और रोटरी क्लब इलीट द्वारा प्रो आरके शर्मा, डॉ अमिता शुक्ला, प्रो राजेंद्र प्रसाद सहित कई चिकित्सकों व अन्य लोगों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले रोटरी क्लब इलीट के अध्यक्ष रो अजय कुमार सक्सेना ने बताया कि रोटरी क्लब इलीट की ओर से लखनऊ में 12 से 16 साल की 1500 बच्चियों को ढाई से तीन हजार रुपये मूल्य की सर्वाइकल कैंसर से बचाव की डोज फ्री लगायी जायेगी।

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