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लाइलाज अल्जाइमर्स पर बिना साइड इफेक्ट वाले होम्योपैथिक इलाज से लगायें लगाम

-विश्व अल्जाइमर्स दिवस (21 सितम्बर) पर विशेष

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आज विश्व अल्जाइमर्स दिवस (21 सितम्बर) है। आमतौर पर 65 वर्ष के ऊपर के लोगों में पायी जाने वाला रोग अल्जाइमर मनोभ्रंश का सबसे आम कारण है। यह रोग समय के साथ याददाश्त, सोच, सीखने और संगठित करने के कौशल में गिरावट का कारण बनता है।

डॉ गिरीश गुप्ता

होम्योपैथी में अल्जाइमर के उपचार के बारे में ‘सेहत टाइम्स’ द्वारा वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक गौरांग क्लीनिक एवं होम्योपैथिक अनुसंधान केन्द्र (जीसीसीएचआर) के मुख्य परामर्शदाता डॉ गिरीश गुप्ता से जानकारी ली गयी। उन्होंने बताया कि अल्जाइमर बीमारी में, मस्तिष्क के हिस्से में खराबी आ जाती है जिससे तंत्रिका कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) का क्षरण होने लगता है, परिणामस्वरूप उन कोशिकाओं के बीच संकेतों को प्रसारित करने वाले कई रासायनिक संदेशवाहकों की प्रतिक्रिया कम हो जाती है। नतीजा रोगी की याददाश्त प्रभावित होती है, जिससे रोगी विशेषकर हालिया घटनाओं को भूलने लगता है जबकि पुरानी और बचपन की चीजें याद रहती हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ, अल्ज़ाइमर रोग के लक्षण बढ़ते जाते हैं और मरीज़ की दैनिक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं। अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित लोगों में, रोज़मर्रा के कामों को पूरा करने में परेशानी होती है, जैसे भोजन करना, कपड़े पहनना, किसी परिचित जगह पर गाड़ी चलाना।

डॉ गिरीश गुप्ता ने कहा कि जैसा कि रिपोटर्स बताती हैं कि अल्ज़ाइमर को ठीक करने का किसी चिकित्सा पद्धति में कोई स्थायी इलाज नहीं है। अगर मैं होम्योपैथिक उपचार की बात करूं तो इसमें ऐसी दवाएं अवश्य मौजूद हैं जिनसे अल्जाइमर की बढ़ोतरी को लगाम लगायी जा सकती है, यानी रोग के कारण आगे और ज्यादा होने वाले नुकसानों को रोका जा सकता है, इसके साथ ही लक्षणों के आधार पर अल्जाइमर के रोगी को उपचार देकर उसे राहत भी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर का होम्योपैथिक उपचार इसलिए भी श्रेयस्कर है क्योंकि इसमें दवाओं के साइड इफेक्ट का कोई डर नहीं है।

उन्होंने बताया कि प्रत्येक पैथी की अपनी विशिष्टता है और इसी वजह से उसका अलग वजूद है, सरकार भी चाहती है कि सभी पैथी समन्वय के दृष्टिकोण के साथ उपचार करें क्योंकि मुख्य उद्देश्य रोगी को लाभ देना और रोगरहित बनाना है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि अल्जाइमर के कई मरीजों, जिनका इलाज न्यूरोफिजीशियन द्वारा किया जा रहा है, उन्हें ऐलोपैथिक दवा के साथ ही होम्योपैथिक दवा भी दी जा रही है, जिसके परिणाम बहुत अच्छे आ रहे हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें ऐलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट के चलते परेशानी ज्यादा बढ़ने पर न्यूरोफिजीशियन ने उन्हें सिर्फ होम्योपैथिक दवा लेने की सलाह दी है।

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