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स्वस्थ बने रहने और रोग से मुक्ति के लिए चरक के सिद्धांतों का करें पालन

-विश्व आयुर्वेद परिषद ने पूजन व शांति यज्ञ के साथ मनाया चरक जयंती समारोह, नि:शुल्क शिविर का भी आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ/गाजियाबाद। हजारों वर्ष पूर्व महर्षि चरक भारतीय भूमि पर चिकित्सा शास्त्र के प्रमुख प्रणेता के रूप में रहे हैं व उनके द्वारा रचित पुस्तक चरक संहिता आयुर्वेद का मुख्य ग्रंथ है, आयुर्वेद के विद्यार्थी बीएएमएस के दौरान इसका अध्ययन करते हैं। चरक ने रोगमुक्त रहने और रोगों की चिकित्सा करने के लिए सम्पूर्ण जीवन शैली और अनेक रोगों तथा औषधि योगों का विस्तृत वर्णन चरक संहिता में किया है।

ये विचार 11 अगस्त को विश्व आयुर्वेद परिषद गाजियाबाद द्वारा आज 11 अगस्त को गोविंदपुरम स्थित श्री धन्वंतरि क्लीनिक पर आयोजित चरक जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी ग़ाज़ियाबाद, हापुड़ डॉ. अशोक राणा ने व्यक्त किये। उन्होंने सभी उपस्थित आयुर्वेद चिकित्सकों को यह संकल्प दिलाया कि वह भविष्य में वे आयुर्वेद चिकित्सा से जन सामान्य को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेंगे तथा आयुर्वेद का अधिकतम प्रचार-प्रसार करें डॉ राणा ने कहा कि सभी आयुर्वेद चिकित्सकों को आयुर्वेद तथा एकल औषधियां; जैसे – अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी, गुडूची, निर्गुण्डी आदि का प्रयोग करना चाहिए। इस अवसर पर प्रातः चरक पूजन व शांति यज्ञ का आयोजन किया गया।

ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आयुर्वेद​ चिकित्सा शिविर लगाने की सलाह

वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ सुभाष गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सक समाज को आयुर्वेद द्वारा अधिक से अधिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें। उन्होंने विश्व आयुर्वेद परिषद संस्था के बारे में भी सभी को अवगत कराया और बताया कि विश्व में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए सबसे बड़ी गैर सरकारी संस्था विश्व आयुर्वेद परिषद है। उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा को जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए अधिक से अधिक संख्या में आयुर्वेद डॉक्टर को ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र में चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने की सलाह दी।

न्यूरो स्पाइन समस्याओं में लाभप्रद है आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा

वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ संदीप गर्ग ने बताया कि न्यूरो स्पाइन समस्याएं जैसे स्लिप डिस्क, सियाटिका व जोड़ों को दर्द जैसे घुटनों के दर्द आदि रोगों में आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा काफी लाभप्रद रहती है, जिसमें स्नेहन, अभ्यंगम, स्वेदन, कटि-बस्ती, जानू-बस्ती, धारा, शिरोधारा, नस्य आदि उपक्रमों का प्रयोग विशेषज्ञ आयुर्वेद चिकित्सक की निगरानी में ट्रेंड थैरेपिस्ट द्वारा किया जाता है, जिससे दर्द में काफी आराम मिलता है। कई बार पंचकर्म चिकित्सा से इतने बेहतरीन परिणाम प्राप्त होते हैं की सर्जरी की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

क्षारसूत्र चिकित्सा के हो चुके हैं सफल क्लीनिकल ट्रायल

श्री धन्वंतरी क्लीनिक गोविंदपुरम गाजियाबाद के संस्थापक गुदा रोग क्षारसूत्र विशेषज्ञ डॉ नवीन चौहान ने बताया कि आयुर्वेद में बवासीर, फिशर, भगंदर, पिलोनाइडल साइनस (नासूर) आदि रोगों के लिए विशेष शल्य चिकित्सा जिसे क्षारसूत्र चिकित्सा के नाम से जाना जाता है, उपलब्ध है, जिसके परिणाम बेहतरीन है तथा इन रोगों में आयुर्वेद औषधि चिकित्सा भी काफी हद तक कामयाब है। उन्होंने बताया कि क्षारसूत्र विधि से जिन रोगियों का इलाज किया जाता है, उन्हें भविष्य में यह बीमारियां होने की संभावना नगण्य होती है। यह चिकित्सा पूर्णतया प्रामाणिक चिकित्सा है तथा क्षारसूत्र पर सफलतापूर्वक क्लिनिकल ट्रायल्स व अनुसंधान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ आदि में हो चुके हैं।

कनिष्ठों के साथ ज्ञान व अनुभव साझा करें वरिष्ठ चिकित्सक

वरिष्ठ आयुर्वेद शल्य चिकित्सा डॉ अनुज त्यागी ने बताया कि आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सकों को अपने कनिष्ठ चिकित्सकों व विद्यार्थियों को अपने ज्ञान और अनुभव साझा अवश्य करने चाहिए, जिससे आने वाले समय में नए चिकित्सक भी बेहतरीन आयुर्वेद चिकित्सा कर समाज को स्वस्थ बनाने में अपना योगदान प्रदान कर सकें।

विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा इस अवसर पर आयुर्वेद क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. स्वदेश भूषण शर्मा तथा डॉ. राजीव अशोक को चरक सम्मान से सम्मानित किया गया तथा नव सदस्य डॉ राहुल चौहान को सदस्यता प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।

इस अवसर पर श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन झांसी द्वारा एक निःशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा परामर्श शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें लगभग 60 रोगियों को आयुर्वेद परामर्श प्रदान किया गया और औषधियां भी निःशुल्क वितरित की गईं तथा फैमिली पैथोलॉजी लैब गोविंदपुरम के सौजन्य से हीमोग्लोबिन और ब्लड शुगर की जांच भी निशुल्क प्रदान की गई। शिविर में बैद्यनाथ की ओर से गौरव राणा तथा नितिन तोमर का विशेष सहयोग रहा।

कार्यक्रम में डॉ. महेश चंद्र अग्रवाल, डॉ. आनंद वशिष्ठ, डॉ. नीरज गर्ग, डॉ एनके त्यागी, डॉ यूएस चौधरी, डॉ पारुल गर्ग, डॉ आशा गुप्ता, डॉ जयपाल सिंह चौहान, डॉ श्रीकांत गौर, डॉ विपिन वार्ष्णेय, डॉ रजत त्यागी, डॉ अमित चौधरी, डॉ मोहित, डॉ राहुल चौहान आदि चिकित्सकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा परिषद के अध्यक्ष डॉ. यूएस चौधरी ने कार्यक्रम समापन पर सबका धन्यवाद व्यक्त किया। गौरव राणा, सलिल, नवीन तोमर, प्रदीप, एपी सिंह आदि ने भी चिकित्सा शिविर में सहयोग किया।

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