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चिकित्‍सकों की मेहनत को सलाम, तकनीक से पूरी करें डॉक्टरों की कमी

आईआईटी के निदेशक प्रो अभय करंदीकर ने केजीएमयू के स्‍थापना दिवस समारोह में अपने सम्‍बोधन में दी सलाह

-प्रो प्रभात सिठोले ने कहा, डॉक्‍टर मरीजों से वही व्‍यवहार करें जो खुद के लिए चाहते हैं

प्रो अभय करंदीकर

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। मरीज और चिकित्‍सक का अनुपात कम होने के कारण आज चिकित्‍सकों पर बहुत लोड है, ऐसे में क्‍वालिटी वाले चिकित्‍सकों की कमी पूरी करने के लिए हमें टेक्‍नोलॉजी का सर्वश्रेष्‍ठ उपयोग करके ऐसा रास्‍ता निकालना होगा जिसमें कम चिकित्‍सकों की कम संख्‍या से भी काम चल सके।  

यह सलाह आज 24 दिसम्‍बर को यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के 118वें स्‍थापना दिवस समारोह में मुख्‍य अतिथि भारतीय प्रौद्योगिक संस्‍थान (आईआईटी) के निदेशक प्रो अभय करंदीकर ने अपने सम्‍बोधन में कही। सेल्बी हाल में हुए भव्य आयोजन में अपने सम्‍बोधन में प्रो अभय करंदीकर ने कहा कि मेरे परिवार में लगभग सभी लोग आईआईटीयन हैं, लेकिन मेरी बेटी ने डॉक्‍टरी करके पीडियाट्रिक मेडिसिन के क्षेत्र को चुना। उन्‍होंने कहा कि चिकित्‍सक बनने के लिए जो मेहनत विशेषकर उसके रेजीडेंसी के समय की मेहनत देखी तो मुझे अहसास हुआ कि चिकित्‍सक कितनी शिद्दत से 24-24 घंटे मेहनत करता है। यह मेहनत उसे इसी लिए करनी पड़ती है क्‍योंकि मरीजों की अपेक्षा चिकित्‍सकों की कमी है।

समारोह के विशिष्ट अतिथि, पूर्व विभागाध्‍यक्ष मानसिक रोग विभाग प्रो प्रभात सिथोले ने मेडल प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को बधाई देते हुए छात्र-छात्राओं को सफल जीवन के मंत्र बताए तथा साथ ही कहा कि वे अपने महत्‍व को भी समझें। उन्‍होंने कहा कि मरीजों से आप वही व्‍यवहार करें जैसा अपने लिए चाहते हैं। इस अवसर पर कुल 54 मेधावी छात्र-छात्राओं , फैकल्टी , बेस्ट डिपार्टमेंट एवार्ड से सम्मानित किया गया। 

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डा0 बिपिन पुरी के स्वागत सम्बोधन के साथ हुआ। कुलपति ने चिकित्सा विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की साथ ही उपलब्धियों का उल्‍लेख किया। उनके द्वारा बताया गया कि एमबीबीएस छात्रों के पहले बैच ने अक्टूबर 1911 में 31 छात्रों के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में प्रवेश किया, तब से  केजीएमयू ने 30,000 से अधिक पूर्व छात्रों को चिकित्सक बनाने का कार्य किया जो इस कॉलेज के गौरव हैं और भारत और दुनिया भर में चिकित्सा पेशे की सेवा कर रहे हैं। गांधी मेमोरियल एवं सम्बद्ध अस्पतालों में किसी भी समय भर्ती किए गए (ऑन-बेड) समान संख्या वाले रोगियों के साथ 4000 से अधिक कार्यात्मक बेड हैं, इसके साथ ही उन्होंने उत्तीर्ण छात्रों और उनके अभिभावकों को उनकी सफलता और पदक विजेताओं को उनकी जीत और उपलब्धियों पर बधाई दी।

आज के समारोह में कुछ विभागों को एप्रीसिएशन अवॉर्ड दिये गये। इनमें सर्जिकल गैस्‍ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, ऑप्‍थमोलॉजी, हेमेटोलॉजी, टेलीमेडिसिन यूनिट शामिल हैं।

टेलीमेडिसिन यूनिट की डॉ शीतल वर्मा ने एप्रीसिएशन अवॉर्ड मिलने पर कहा कि टेलीमेडिसिन के लिए एप्रीसिएशन अवॉर्ड पाकर खुशी हुई। डॉ शीतल ने कहा कि  मैं यह पुरस्कार सभी फैकल्टी, चिकित्सा अधिकारियों और केजीएमयू के रेजीडेंट्स को उनके योगदान, निस्वार्थ प्रयासों और समर्थन के लिए समर्पित करती हूं।

समारोह में बायो मेडिकल वेस्‍टेज को लेकर बेस्‍ट प्रैक्टिस अवॉर्ड भी दिये गये इनमें बेस्‍ट वार्ड जनरल सर्जरी को, बेस्‍ट क्‍लीनिक कन्‍जर्वेटिव डेन्टिस्‍ट्री एंड एंडोडॉन्टिक्‍स को, बेस्‍ट ओटी ऑब्‍स्‍टेट्रिक्‍स एंड गाइनोकोलॉजी को तथा बेस्‍ट लैब माइक्रोबायोलॉजी को चुना गया।  

कार्यक्रम में धन्‍यवाद प्रस्‍ताव डीन एके‍डमिक प्रो एके त्रिपाठी ने प्रस्‍तुत किया। कार्यक्रम में अन्‍य लोगों के साथ ही मुख्य रूप से प्रति कुलपति प्रो विनीत शर्मा, डीन डेंटल प्रो ए के टिक्कू तथा डीन नर्सिंग प्रो पुनीता मानिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो अमिता पाण्डेय तथा डॉ सौमेंद्र विक्रम सिंह ने किया।

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