डा0 डीपी रस्तोगी को 7वीं पुण्य तिथि पर याद किया, वैज्ञानिक संगोष्ठी आयोजित
लखनऊ. जब इन्फ्ल्यूइंजा फैल रहा हो तो बचाव आवश्यक है। इसके लिये जब भीड़-भाड़ मंदिर, मेले आदि में जाना हो तो इन्फ्ल्यूंजिनम-200 पॉवर में लेकर इससे बचाव किया जा सकता है। यह सलाह किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च के विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार सक्सेना ने एक वैज्ञानिक संगोष्ठी में दी.
राजधानी के होम्योपैथिक चिकित्सकों ने केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के पूर्व निदेशक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिकित्सक डा0 डी0पी0 रस्तोगी को उनकी 7वीं पुण्य तिथि पर याद किया। इस अवसर पर होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी के तत्वावधान में स्मृति समारोह एवं वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन टी0सी0आई0 सेन्टर, गोमती नगर के सभाकक्ष में किया गया जिसमें चिकित्सकों ने डा0 रस्तोगी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के वरिष्ठ सदस्य डा अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि होम्योपैथी के श्लाकापुरूष डा0 रस्तोगी प्रख्यात विद्वान, लोकप्रिय शिक्षक, उच्च कोटि के अनुसंधानकर्ता थे उन्होंने परिषद के शोध कार्यों को आम चिकित्सकों तक पहुंचाया जिसका सीधा लाभ जनता को प्राप्त हुआ और होम्योपैथी के पक्ष में वातावरण सृजित हुआ। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के प्रति उनका समर्पण अनुकरणीय है। पूर्व निदेशक होम्योपथी प्रो0 बी0एन0 सिंह ने कहा की डा0 रस्तोगी के आदर्शों पर चलकर होम्योपैथी को विकास के रास्ते पर ले जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च के विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार सक्सेना ने इन्फ्ल्यूइंजा के कारण, जटिलताएं, बचाव एवं होम्योपैथिक उपचार विषयक शोध पत्र में बताया कि इन्फ्ल्यूंइजा ए, बी और सी तीन प्रकार का होता है। ए-प्रकार में स्वाइन फ्लू सबसे गंभीर, बी प्रकार ज्यादा गंभीर, और सी प्रकार मौसमी होता है। जब इन्फ्ल्यूइंजा फैल रहा हो तो बचाव आवश्यक है। इसके लिये जब भीड़-भाड़ मंदिर, मेले आदि में जाना हो तो इन्फ्ल्यूंजिनम-200 शक्ति में लेकर इससे बचाव किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू के बचाव में आर्सेनिक होम्योपैथिक औषधि काफी लाभकारी साबित हुई है। सभी प्रकार के फ्लू के बचाव एवं उपचार में होम्योपैथी की कारगरता पर सीसीआरएच एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक शोध हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि जब फ्लू फैल रहा हो तो छीकंते खांसते समय मुंह पर हाथ या रूमाल रखें। मरीज से कम से कम एक हाथ दूर रहें। किसी से हाथ न मिलायें। भीड़-भाड़ के इलाकों में जाने से बचें। खूब पानी पीयें और पोषण युक्त भोजन करें, पूरी नींद लें एवं तनाव से बचें। उन्होंने अपने आप दवाई न लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इन रोगों से डरने एवं घबराने की जरूरत नहीं है। इनसे बचाव एवं उपचार सम्भव है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा0 उपशम गोयल ने कहा कि अनेक महिला रोगों एवं आंखों के रोगों में होम्योपैथी बहुत कारगर है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को रोग विशेष पर कार्य कर उसमें विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। संगोष्ठी में डा रेनू महेन्द्रा, डा0 एसएस यादव, डा युबी त्रिपाठी, डा पंकज श्रीवास्तव, डा दुर्गेश चतुर्वेदी, डा ओपी श्रीवास्तव, डा परमज्योति मनचंदा आदि ने सम्बोधित किया। अतिथियों का स्वागत डा एसडी सिंह एवं आभार डा आशीष वर्मा ने व्यक्त किया। संचालन डा0 स्फूर्ति सिंह ने किया।