-विश्व हीमोफीलिया दिवस पर केजीएमयू में संगोष्ठी का आयोजन
-हीमोफीलिया ग्रस्त रोगियों की सर्जरी यूपी में सिर्फ केजीएमयू में ही हो रही
सेहत टाइम्स
लखनऊ। जन्मजात होने वाली बीमारी हीमोफीलिया की जल्दी से जल्दी पहचान के लिए आवश्यक है कि इसके लक्षणों के प्रति न सिर्फ परिजन बल्कि चिकित्सक भी जागरूक रहें, यदि बच्चे को चोट लगने पर रक्त न रुके, या गिरने के बाद जोड़ों में सूजन आ जाये या फिर काले-लाल धब्बे पड़ जायें तो सावधान हो जायें, क्योंकि यह बच्चे में हीमोफीलिया होने का संकेत हो सकता है।
यह सलाह केजीएमयू के क्लीनिकल हेमेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एके त्रिपाठी ने विभाग द्वारा विश्व हीमोफीलिया दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में दी। उन्होंने बताया कि अच्छी बात यह है कि हीमोफीलिया की प्रारम्भिक जांच प्रोथ्रोम्बिन समय (पीटी) और सक्रिय आंशिक थ्रोम्बोप्लास्टिन समय (एपीटीटी) Prothrombin time (PT) and activated partial thromboplastin time (APTT) की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों में भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि इन प्रारम्भिक जांच में हीमोफीलिया के संकेत मिलते हैं तो आगे की जांच के लिए केजीएमयू या दूसरे उच्च संस्थान से सम्पर्क करना चाहिये।
प्रो त्रिपाठी ने बताया कि इसके अलावा यदि किसी दम्पति के एक बच्चे को हीमोफीलिया हो तो उसे अगले बच्चे में पूर्व से ही जांच करानी चाहिये। उन्होंने बताया कि चूंकि यह रोग माता से शिशु में आता है इसीलिए यह ध्यान रखना चाहिये कि शिशु के मामा, नाना को अगर हीमोफीलिया है तो शिशु की जांच अवश्य करानी चाहिये। उन्होंने बताया कि यह देखा गया है कि हीमोफीलिया से ग्रस्त रोगियों में सिर्फ 25 फीसदी रोगियों को ही यह पता है कि उन्हें हीमोफीलिया है, जबकि 75 फीसदी रोगियों को यह जानकारी ही नहीं है कि उन्हें हीमोफीलिया है।
संगोष्ठी में हीमाफीलिया के 60 रोगियों के साथ ही समाजसेवी और केजीएमयू की फैकल्टी, चिकित्सक भी उपस्थित रहे। इस मौके पर हीमोफीलिया रोगियों की सफल प्रत्यारोपण सर्जरी करने वाले केजीएमयू के चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया।
ज्ञात हो हीमोफीलिया में सर्जरी एक कठिन कार्य है जो कि पूरे देश में कुछ ही केंद्रों पर उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश में सिर्फ केजीएमयू लखनऊ में हीमोफीलिया रोगियों की सर्जरी की जा रही है, केजीएमयू में अब तक 60 मरीजों की घुटना प्रत्यारोपण, कूल्हा प्रत्यारोपण की सर्जरी की जा चुकी है। इस मौके पर हीमोफीलिया सर्जरी में विशेष योगदान देने वाले सर्जरी विभाग के प्रोफेसर सुरेश कुमार, डॉ फराज अहमद, ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ शैलेंद्र सिंह, डॉक्टर दीपक कुमार, पीडिया ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ सुरेश चंद्र, बाल विभाग के डॉ निशांत वर्मा, थोरेसिक विभाग के डॉ शैलेंद्र यादव, पैथोलॉजी विभाग की डॉ रश्मि कुशवाहा को सम्मानित किया गया। इनके अलावा हीमोफीलिया सोसायटी के सक्रिय सदस्य अरुण कुमार द्विवेदी एवं राहुल पांडे को भी सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व संगोष्ठी की शुरुआत में डॉ एसपी वर्मा ने अपने स्वागत संबोधन में हीमोफीलिया के समग्र उपचार में सही जानकारी जनमानस तक देने पर बल दिया। उन्होंने हीमोफीलिया के मरीजों में हो रही सफल सर्जरी के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर हीमोफीलिया सोसायटी लखनऊ के सेक्रेटरी विनय मनचंदा ने हीमोफीलिया पर एक वेबसाइट लॉन्च होने की जानकारी दी।