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जानिये, किडनी फेल्योर के मरीजों का इलाज होम्योपैथी में क्यों है बेहतर

-विश्व गुर्दा दिवस (14 मार्च) पर ‘सेहत टाइम्स’ की विशेष रिपोर्ट

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आज विश्व गुर्दा दिवस (14 मार्च) है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विभिन्न रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दिवसों का निर्धारण किया गया है ताकि चिकित्सा जगत में उस रोग विशेष के दिन इस रोग से बचने, उपचार, अनुसंधान पर चर्चाएं हों और जागरूकता फैलायी जा सके।

आपको बता दें कि अभी तक खराब हो चुके गुर्दे को पहले जैसी स्थिति में लाने वाली (पूर्ण उपचार ) कोई दवा किसी भी पैथी में नहीं आयी है, ऐसे में एलोपैथिक चिकित्सा और होम्योपैथिक चिकित्सा की बात करें तो जहाँ ऐलोपैथी में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने पर विशेषज्ञ डायलिसिस की सलाह देते हैंऔर फिर कुछ समय बाद किडनी ट्रांसप्लांट यानि गुर्दा प्रत्यारोपण की सिफारिश करते हैं, जो कि अत्यंत जटिल एवं खर्चीली है, साथ ही साइड इफेक्ट होते हैं, जबकि इसके विपरीत होम्योपैथी में इस रोग के इलाज के लिए की गयी रिसर्च में पाया गया है कि होम्योपैथिक दवाओं से लम्बे समय तक डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ी, यही नहीं जिन मरीजों की डायलिसिस शुरू हो चुकी थी उनकी डायलिसिस बंद भी हो गयी।

डॉ गिरीश गुप्ता

अनेक प्रकार के रोगों में वैज्ञानिक साक्ष्य के साथ की गयी होम्योपैथिक रिसर्च के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाने वाले गौरांग क्लिनिक और सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के संस्थापक व मुख्य परामर्शदाता डॉ गिरीश गुप्ता और जीसीसीएचआर के अन्य शोधकर्ता व परामर्शदाता डॉ गौरांग गुप्ता से ‘सेहत टाइम्स’ ने विशेष वार्ता की।

डॉ गिरीश ने बताया कि जीसीसीएचआर में अब तक हुई रिसर्च बताती है कि होम्योपैथिक इलाज से पांच-पांच साल तक डायलिसिस/ट्रांसप्लांट से दूर रखने में सफलता मिली है, यहाँ तक कि एक मरीज को 15 वर्षों तक ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ी। डॉ गुप्ता ने बताया कि इस रिसर्च का प्रकाशन नेशनल जर्नल ऑफ होम्‍योपैथी में वर्ष 2015 वॉल्‍यूम 17, संख्‍या 6 के 189वें अंक में हो चुका है। रिसर्च के बारे में उन्होंने बताया कि इलाज से पूर्व मरीज के रोग की स्थिति का आकलन उसकी सीरम यूरिया, सीरम क्रिएटिनिन और ईजीएफआर की रिपोर्ट को आधार मानते हुए किया गया। इन मरीजों की किडनी का साइज देखने के लिए अल्ट्रासाउंड भी कराया गया। जिन 160 मरीजों पर शोध किया गया इनमें किसी भी रोगी की डायलिसिस नहीं हो रही थी। अगर आयु की बात करें तो इसमें 109 रोगी 31 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के थे, जबकि 30 वर्ष की आयु तक के 24 तथा 61 वर्ष की आयु से ऊपर वाले 27 मरीज थे। इनमें 151 मरीजों का इलाज पांच साल से कम तथा 9 मरीजों का फॉलोअप पांच वर्ष से ज्‍यादा अधिकतम 15 वर्ष तक किया गया है।

डॉ गौरांग गुप्ता

डॉ गुप्‍ता ने एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि को इंगित करते हुए बताया कि ये सभी मरीज किडनी फेल्‍योर की पहली से लेकर पांचवीं (प्राइमरी से एडवांस) स्‍टेज तक के थे, इनमें कई मरीज अपनी वर्तमान स्‍टेज से कम वाली स्‍टेज में वापस भी आ गये।

डॉ गौरांग गुप्ता ने बताया कि सेंटर पर लगातार किडनी के मरीजों के उपचार के साथ ही शोध कार्य जारी है, रीनल फेल्योर के होम्योपैथिक ट्रीटमेंट से सफल उपचार के रोगियों के बारे में फिजिशियंस को अपडेट करने के उद्देश्य से बेस्ट रेस्पॉन्डिंग केसेस की शृंखला का प्रकाशन जर्नल में किया जा रहा है। इस सीरीज के तहत एडवांसमेंट इन होम्योपैथिक रिसर्च के मई 2023 से जुलाई 2023 के अंक, अगस्त 2023 से अक्टूबर तथा 2023 नवंबर 2023 से जनवरी 2024 के अंक में तीन-तीन केसेस का प्रकाशन किया जा चुका है।

डॉक्टर साहब मेरे लिए भगवान की तरह

रिपोर्टिंग के दौरान 54 वर्षीय बी मिश्रा किडनी फेल्योर के मरीज जो कि 2021 से डॉ गिरीश गुप्ता से इलाज करा रहे हैं, सेंटर पर आये थे। उन्होंने बताया कि 2021 में उन्हें ऑक्सीजन की कमी हो जाने के कारण इंदिरा नगर स्थित एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्हें 6-7 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया, इसके बाद उन्हें निराला नगर स्थित एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ क्रिएटिनिन 6.8 पहुँचने पर डायलिसिस शुरू कर दी गयी, उन्होंने बताया कि मेरी पांच डायलिसिस हुई थीं, तभी मुझे किसी के माध्यम से डॉ गिरीश गुप्ता के बारे में पता चला तो मेरे केस के बारे में डॉ गिरीश ने दवा दी, उन्होंने बताया कि दवा से फायदा हुआ, तो उस अस्पताल के डॉक्टर ने समझा कि उनकी दवा से फायदा हुआ है, मरीज ने बताया कि जब क्रिएटिनिन 3. 8 आ गया तो उस अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गयी। उन्होंने बताया कि तब से मेरी लगातार दवा चल रही है और क्रिएटिनिन नार्मल रेंज में रहती है। मिश्रा जी मुक्त कंठ से डॉ गिरीश गुप्ता की प्रशंसा के पुल बांधते हुए कहते हैं कि डॉक्टर साहब मेरे लिए भगवान की तरह हैं।

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