-विश्व किडनी दिवस के उपलक्ष्य में केजीएमयू में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। 50 से 60% केसों में गुर्दा फेल होने का बड़ा कारण है कि लोग डायबिटीज और हाइपरटेंशन बीमारियों में जांच और दवाएं नियमित रूप से लेने में लापरवाही बरतते हैं, इसलिए जो व्यक्ति इन बीमारियों से ग्रसित हैं वह निरंतर अंतराल पर अपनी ब्लड शुगर, पेशाब की जांच तथा किडनी फंक्शन टेस्ट कराते रहें और चिकित्सकों के परामर्श से अपनी दवाई लेते रहें।
यह महत्वपूर्ण जानकारी विश्व गुर्दा दिवस पर के उपलक्ष्य में यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में शनिवार को आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने उपस्थित मरीजों व परिजनों को दी। इस जागरूकता कार्यक्रम में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र आतम, प्रोफ़ेसर कौसर उस्मान, प्रोफ़ेसर केके सावलानी, प्रोफेसर एमएल पटेल, डॉ अजय कुमार पटवा, डॉ हरीश गुप्ता, डॉ सतीश उपस्थित रहे।
इस मौके पर उपस्थित मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफ़ेसर एसएन संखवार, प्रोफेसर विश्वजीत ने ऐसे आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन मरीजों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर एसके सोनकर ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए मरीजों की समस्याओं का समाधान किया। इस मौके पर मरीजों का शुगर सीरम यूरिया क्रिएटिनिन तथा माइक्रोएल्बुमिन की निःशुल्क जांच की गई। डॉक्टर मेधावी गौतम ने विश्व किडनी दिवस की महत्ता को समझाते हुए उन मरीजों को सम्मानित किया जिनकी जांच रिपोर्ट नॉर्मल आई थी, उन्होंने ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने पर भी प्रकाश डाला। इन बीमारियों से बचने के बारे में विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि लोगों को खान-पान पर नियंत्रण तथा रोजाना कोई न कोई व्यायाम करके डायबिटीज तथा उच्च रक्तचाप जैसी साइलेंट किलर बीमारियों से बचना चाहिए। इन बीमारियों को साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके लक्षण शुरू में नहीं दिखते हैं। हर चौथा व पांचवां व्यक्ति 40 की उम्र के बाद डायबिटीज व हाइपरटेंशन से ग्रसित हो जाता है जिन्हें ये बीमारियां होती हैं उनमें से 30 से 40% लोगों के गुर्दा फेल होने की संभावना बनी रहती है।
ये भी कारण हैं गुर्दा फेल होने के
विशेषज्ञों ने बताया कि गुर्दा फेल होने का दूसरा प्रमुख कारण बिना डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक व नेफ्रोटॉक्सिक दवाओं का सेवन करना है। विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान, मदिरा व दूसरे नशे की वस्तुओं के सेवन से बचें। चिकित्सकों ने कहा कि हमारे यहां कई गर्भवती महिलाएं भी आती हैं जिनका गुर्दा फेल हो जाता है इनमें प्रमुख कारणों में सेप्टिक अबॉर्शन, पोस्टपार्टम सेप्सिस, एक्लेम्पसिया तथा हेमरेज होता है विशेषज्ञों ने महिलाओं से अपील की कि गर्भावस्था में वे एक कुशल चिकित्सक की देखरेख में रहें। उन्होंने इसके साथ ही इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी पर भी जोर दिया। एक अन्य कारण के बारे में जिक्र करते हुए चिकित्सकों ने कहा कि गुर्दा में पथरी होने से भी सतर्क रहें तथा कोशिश करते रहे कि शरीर में पानी की मात्रा पर्याप्त रहे। विशेषज्ञों ने बताया कि कई नव युवकों के भी गुर्दा फेल हो जाते हैं इसका प्रमुख कारण ग्लोमेरूलो नेफ्राइटिस है। इस बीमारी में पेशाब में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं ब्लड आता है जिससे किडनी पर असर पड़ता है और अगर इसका सफल इलाज नहीं हुआ तो आगे चलकर कुछ ही सालों में गुर्दा फेल हो जाता है, इसलिए इसमें लापरवाही न बरतें एवं कुशल चिकित्सक की देखरेख में इसका इलाज करें। विशेषज्ञों ने कहा कि कई बार इसके लक्षण एडवांस किडनी फेलियर में पता चलते हैं जब 50% से ज्यादा किडनी फेल हो जाती है।
ये लक्षण दिखें तो हो जायें सावधान
विशेषज्ञों ने बताया कि कुछ लक्षणों के देखने पर यदि सतर्कता बरती जाए तो किडनी फेल होने से बचाई जा सकती है, इन लक्षणों में शरीर में सूजन आ जाना, सांस फूलना, थकान होना, पेशाब की मात्रा 24 घंटे में आधा लीटर से कम होना, इसके साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होना ब्लड प्रेशर बढ़ना शामिल हैं। अगर ये लक्षण दिखते हैं तो इसका अर्थ है कि गुर्दा तेजी से फेल हो रहा है।
कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सा अधीक्षक डॉ डी हिमांशु ने कहा कि जिन मरीजों का गुर्दा फेल हो जाता है तो संस्थान में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है, साथ ही अब किडनी ट्रांसप्लांट की भी सुविधा दी जा रही है जो कि संस्थान की बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने संस्थान में उपलब्ध निशुल्क सेवाओं की भी जानकारी दी जिससे मरीजों को इलाज करवाने के लिए किसी भी तरह की असुविधा उत्पन्न न हो। इस मौके पर डॉ अनुश बाबू, डॉ विशाल पूनिया, डॉ दुर्गेश ने भी लोगों के स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों के उत्तर दिए।