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डायबिटीज को लेकर बाखबर रहिये, बेखबर नहीं

-अगर डायबिटीज हो ही गयी है तो इलाज का खर्च सौ गुना न बढ़ने दें

-विश्‍व मधुमेह दिवस पर डॉ केपी चंद्रा ने दी आम जन के लिए सलाह

डॉ केपी चंद्रा

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके उपचार में अगर ढिलाई बरती गयी तो इसके इलाज में किया जा रहा खर्च 100 गुना बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में आवश्‍यक है कि लोगों को इस बारे में शिक्षित किया जाये जिससे धन और स्‍वास्‍थ्‍य दोनों के नुकसान से वे बच सकें।

यह महत्‍वपूर्ण सलाह डॉ चंद्रा डायबिटीज एंड हार्ट क्‍लीनिक के डॉ केपी चंद्रा ने विश्‍व मधुमेह दिवस के अवसर पर यहां एक होटल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। उन्‍होंने कहा कि जीवन शैली से जुड़ी डायबिटीज बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता की बहुत कमी है, जहां इस बीमारी से बचने के प्रति लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है, वहीं डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों को इसके उपचार में लापरवाही न बरतने के प्रति जागरूक किया जाना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व डायबिटीज दिवस की थीम है भविष्‍य को सुरक्षित रखने के लिए डायबिटीज के साथ होने वाले रोगों से लोगों को बचाने के लिए शिक्षित किया जाये, क्‍योंकि लम्‍बे समय के बाद डायबिटीज रोगियों के हार्ट, किडनी, आंख जैसे अंगों में दिक्‍कत पैदा हो जाती है।

डायबिटीज से बचाव के लिए जीवन शैली सुधारें

जीवन शैली सुधार के लिए पहली बात खानपान की आदतों में सुधार करना चाहिये, जैसे जंक फूड, हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ का सेवन न करें, लेट नाइट डिनर न करें, पेट भरने के बावजूद ‘कुछ मीठा हो जाये’ की तर्ज पर खाना ठीक नहीं। उन्‍होंने कहा कि जब खाने के भीतर अंतराल ज्‍यादा होता है तो आप ज्‍यादा खाते हैं, इसी प्रकार देर रात खाना खाने के बाद आप तुरंत सो जाते हैं जिससे खाना पच नहीं पाता है।

जीवन शैली सुधार की दूसरी बात है कि शारीरिक श्रम में कमी हो गयी है। पहले हम पैदल चलते थे या साइकिल चलाते थे, जबकि आजकल थोड़ी सी दूर जाने के लिए भी हम मैकेनाइज्‍ड वाहन इस्‍तेमाल करते हैं। एक-दो मंजिल अगर जाना है तो हम सीढ़ी से न जाकर लिफ्ट का इस्‍तेमाल करते हैं। इसके लिए आवश्‍यक है कि प्रतिदिन हम 30 से 45 मिनट शारीरिक व्‍यायाम करें जिससे जहां हमारे शरीर में रक्‍त की रफ्तार अच्‍छी रहेगी वहीं मसल्‍स में ग्‍लूकोज का फ्लो ठीक करेगा जिससे इंसुलिन रेसिस्‍टेंस की स्थिति नहीं होगी, जो‍ कि आजकल होने वाली 90 प्रतिशत डायबिटीज का कारण है।

जीवन शैली से जुड़ी तीसरी बात है स्‍ट्रेस यानी तनाव। उन्‍होंने कहा कि रात्रि में सात से आठ घंटे सोना बहुत जरूरी है, तभी आपकी बॉडी नॉर्मल फीजियोलॉजी में आती है, अन्‍यथा शरीर में तनाव बना रहने से दिक्‍कतें बढ़ती हैं और डायबिटीज, ब्‍लड प्रेशर, हार्ट डिजीज पैदा हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि आजकल युवाओं में होने वाले हार्ट अटैक की बड़ी वजह तनाव ही है।  

डायबिटीज की डायग्‍नोसिस जल्‍दी होनी चाहिये

उन्‍होंने कहा कि इसके लिए आवश्‍यक है कि हाई‍ रिस्‍क वाले लोग (जिनके परिवार में लोगों को डायबिटीज रही हो) 30 वर्ष की आयु के बाद साल भर में एक बार डायबिटीज की जांच खाली पेट, खाना खाने के बाद और एचबीए1सी जांच करायें। अगर रिस्‍क फैक्‍टर नहीं है तो 45 वर्ष की आयु के बाद प्रतिवर्ष यह जांच होनी चाहिये।

समुचित उपचार जरूरी

डॉ चंद्रा ने कहा‍ कि अगर डायबिटीज हो गयी है तो इसका समुचित और नियमित उपचार करें, इसमें जीवन शैली में सुधार के साथ ही चिकित्‍सक की सलाह पर दवाओं का सेवन करें जिससे शुगर का लेवल नियंत्रण में रहे। ऐसा नहीं करने पर शरीर में कॉम्‍प्‍लीकेशंस पैदा होंगे। ये कॉम्‍प्‍लीकेशंस दो प्रकार मैक्रोवस्‍कुलर (लकवा, हार्ट अटैक और पेरीफेरल आर्टरी डिजीज) तथा माइक्रोवस्‍कुलर (आंखों की रोशनी जाना-रेटिनोपैथी, किडनी फेल्‍योर, न्‍यूरोपैथी) होते हैं। उन्‍होंने कहा कि अगर हम सामान्‍य जनता को यह शिक्षा देने में सफल हो जाते हैं तो स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल का खर्च काफी घट जायेगा सा‍थ ही शरीर को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा।    

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